
अमेरिका ने चीन पर नए तरह के प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर ली है। सामने आ रही रिपोर्ट के मुताबिक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI के क्षेत्र में अपनी बादशाहत बनाए रखने के लिए अमेरिका यह प्रतिबंध लगाने वाला है। अमेरिका जल्द ही AI चिप को चीन में इंपोर्ट करने पर रोक लगाने वाला है। अमेरिकी मीडिया के मुताबिक, अमेरिकी कॉमर्स डिपार्टमेंट ने इसकी तैयारी कर ली है। आने वाले दिनों में टेक्नोलॉजी कंपनियां Nvidia, Advance Micro Devices (AMD) और अन्य चिप बनाने वाली कंपनियों के चीन भेजे जाने वाली शिपमेंट्स को रोक सकती है।
Wall Street Journal की रिपोर्ट के मुताबिक, इस प्रतिबंध से देश के मुख्य चिप बनाने वाली कंपनियों के शेयर की कीमतों में गिरावट आ सकती है। इस रिपोर्ट के सामने आने का बाद ही NVDA.O (Nvidia) का शेयर 2 प्रतिशत तक गिर गया, जबकि AMD के शेयर में करीब 1.5 प्रतिशत तक की गिरावट आई है।
व्हाइट हाउस और अमेरिकी सरकार को आशंका है कि चीन द्वारा AI फील्ड में की जाने वाली पोटेंशियल टेक्नोलॉजी एडवांसमेंट्स की वजह से राष्ट्रीय सुरक्षा पर असर पर सकता है। इसके लिए व्यापार में प्रतिबंध लगाकर अमेरिका AI टेक्नोलॉजी को चीन की सेना को इस्तेमाल करने पर रोक लगाएगा।
अमेरिकी सरकार द्वारा संभावित प्रतिबंध को देखते हुए चिप बनाने वाली कंपनियां Nvidia, Micron और AMD खुद को बीच मझदार में पा रहे हैं। चीन और बाइडेन सरकार के बीच तनाव बढ़ने की वजह से चिप बनाने वाली कंपनियों के व्यापार पर असर पड़ सकता है। पिछले साल 2022 के सितंबर में अमेरिकी अधिकारियों को Nvidia द्वारा चीन भेजे जा रहे AI चिप्स के कंसाइनमेंट को सीज करने का रिक्वेस्ट मिला था।
इसे देखते हुए Nvidia ने अपने A800 चिप को चीन में लॉन्च किया था ताकि एक्सपोर्ट कंट्रोल रेगूलेशन से बचा जा सके। इसके अलावा कंपनी ने फ्लैगशिप H100 चिप को रेगुलेटरी से क्लियरेंस मिलने के लिए मोडिफाई भी किया है। हालांकि, इस नए प्रतिबंध के अलावा अमेरिकी कॉमर्स डिपार्टमेंट देश में A800 चिप की बिक्री पर भी रोक लगा सकती है। यह प्रतिबंध टेक कंपनियों के रेवेन्यू और ऑपरेशन को प्रभावित कर सकता है।
इससे पहले भी साल 2019 में अमेरिका द्वारा चीनी कंपनी Huawai पर लगे प्रतिबंध की वजह से उसके बिजनेस पर ग्लोबली बुरा असर पड़ा था। चीनी कंपनी इस प्रतिबंध से अब तक नहीं उबर पाई है और उसका मार्केट चीनी बाजार तक ही सीमित रह गया है। चीन और अमेरिका के बीच ट्रेड वॉर की वजह से पहले से मंदी के दौर से जूझ रही टेक्नोलॉजी कंपनियों का व्यापार और ज्यादा प्रभावित हो सकता है।
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