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ऑनलाइन ब्राउजिग के दौरान Cookies को Accept करें या Reject? ये होते हैं छिपे हुए प्राइवेसी रिस्क

क्या आप जानते हैं कि हर बार जब आप किसी वेबसाइट पर जाते हैं तो 'Accept All' या 'Reject All' कुकीज का पॉप-अप क्यों आता है? ये छोटे-छोटे फाइल्स आपकी ब्राउजिंग आसान बनाती हैं लेकिन क्या ये आपकी प्राइवेसी को खतरे में डाल सकती हैं? आइए जानते हैं...

Edited By: Ashutosh Ojha | Published By: Ashutosh Ojha | Published: Oct 13, 2025, 09:49 AM (IST)

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हर बार जब आप इंटरनेट पर किसी वेबसाइट को खोलते हैं तो स्क्रीन पर “Accept All” या “Reject All” cookies वाला पॉप-अप जरूर दिखाई देता है। ज्यादातर लोग बिना सोचे-समझे इन्हें बंद कर देते हैं लेकिन असल में ये छोटे-छोटे फाइलें आपकी ऑनलाइन एक्टिविटी से जुड़ी बहुत अहम भूमिका निभाती हैं। कुकीज वेबसाइट को याद रखने में मदद करती हैं कि आपने कौन-सी भाषा चुनी थी क्या चीजें कार्ट में जोड़ी थीं या आपने कहां लॉगिन किया था। इससे आपकी ब्राउजिंग आसान और तेज हो जाती है लेकिन यही कुकीज एडवरटाइजर्स को आपकी ऑनलाइन एक्टिविटी को ट्रैक करने और आपकी पसंद-नापसंद का डेटा इकट्ठा करने का मौका भी देती हैं। इसलिए इनका समझदारी से इस्तेमाल करना जरूरी है।

Cookies क्या होती हैं और कैसे काम करती हैं?

कुकीज असल में वेबसाइट द्वारा आपके डिवाइस में सेव की गई छोटी डेटा फाइलें होती हैं। ये चार तरह की होती हैं…

  • Essential cookies जो वेबसाइट को सही से चलाने में मदद करती हैं, जैसे लॉगिन या शॉपिंग कार्ट।
  • Functional cookies जो भाषा या लोकेशन जैसी सेटिंग्स याद रखती हैं।
  • Analytics cookies जो वेबसाइट पर यूजर्स के व्यवहार का डेटा इकट्ठा करती हैं।
  • Advertising cookies जो अलग-अलग साइट्स पर आपकी एक्टिविटी को ट्रैक करके टारगेटेड Ads दिखाती हैं। कुछ कुकीज अस्थायी होती हैं और ब्राउजर बंद करने पर हट जाती हैं जबकि कुछ महीनों तक बनी रहती हैं।

Cookies को Accept या Reject करने से क्या फर्क पड़ता है?

अगर आप ‘Accept All’ पर क्लिक करते हैं तो वेबसाइट को सभी तरह की कुकीज लगाने की अनुमति मिल जाती है जिससे आपका अनुभव बेहतर तो होता है लेकिन आपकी ऑनलाइन एक्टिविटी भी ट्रैक की जाती है। वहीं ‘Reject All’ पर क्लिक करने से सिर्फ जरूरी कुकीज ही काम करती हैं, जिससे आपकी प्राइवेसी बढ़ती है लेकिन कुछ वेबसाइट फीचर्स ठीक से काम नहीं करते। यूरोपीय यूनियन के GDPR (General Data Protection Regulation) कानून के बाद से वेबसाइट्स को यूजर्स से कुकीज की अनुमति लेना अनिवार्य हो गया है इसी वजह से आजकल हर वेबसाइट पर ऐसे पॉप-अप दिखाई देते हैं।

सुविधा और प्राइवेसी में संतुलन कैसे बनाएं?

लगातार आने वाले इन पॉप-अप्स से लोग ‘Consent Fatigue’ यानी थकान महसूस करने लगते हैं और बिना पढ़े ‘Accept All’ दबा देते हैं। इसे रोकने के लिए अब Global Privacy Control (GPC) जैसे नए फीचर आ रहे हैं जो अपने आप आपकी प्राइवेसी पसंद को वेबसाइट्स तक पहुंचाते हैं। हालांकि अभी बहुत कम साइटें इसे सपोर्ट करती हैं। आप चाहें तो समय-समय पर ब्राउजर से कुकीज़ डिलीट कर सकते हैं या Electronic Frontier Foundation’s Cover Your Tracks जैसे टूल से पता लगा सकते हैं कि कौन-कौन सी वेबसाइट आपको ट्रैक कर रही है। समझदारी यही है कि जरूरी कुकीज को एक्सेप्ट करें, बाकी को सीमित रखें और अपनी प्राइवेसी सेटिंग्स को समय-समय पर अपडेट करते रहें। इस तरह आप न सिर्फ अपनी ऑनलाइन पहचान सुरक्षित रख सकते हैं, बल्कि डिजिटल दुनिया में अधिक नियंत्रण भी पा सकते हैं।