Written By Ashutosh Ojha
Published By: Ashutosh Ojha | Published: Aug 26, 2025, 03:54 PM (IST)
Google
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एंड्रॉयड स्मार्टफोन इस्तेमाल करने वाले यूजर्स के लिए एक बड़ा बदलाव आने वाला है। Google ने घोषणा की है कि 2026 से जो भी डेवलपर गूगल प्ले स्टोर के बाहर यानी साइडलोडिंग के जरिए ऐप उपलब्ध कराना चाहेंगे, उन्हें पहले वेरिफाइड होना जरूरी होगा। अब तक ज्यादातर एंड्रॉयड यूजर्स ऐप्स को सीधे गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड करते हैं, लेकिन कई लोग इंटरनेट से APK फाइल के रूप में भी ऐप डाउनलोड करते हैं। इस तरीके से डेवलपर गूगल की सिक्योरिटी प्रक्रिया को बायपास कर देते हैं। हालांकि अब कंपनी इस पर रोक लगाने जा रही है। गूगल का कहना है कि यह कदम यूजर्स को सुरक्षित रखने और साइबर अटैक्स को कम करने के लिए उठाया गया है। और पढें: Google Gemini 3 हुआ फ्री, Jio यूजर्स को मिला बड़ा तोहफा, ऐसे करें क्लेम
गूगल ने अपने एंड्रॉयड डेवलपर्स ब्लॉग पर बताया कि बीते कुछ समय से कई साइबर अपराधी असली डेवलपर्स का नाम लेकर नकली ऐप्स बनाकर यूजर्स को धोखा दे रहे थे। इन नकली ऐप्स के जरिए लोगों के फोन में मैलवेयर घुस जाता है, जिससे डेटा चोरी और खतरों की संभावना बढ़ जाता है। गूगल की आंतरिक रिपोर्ट के मुताबिक, गूगल प्ले स्टोर पर मौजूद ऐप्स की तुलना में साइडलोडिंग के जरिए 50 गुना ज्यादा मैलवेयर डाउनलोड किए गए। 2023 से गूगल ने यह नियम लागू किया था कि केवल वेरिफाइड डेवलपर्स ही प्ले स्टोर पर ऐप डाल सकते हैं, लेकिन अब यह नियम साइडलोडिंग पर भी लागू होगा। इससे नकली APK फाइल्स का फैलना काफी हद तक कम हो जाएगा। और पढें: 256GB स्टोरेज और Tensor G5 वाले Google Pixel 10 पर 7000 का भारी Discount, न मिस करें जंबो Offer
गूगल ने बताया कि अक्टूबर 2025 से डेवलपर्स को शुरुआती स्तर पर वेरिफिकेशन का एक्सेस दिया जाएगा और मार्च 2026 से यह सभी डेवलपर्स के लिए उपलब्ध हो जाएगा। शुरुआत में यह नियम ब्राजील, इंडोनेशिया, सिंगापुर और थाईलैंड जैसे देशों में सितंबर 2026 से लागू होगा। वहां केवल वेरिफाइड डेवलपर्स द्वारा बनाए गए ऐप्स ही इंस्टॉल किए जा सकेंगे। इसके बाद 2027 तक यह नियम दुनिया भर में लागू कर दिया जाएगा। इस प्रक्रिया से यूजर्स को सुरक्षित ऐप्स का इस्तेमाल करने का भरोसा मिलेगा और साइबर अटैक की घटनाओं में गिरावट आएगी।
गूगल ने यह भी बताया है कि इसके साथ ही वह एक नया Android Developer Console लाने जा रहा है। यह कंसोल डेवलपर्स के लिए वेरिफिकेशन प्रक्रिया को आसान बनाएगा। खास बात यह है कि कंपनी स्टूडेंट्स और शौकिया डेवलपर्स के लिए अलग कंसोल भी उपलब्ध कराएगी, जिससे नए लोग भी आसानी से अपनी ऐप डेवलपमेंट की जर्नी शुरू कर सकेंगे। हालांकि, एक सवाल अब भी बना हुआ है कि जो यूजर्स गूगल प्ले स्टोर से हटाए गए मॉडिफाइड या पायरेटेड ऐप्स का इस्तेमाल करते हैं, उनका क्या होगा? गूगल का कहना है कि एंड्रॉयड सिस्टम साइडलोडिंग को पूरी तरह से बंद नहीं करेगा, लेकिन जो ऐप्स गूगल से वेरिफाइड नहीं होंगे, उनका आगे क्या होगा, यह अभी साफ नहीं है।