Written By Ashutosh Ojha
Published By: Ashutosh Ojha | Published: Sep 19, 2025, 12:49 PM (IST)
AI
भारत सरकार 28 सितंबर तक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के लिए एक नया नियम और गाइडलाइन वाला फ्रेमवर्क लाने वाली है। यह फ्रेमवर्क खास तौर पर लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर बनाया गया है, ताकि AI टेक्नोलॉजी से किसी को नुकसान न हो। इलेक्ट्रॉनिक्स और IT मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि इस फ्रेमवर्क का जो हिस्सा सीधा नागरिकों की सुरक्षा से जुड़ा है, उसे कानून बनाया जाएगा। बाकी हिस्से सिर्फ मार्गदर्शन के रूप में काम करेंगे। सरकार कहती है कि इससे नए इनोवेशन भी होते रहेंगे और जरूरी नियम भी बने रहेंगे। इसे प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर अजय कुमार सूद की देखरेख में तैयार किया गया है और इसके लिए 3000 से ज्यादा लोगों से राय ली गई है।
भारत ने यह कदम ऐसे समय पर उठाया है, जब पूरी दुनिया AI की सुरक्षा को लेकर चिंतित है। मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि भारत चाहता है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी एक ऐसा फ्रेमवर्क बने, जिस पर सभी देश सहमत हों। इसी वजह से भारत 19-20 फरवरी 2026 को AI Impact Summit की मेजबानी करेगा, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। इस बड़े सम्मेलन में कई देशों के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री शामिल होंगे। हालांकि अभी यह तय नहीं है कि चीन इसमें हिस्सा लेगा या नहीं। विदेश मंत्रालय यह फैसला करेगा कि किन देशों को बुलाया जाएगा।
AI फ्रेमवर्क का मुख्य उद्देश्य नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता देना है। हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी और उनकी दिवंगत मां का एक डीपफेक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिससे AI से जुड़े खतरों पर गंभीर सवाल उठे। मंत्री वैष्णव ने कहा कि आने वाले फ्रेमवर्क और सम्मेलन में डीपफेक और सिंथेटिक कंटेंट जैसी समस्याओं पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। यह फ्रेमवर्क बताएगा कि AI से होने वाले नुकसान से कैसे निपटा जाए और किस तरह से चेक और बैलेंस बनाए रखें, ताकि टेक्नोलॉजी का सुरक्षित इस्तेमाल हो सके।
सरकार का मानना है कि आने वाले सालों में AI का इस्तेमाल बहुत तेजी से बढ़ेगा। इसलिए इसे सही तरीके से नियंत्रित करने के लिए जरूरी नियम होना चाहिए। यह फ्रेमवर्क इस तरह बनाया गया है कि कंपनियां, स्टार्टअप और रिसर्च करने वाले लोग बिना रुकावट काम कर सकें, लेकिन उन्हें सही दिशा भी मिले। नागरिकों की सुरक्षा से जुड़े नियमों को कानून का रूप दिया जाएगा, ताकि सबको उनका पालन करना पड़े। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत का यह कदम न सिर्फ देश में, बल्कि पूरी दुनिया को भी AI सुरक्षा और जिम्मेदारी का मजबूत संदेश देगा।