Written By Ashutosh Ojha
Published By: Ashutosh Ojha | Published: Nov 14, 2025, 06:14 PM (IST)
gene-edited babies
सिलिकॉन वैली के अरबपति हमेशा नई और एडवांस हेल्थ टेक्नोलॉजी में निवेश करने के लिए जाने जाते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अब उनका नया लक्ष्य है ‘डिजाइनर बेबी’ यानी ऐसे बच्चे जिनके जीन एडिट किए जा सकें। OpenAI के प्रमुख सैम ऑल्टमैन और उनके पति ओलिवर मुल्हेरिन ने इस क्षेत्र में एक स्टार्टअप में लाखों डॉलर निवेश किए हैं। यह स्टार्टअप, जिसका नाम Preventive है, ऐसी टेक्नोलॉजी विकसित करने का काम कर रहा है, जिससे भविष्य में बच्चे गंभीर जेनेटिक बीमारियों से मुक्त रह सकें। हालांकि यह विचार जितना रोमांचक लगता है, उतना ही विवादास्पद और कई देशों में गैरकानूनी भी है। वैज्ञानिक समुदाय ने इस पर गंभीर चिंता जताई है। और पढें: ChatGPT के बाद OpenAI ला रहा है इंसान का दिमाग पढ़ेने वाली टेक्नोलॉजी, नहीं पड़ेगी सर्जरी की जरूरत
जन्म से पहले बच्चे के जीन में माता-पिता का DNA होता है। कई बीमारियां इसी DNA के माध्यम से पीढ़ी दर पीढ़ी चलती हैं। जीन-एडिटिंग टेक्नोलॉजी का उद्देश्य इस DNA में खराब हिस्सों को बदलना और बीमारी को जन्म से पहले ही रोकना है। इसके लिए CRISPR जैसी एडवांस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है। इसका मतलब यह है कि बच्चा बिना किसी गंभीर जेनेटिक बीमारी के बड़ा हो सकता है लेकिन यह प्रक्रिया बेहद मुश्किल और जोखिम भरी है क्योंकि एक छोटी गलती भी भविष्य की पीढ़ियों में गंभीर समस्याएं पैदा कर सकती है। और पढें: OpenAI ChatGPT में नए हाई-कंप्यूट फीचर्स लाने जा रही, इनमें से कुछ केवल मिलेंगे सिर्फ Pro यूजर्स के लिए
Scientist और Sociologist इस टेक्नोलजी को लेकर चिंतित हैं। उनका कहना है कि अगर केवल अमीर लोग ही अपने बच्चों के जीन बदलवा सकें तो समाज में आर्थिक और जैविक असमानताएं और बढ़ सकती हैं। डर यह भी है कि भविष्य में माता-पिता बच्चों की बुद्धिमत्ता, ऊंचाई या रूप जैसी चीजें भी चुनने लगें। 2018 में चीन में पहली बार जीन-एडिटेड बच्चे के जन्म के बाद विश्वभर में नियम और नियंत्रण और सख्त कर दिए गए। अधिकांश देशों में अब गर्भावस्था के लिए जीन-एडिटिंग या तो पूरी तरह प्रतिबंधित है या बेहद नियंत्रित है। और पढें: iPhone 17 Air के फैन हुए ChatGPT वाले Sam Altman, तारीफ में कही ये बात....
Preventive स्टार्टअप का कहना है कि उनका उद्देश्य केवल रोगों को रोकना है, न कि बच्चों के गुण बढ़ाना। उनका मानना है कि अगर उचित नियम और निगरानी हो तो यह टेक्नोलॉजी सुरक्षित रूप से इस्तेमाल की जा सकती है। इसके समर्थक कहते हैं कि यह टेक्नोलॉजी पीढ़ियों से चल रही जेनेटिक बीमारियों को रोकने का मौका देती है। हालांकि कई विशेषज्ञ मानते हैं कि यह क्षेत्र नैतिक और सामाजिक रूप से मुश्किल है और बिना स्पष्ट योजना के आगे बढ़ना जोखिम भरा हो सकता है।