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eSIM vs physical SIM: कौन है ज्यादा सुरक्षित और कैसे हो रहे हैं साइबर अटैक?

फोन चलाने के लिए SIM जरूरी है, लेकिन अब फिजिकल SIM के साथ-साथ eSIM भी आ गया है। दोनों में फर्क सिर्फ टेक्नोलॉजी का नहीं, सुरक्षा का भी है। आइए जानते हैं कैसे ठग इसका गलत फायदा उठा रहे हैं और कौन-सी SIM आपके लिए ज्यादा सुरक्षित है।

Edited By: Ashutosh Ojha | Published By: Ashutosh Ojha | Published: Aug 08, 2025, 05:32 PM (IST)

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आज के समय में फोन और इंटरनेट से जुड़े रहना बहुत जरूरी हो गया है। इसके लिए हम SIM कार्ड का इस्तेमाल करते हैं। SIM (Subscriber Identity Module) एक छोटा चिप होता है, जिसे फोन में डालने से नेटवर्क से कनेक्ट हो जाते हैं। अब एक नई टेक्नोलॉजी आई है eSIM यानी Embedded SIM, जो फोन में ही पहले से फिट होती है। इसमें कोई फिजिकल कार्ड डालने की जरूरत नहीं होती। eSIM डिजिटल तरीके से एक्टिव होती है और प्लान बदलना या नया नेटवर्क लेना बहुत आसान हो जाता है।

साइबर ठगी का मामला

हाल ही में तेलंगाना के मंचेरियल जिले में eSIM और SIM से जुड़ी एक बड़ी साइबर धोखाधड़ी का खुलासा हुआ। एक व्यक्ति को सरकारी अधिकारी बनकर धमकी भरे फोन आ रहे थे। उसने यह मामला Chakshu Portal पर रिपोर्ट किया। इसके बाद टेलंगाना साइबर सिक्योरिटी ब्यूरो, दूरसंचार विभाग और रामागुंडम पुलिस ने मिलकर जांच शुरू की। कुछ ही दिनों में 4 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया और उनके पास से 230 से ज्यादा फर्जी सिम कार्ड और 5 SIM Box डिवाइस बरामद किए गए, जिनका इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय कॉल को लोकल दिखाकर ठगी करने में किया जा रहा था।

सिक्योरिटी के नजरिए से कौनसी SIM बेहतर

विशेषज्ञों के अनुसार eSIM सुरक्षा के मामले में ज्यादा बेहतर है। इसे फोन से निकाला नहीं जा सकता और न ही आसानी से किसी और फोन में डाला जा सकता है, जिससे सिम स्वैप जैसी धोखाधड़ी से बचा जा सकता है। eSIM में मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन होता है, जिससे प्रोफाइल बदलना मुश्किल हो जाता है। लेकिन कुछ चुनौतियां भी हैं जैसे अगर आपका ईमेल या टेलीकॉम अकाउंट हैक हो जाए, तो कोई दूसरा व्यक्ति दूर से आपकी eSIM किसी और डिवाइस में एक्टिवेट कर सकता है। वहीं फिजिकल सिम को आसानी से निकाला जा सकता है, खोने या चोरी होने का खतरा ज्यादा होता है।

भविष्य क्या कहता है? eSIM बढ़ाएगी सुरक्षा या खतरा?

eSIM टेक्नोलॉजी नई जरूर है, लेकिन आने वाले समय में यह मोबाइल सुरक्षा को और मजबूत बनाएगी। इससे प्लास्टिक कचरा भी कम होगा और नेटवर्क शिफ्ट करना आसान होगा। हालांकि इसके लिए यह जरूरी है कि यूजर अपने अकाउंट की सुरक्षा मजबूत करें, जैसे Two factor authentication(2FA), पासकोड, बायोमेट्रिक लॉक और “Find My Device” जैसे टूल्स का इस्तेमाल करें। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में eSIM फिजिकल सिम को पूरी तरह बदल सकती है, लेकिन इसके साथ-साथ डिजिटल अकाउंट्स की सुरक्षा को लेकर भी सावधानी बरतनी होगी। जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे ठगों के तरीके भी स्मार्ट हो रहे हैं। चाहे eSIM हो या physical SIM सबसे जरूरी है कि हम सतर्क रहें और अपनी डिजिटल सुरक्षा को मजबूत बनाए रखें।