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WhatsApp–Telegram जैसी कंपनियां नई सरकारी SIM Binding पॉलिसी से नाराज, लेकिन Jio–Airtel ने इस फैसले का किया स्वागत

यह नया SIM Binding नियम भारत में बड़ा डिजिटल विवाद बन गया है। सरकार का कहना है कि इससे धोखाधड़ी और साइबर क्राइम कम होंगे, जबकि WhatsApp–Telegram जैसी कंपनियां इसे जल्दबाजी और तकनीकी तौर पर मुश्किल बता रही हैं। आइए जानते हैं...

Edited By: Ashutosh Ojha | Published By: Ashutosh Ojha | Published: Dec 04, 2025, 04:51 PM (IST)

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भारत में Telecommunications और Internet Industry के बीच एक नया विवाद खड़ा हो गया है। सरकार ने हाल ही में एक नया नियम जारी किया है, जिसमें WhatsApp, Telegram, Signal जैसे OTT मैसेजिंग ऐप्स को ‘SIM Binding’ अनिवार्य करने को कहा गया है। यानी अब इन ऐप्स को चलाने के लिए वही एक्टिव SIM फोन में होना जरूरी होगा, जिससे अकाउंट बनाया गया है। सरकार का कहना है कि यह कदम धोखाधड़ी, स्पैम कॉल और Cyber-Crime को रोकने के लिए जरूरी है। telecom कंपनियां Airtel, Vodafone-Idea और Reliance Jio ने इस फैसले का स्वागत किया है और कहा है कि इससे यूजर की पहचान, नंबर और डिवाइस के बीच मजबूत लिंक बनेगा लेकिन दूसरी तरफ, टेक कंपनियों को रिप्रेजेंटेट करने वाली Broadband India Forum (BIF) इस फैसले से बेहद असहमत है और इसे जल्दबाजी में लिया गया निर्णय बता रहा है। news और पढें: भारत सरकार का बड़ा आदेश, अब हर नए स्मार्टफोन में होगा ये App, यूजर चाहें तो भी नहीं हटा पाएंगे

SIM Binding नियम में क्या है और यह यूजर्स को कैसे प्रभावित करेगा?

सरकार द्वारा जारी निर्देशों के मुताबिक, ऐप्स को सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी यूजर तब तक WhatsApp, Telegram, Signal या Snapchat जैसी सेवाएं इस्तेमाल न कर सके, जब तक उसके फोन में वह रजिस्टर्ड SIM मौजूद न हो। यानी बिना SIM के लैपटॉप या टैबलेट पर लॉगइन का तरीका बदल जाएगा। वेब या डेस्कटॉप वर्जन पर हर छह घंटे में यूजर को ऑटो-लॉगआउट कर दिया जाएगा और दोबारा लॉगइन के लिए QR कोड स्कैन करना होगा। सरकार ने कंपनियों को 90 दिनों के भीतर यह नियम लागू करने को कहा है। telecom कंपनियों का दावा है कि SIM Binding से फर्जीवाड़ा और वित्तीय धोखाधड़ी में काफी कमी आएगी क्योंकि अपराधी आसानी से बिना SIM वाली डिवाइस से ऐप्स नहीं चला पाएंगे। news और पढें: भारत में लाखों एंड्रॉयड यूजर्स खतरे में, सरकार ने जारी किया हाई अलर्ट, तुरंत करें ये काम

WhatsApp–Google जैसी टेक कंपनियां इस फैसले का विरोध क्यों कर रही हैं?

लेकिन BIF ने इस नए नियम पर कड़ी आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि सरकार ने इतना बड़ा फैसला बिना लोगों से पूछे, बिना किसी तकनीकी जांच के और बिना यह समझे कि इसका यूजर्स पर क्या असर पड़ेगा, सीधे लागू कर दिया। BIF का कहना है कि यह नियम न सिर्फ टेक्निकली बहुत मुश्किल है, बल्कि भारत के Telecom Act की सीमाओं से भी बाहर जाता है। उनके मुताबिक WhatsApp जैसे OTT मैसेजिंग ऐप्स IT Act के तहत आते हैं, Telecom Act के तहत नहीं। इसलिए उन पर टेलीकॉम जैसी सख्त पाबंदियां लगाना ठीक नहीं है और कानूनी सवाल खड़े करता है। फोरम ने चेतावनी दी कि ऐसे एकतरफा नियम गलत मैसेज देते हैं, कंपनियों में भरोसा कम करते हैं और इससे भारत में डिजिटल इनोवेशन पर बुरा असर पड़ सकता है।

SIM Binding के संभावित खतरे?

BIF ने चेतावनी दी है कि अगर केवल चुनिंदा ऐप्स पर यह नियम लागू होगा तो साइबर अपराधी आसानी से ऐसे प्लेटफॉर्म की ओर शिफ्ट हो जाएंगे जो इन नियमों के दायरे में नहीं आते। इससे सुरक्षा का उद्देश्य पूरा नहीं होगा। फोरम ने सरकार से अपील की है कि वह जल्दबाजी रोककर सार्वजनिक चर्चा करे, टेक्निकल वर्किंग ग्रुप बनाए और ऐसा फ्रेमवर्क तैयार करे जो सुरक्षा और प्राइवेसी दोनों को संतुलित रखे। दूसरी ओर telecom कंपनियां सरकार के फैसले को सुरक्षा के लिए जरूरी मान रही हैं। अब सबकी नजर इस बात पर है कि क्या सरकार SIM Binding के नियमों में कोई बदलाव या ढील देती है या फिर 90 दिनों बाद यह बड़ा बदलाव पूरे देश में लागू हो जाएगा।