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ChatGPT के बाद OpenAI ला रहा है इंसान का दिमाग पढ़ेने वाली टेक्नोलॉजी, नहीं पड़ेगी सर्जरी की जरूरत

क्या हो अगर आप बिना बोले सिर्फ सोचकर AI से बात कर सकें? OpenAI के CEO सैम ऑल्टमैन अब ऐसी ही क्रांतिकारी टेक्नोलॉजी पर काम कर रहे हैं, जो बिना सर्जरी के दिमाग पढ़ेगा। आइए जानते हैं...

Edited By: Ashutosh Ojha | Published By: Ashutosh Ojha | Published: Oct 27, 2025, 01:36 PM (IST)

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OpenAI के CEO सैम ऑल्टमैन अब सिर्फ ChatGPT या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तक सीमित नहीं रहना चाहता। रिपोर्ट्स के मुताबिक, वह अब इंसानी दिमाग से सीधा कनेक्शन बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। वह एक नए सीक्रेट स्टार्टअप Merge Labs को फंड कर रहे हैं, जो जो sound waves और magnetic fields की मदद से बिना सर्जरी के दिमाग को पढ़ने की टेक्नोलॉजी डेवलप कर रही है। यह टेक्नोलॉजी Neuralink जैसी कंपनियों की तरह दिमाग में Chip लगाने की जरूरत नहीं रखती। बता दें कहा जा रहा है कि Merge Labs का मकसद है ‘सोचो और AI समझ जाए’ जैसा एक्सपीरियंस देना वो भी बिना किसी ऑपरेशन या दर्द के। news और पढें: OpenAI ने ChatGPT में किया बड़ा बदलाव, Advanced Voice Mode को सीधे चैट इंटरफेस में जोड़ा, मिलेगा ये फायदा

क्या साउंड वेव्स से बिना सर्जरी दिमाग पढ़ा जा सकता है?

Elon Musk की Neuralink जहां ब्रेन में इलेक्ट्रोड्स लगाकर डेटा पढ़ती है, वहीं Merge Labs पूरी तरह से non-invasive यानी बिना काट-छांट वाली टेक्नोलॉजी वाली टेक्नोलॉजी अपना रही है। कंपनी का मानना है कि ultrasound waves और gene therapy की मदद से ब्रेन की कोशिकाओं को ऐसे बदला जा सकता है कि वे खुद साउंड वेव्स के जरिए AI से बात कर सकें। इस प्रोजेक्ट में ‘Caltech’ के फेमस साइंटिस्ट मिखाइल शापिरो को शामिल किया गया है, जिन्होंने पहले भी अल्ट्रासाउंड के जरिए न्यूरॉन एक्टिविटी को ट्रैक करने की टेक्नोलॉजी डेवलप की थी। रिपोर्ट्स के अनुसार, Alex Blania (CEO, Tools for Humanity) भी इस स्टार्टअप में अहम भूमिका निभा रहे हैं। news और पढें: ChatGPT ने लॉन्च ‘Shopping Research’ फीचर, अब ऑनलाइन खरीदारी होगी और भी आसान

क्या Merge Labs की ‘रीड-ओनली’ टेक्नोलॉजी दिमाग की सोच को पढ़ पाएगी?

सैम ऑल्टमैन ने पहले कहा था कि वह कभी अपने दिमाग में कोई चिप नहीं लगवाना चाहेंगे, क्योंकि ‘यह मेरे न्यूरॉन्स को मार देगा’ हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि वह ऐसा सिस्टम चाहते हैं जो उनके विचारों को पढ़ सके और AI उनकी सोच पर प्रतिक्रिया दे सके। यही विचार Merge Labs की ‘read-only’ टेक्नोलॉजी का आधार है, यानी AI इंसान की सोच को पढेगा पर उसे बदल नहीं सकेगा। इससे सुरक्षा और प्राइवेसी दोनों बनी रहेगी। मिखाइल शापिरो पहले भी इस विचार पर काम कर चुके हैं कि कैसे जीन में बदलाव कर के कोशिकाओं को साउंड वेव्स के प्रति संवेदनशील बनाया जा सकता है, ताकि बिना किसी तार या सर्जरी के दिमाग और मशीन में बात हो सके। news और पढें: OpenAI ने लॉन्च किया ChatGPT for Teachers, अब टीचर्स के लिए आया स्पेशल AI Tool

बड़ी फंडिंग, बड़ी उम्मीदें और बड़े सवाल

रिपोर्ट्स के मुताबिक, Merge Labs करीब 250 मिलियन डॉलर (लगभग ₹2,200 करोड़) की फंडिंग जुटाने की तैयारी कर रहा है। इस फंडिंग में OpenAI की venture arm भी शामिल होगी हालांकि सैम ऑल्टमैन रोजमर्रा के कामकाज में शामिल नहीं होंगे, लेकिन उनका नाम co-founder के रूप में रहेगा। यह प्रोजेक्ट अभी भी रहस्य से भरा है लेकिन इसका लक्ष्य बहुत रोमांचक है ‘AI से बात करने के लिए अब मुंह नहीं, सिर्फ सोच की जरूरत होगी’ अगर Merge Labs अपने मिशन में कामयाब होता है तो यह इंसान और मशीन के रिश्ते को एक नए दौर में ले जाएगा जहां ना कोई चिप होगी, ना सर्जरी, बस विचार और टेक्नोलॉजी का मेल होगा, क्या Merge Labs सच में हमारे दिमाग को पढ़ पाएगा? फिलहाल यह ‘विज्ञान और कल्पना’ के बीच खड़ा एक प्रयोग है लेकिन अगर यह सफल हुआ तो भविष्य में हम सच में ‘सिर्फ सोचकर AI से बात’ कर पाएंगे।