
Aditya-L1 ने हाल ही में पृथ्वी की कक्षा को छोड़ा है और सूर्य की तरफ अपना कदम बढ़ाया है। धरती की कक्षा को छोड़ने के साथ ही उसके लिए बड़ा खतरा इंतजार कर रहा है। NASA ने अपने ब्लॉग पोस्ट के जरिए CME (कोरोनल मास इंजेक्शन) यानी सौर तूफान की एक फुटेज शेयर की है, जिसे बादलों के बीच उड़ते हुए पार्कर सोलर प्रोब ने कैप्चर किया है। इस सौर तूफान को Parker Solar Probe ने 5 सितंबर को अपने कैमरे में कैद किया था। नासा का यह अंतरिक्षयान 2018 में सूर्य के बाहरी कोरोना की स्टडी के लिए लॉन्च किया गया था। हालांकि अमेरिकी अंतरिक्षयान इस भयंकर सौर तूफान से बचने में सफल रहा, लेकिन यह भारत के आदित्य-L1 के लिए खतरा हो सकता है।
NASA द्वारा शेयर किए गए ब्लॉग पोस्ट के मुताबिक, हाल के दिनों में सूर्य के आसपास सौर गतिविधि काफी ज्यादा बढ़ गई है। यह सौर तूफान हाई फ्रिक्वेंसी के साथ पृथ्वी के बाएं, दाएं और केंद्र से टकरा रहे हैं। पृथ्वी के अलावा सौर मंडल में मौजूद अन्य ग्रहों पर भी इस खतरनाक सौर तूफान का असर पड़ रहा है। नासा का पार्कर सोलर मिशन CME यानी सौर तूफान की स्टडी करने के लिए ही लॉन्च किया गया था। अमेरिकी स्पेस एजेंसी इस मिशन के जरिए मौसम के सटीक अनुमान लगाने की संभावनाएं तलाशने की कोशिश कर रही है।
Another first! Our Parker Solar Probe flew through an eruption from the Sun, and saw it “vacuuming up” space dust left over from the formation of the solar system. It’s giving @NASASun scientists a better look at space weather and its potential effects on Earth.… pic.twitter.com/AcwLXOlI6m
— NASA (@NASA) September 18, 2023
नासा द्वारा 2003 में रिलीज किए गए एक स्टडी पेपर के मुताबिक, CME तारों के आस-पास के डस्ट पार्टिकल के साथ इंटरेक्ट कर सकते हैं। यहां तक की डस्ट पार्टिकल को बाहर की तरफ धकेल भी सकते हैं। इसके जरिए सूर्य के बाहरी वातावरण और वहां के मौसम का अनुमान लगाया जा सकता है। इस अनुमान के जरिए सूर्य के आसपास मौजूद ग्रहों और उपग्रहों को खतरे से बचाया जा सकता है। यही नहीं, इसके जरिए धरती पर मौजूद कम्युनिकेशन सिस्टम, नेविगेशन टेक्नोलॉजी और पावरग्रिड्स को भी खराब होने से रोका जा सकेगा।
पार्कर सोलर प्रोब ने पहली बार इस सौर तूफान का अनुभव किया है। ऐसे में यह भी आशंका है कि इस सौर तूफान का असर भारत के सौर मिशन Aditya- L1 पर भी पड़े। हालांकि, ISRO ने इसे लेकर फिलहाल कुछ नहीं कहा है। आदित्य-L1 के लिए अच्छी बात यह है कि यह केवल लॉरेंज प्वाइंट यानी L1 तक ही जाएगा, जो धरती की सतह से मात्र 15 किलोमीटर की दूरी पर है। वहीं, नासा का अंतरिक्षयान पार्कर सोलर प्रोब इससे कहीं दूर है। यह सूर्य से 6.9 मिलियन किलोमीटर यानी 69 लाख किलोमीटर करीब है। इसके अलावा ISRO ने अपने स्पेसक्राफ्ट Aditya- L1 को विशेष धातु से बनाया है, जो CME के बादलों और अन्य खतरों से इसकी रक्षा कर सके।
टेक्नोलॉजी और ऑटोमोबाइल की लेटेस्ट खबरों के लिए आप हमें व्हाट्सऐप चैनल, फेसबुक, यूट्यूब और X, पर फॉलो करें।Author Name | Harshit Harsh
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