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सावधान! पाकिस्तानी हैकर्स के निशाने पर भारतीय Android यूजर्स, जानें कैसे बचें

पाकिस्तानी हैकर्स ग्रुप भारतीय स्मार्टफोन यूजर्स को टारगेट कर रहे हैं। सामने आ रही रिपोर्ट के मुताबिक, यूजर्स के फोन में वायरस भेजकर उनके फोन के जरिए सीमावर्ती इलाकों की निगरानी की जा रही है।

Published By: Harshit Harsh

Published: Sep 20, 2023, 12:20 PM IST

Android-Virus

Story Highlights

  • Android स्मार्टफोन यूजर्स को पाकिस्तानी हैकर्स टारगेट कर रहे हैं।
  • यूजर्स के फोन पर खतरनाक वायरस भेज रहे हैं।
  • इसके जरिए सीमावर्ती इलाकों पर नजर रखने की कोशिश की जा रही है।

पाकिस्तान आतंकवादियों को भारत में घुसपैठ कराने के साथ-साथ भारतीय यूजर्स के फोन में घुसने की कोशिश में है। इसके लिए पाकिस्तान समर्थित हैकर्स ग्रुप Transparent Tribe ने खतरनाक CapraRAT वायरस का सहारा लिया है। साइबर सिक्योरिटी रिसर्च एजेंसी SentinelOne की हाल में आई रिपोर्ट के मुताबिक, CapraRAT एक खतरनाक वायरल है, जो मोबाइल रिमोट एक्सेस टोरजन (RAT) वायरस है, जिसके जरिए पाकिस्तान के सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों के जरिए निगरानी की जा सकती है। पाकिस्तानी हैकर्स इस वायरस के जरिए खास तौर पर कश्मीर में रहने वाले Android स्मार्टफोन यूजर्स को टारगेट कर रहे हैं।

हाल के दिनों में Trend Micro की रिसर्च टीम ने बताया है कि CapraRAT मुख्य तौर पर एंड्रॉइड सोर्स कोड पर आधारित होता है। ऐसे में iOS यानी iPhone यूजर्स को इससे खतरा नहीं है। भारत में Android यूजर्स की संख्यां iOS के मुकाबले काफी ज्यादा है। पाकिस्तान समर्थित यह हैकर ग्रुप भारत और पाकिस्तान के मिलिट्री और डिप्लोमैटिक अधिकारियों को पहले भी टारगेट कर चुका है।

Android यूजर्स को कर रहे टारगेट

साइबर सिक्योरिटी रिसर्च टीम के रिसर्चर अलेक्स डेलमोट के मुताबिक, CapraRAT एक शक्तिशाली टूल है, जिसके जरिए Android यूजर्स के फोन का डेटा कंट्रोल किया जा सकता है। यह टूल इसलिए भी खतरनाक है, क्योंकि यह किसी अन्य ऐप में कोडिंग के जरिए RAT को छिपा सकता है। इसकी वजह से यूजर्स को इस वायरस के छिपे होने की भनक तक नहीं लगती है। रिपरो्ट के मुताबिक, पाकिस्तानी हैकर्स ग्रुप Transparent Tribe ने इस वायरस को Google Play Store के जरिए यूजर्स के स्मार्टफोन में इंजेक्ट करना शुरू कर दिया है।

यही नहीं, हैकर्स ने गूगल प्ले स्टोर के अलावा अन्य माध्यमों जैसे कि सोशल प्लेटफॉर्म्स, सोशल चैनल्स, सेल्फ रन वेबसाइट आदि के जरिए भी इसे फैलाना शुरू कर दिया है। यूजर्स को हैकर्स ऐप्स के APK फाइल्स की लिंक भी भेज रहे हैं, ताकि वायरस इंफेक्टेड ये ऐप्स यूजर के फोन में इंस्टॉल हो सके। इसके लिए हैकर्स लोकप्रिय फिशिंग तकनीक का भी इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसमें यूजर्स को लुभावने ऑफर्स के जरिए फंसाया जा रहा है।

रिसर्च ग्रुप के मुताबिक, नीचे दिए गए सोर्स कोड्स यूजर्स के डिवाइस में मिल रहे हैं।

com.Base.media.service
com.moves.media.tubes
com.videos.watchs.share

हैकर्स इस तरह कर रहे Android यूजर्स की एक्टिविटी ट्रैक

– यूजर्स के माइक्रोफोन के साथ-साथ फ्रंट और रियर कैमरा के जरिए आसपास नजर रखा जा रहा है।
– इसके अलावा यूजर्स के SMS और मल्टीमीडिया मैसेज के कॉन्टेंट के साथ-साथ कॉल लॉग भी देखी जा रही है।
– यही नहीं, इस वायरस के जरिए यूजर के स्मार्टफोन से SMS भेजा जा रहा है और इनकमिंग SMS को ब्लॉक किया जा रहा है।
– ऑटोमैटिक फोन कॉल्स किया जा रहा है।
– यह वायरस स्क्रीनशॉट भी कैप्चर कर सकता है।
– GPS और नेटवर्क के जरिए ट्रैक किया जा सकता है।
– फोन के फाइल सिस्टम को भी मोडिफाई किया जा सकता है।

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कैसे बचें?

Android यूजर्स इस खतरनाक वायरस से बचने के लिए किसी भी अनजान नंबर से आने वाले कॉल्स, मैसेज आदि को इग्नोर कर सकते हैं। इसके अलावा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए मिलने वाले किसी भी ऑफर, आदि के झांसे में न आएं और अपने फोन में केवल वेरिफाइड ऐप्स ही डाउनलोड करें। फोन में ऐप इंस्टॉल करने के लिए केवल Google Play Store का ही इस्तेमाल करें। फोन की सेटिंग्स में जाकर ‘Install From Unknown Sources’ वाले ऑप्शन को भूलकर भी ऑन न करें।

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Author Name | Harshit Harsh

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