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Aditya-L1 के सामने बड़ा खतरा! NASA ने दी भयंकर सौर तूफान की चेतावनी

भारत के सौर मिशन Aditya L1 के सामने बड़ा खतरा है। इसरो के इस अंतरिक्षयान को सूर्य की सतह से उठने वाला सौर तूफान यानी CME नुकसान पहुंचा सकता है। नासा ने इस सौर तूफान की एक वीडियो जारी की है।

Edited By: Harshit Harsh

Published: Sep 20, 2023, 09:12 AM IST

adita-L1-solar
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Story Highlights

  • NASA ने सूर्य की सतह के आसपास उठने वाले सौर तूफान का एक वीडियो शेयर किया है।
  • इस सौर तूफान को नासा के स्पेसक्राफ्ट पार्कर ने कैप्चर किया है।
  • इसका प्रभाव भारत के सूर्य मिशन Aditya- L1 पर भी पड़ सकता है।

Aditya-L1 ने हाल ही में पृथ्वी की कक्षा को छोड़ा है और सूर्य की तरफ अपना कदम बढ़ाया है। धरती की कक्षा को छोड़ने के साथ ही उसके लिए बड़ा खतरा इंतजार कर रहा है। NASA ने अपने ब्लॉग पोस्ट के जरिए CME (कोरोनल मास इंजेक्शन) यानी सौर तूफान की एक फुटेज शेयर की है, जिसे बादलों के बीच उड़ते हुए पार्कर सोलर प्रोब ने कैप्चर किया है। इस सौर तूफान को Parker Solar Probe ने 5 सितंबर को अपने कैमरे में कैद किया था। नासा का यह अंतरिक्षयान 2018 में सूर्य के बाहरी कोरोना की स्टडी के लिए लॉन्च किया गया था। हालांकि अमेरिकी अंतरिक्षयान इस भयंकर सौर तूफान से बचने में सफल रहा, लेकिन यह भारत के आदित्य-L1 के लिए खतरा हो सकता है।

सूर्य के पास बढ़ी सौर गतिविधि

NASA द्वारा शेयर किए गए ब्लॉग पोस्ट के मुताबिक, हाल के दिनों में सूर्य के आसपास सौर गतिविधि काफी ज्यादा बढ़ गई है। यह सौर तूफान हाई फ्रिक्वेंसी के साथ पृथ्वी के बाएं, दाएं और केंद्र से टकरा रहे हैं। पृथ्वी के अलावा सौर मंडल में मौजूद अन्य ग्रहों पर भी इस खतरनाक सौर तूफान का असर पड़ रहा है। नासा का पार्कर सोलर मिशन CME यानी सौर तूफान की स्टडी करने के लिए ही लॉन्च किया गया था। अमेरिकी स्पेस एजेंसी इस मिशन के जरिए मौसम के सटीक अनुमान लगाने की संभावनाएं तलाशने की कोशिश कर रही है।

नासा द्वारा 2003 में रिलीज किए गए एक स्टडी पेपर के मुताबिक, CME तारों के आस-पास के डस्ट पार्टिकल के साथ इंटरेक्ट कर सकते हैं। यहां तक की डस्ट पार्टिकल को बाहर की तरफ धकेल भी सकते हैं। इसके जरिए सूर्य के बाहरी वातावरण और वहां के मौसम का अनुमान लगाया जा सकता है। इस अनुमान के जरिए सूर्य के आसपास मौजूद ग्रहों और उपग्रहों को खतरे से बचाया जा सकता है। यही नहीं, इसके जरिए धरती पर मौजूद कम्युनिकेशन सिस्टम, नेविगेशन टेक्नोलॉजी और पावरग्रिड्स को भी खराब होने से रोका जा सकेगा।

Aditya-L1 को भी खतरा?

पार्कर सोलर प्रोब ने पहली बार इस सौर तूफान का अनुभव किया है। ऐसे में यह भी आशंका है कि इस सौर तूफान का असर भारत के सौर मिशन Aditya- L1 पर भी पड़े। हालांकि, ISRO ने इसे लेकर फिलहाल कुछ नहीं कहा है। आदित्य-L1 के लिए अच्छी बात यह है कि यह केवल लॉरेंज प्वाइंट यानी L1 तक ही जाएगा, जो धरती की सतह से मात्र 15 किलोमीटर की दूरी पर है। वहीं, नासा का अंतरिक्षयान पार्कर सोलर प्रोब इससे कहीं दूर है। यह सूर्य से 6.9 मिलियन किलोमीटर यानी 69 लाख किलोमीटर करीब है। इसके अलावा ISRO ने अपने स्पेसक्राफ्ट Aditya- L1 को विशेष धातु से बनाया है, जो CME के बादलों और अन्य खतरों से इसकी रक्षा कर सके।

Author Name | Harshit Harsh

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