Digital Personal Data Protection Bill 2023: मोदी सरकार ने कल यानी 3 अगस्त 2023 को नए पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल को पेश किया है। इस बिल में सरकार ने भारतीय यूजर के डेटा प्राइवेसी (निजता) और सिक्योरिटी (सुरक्षा) का खास ध्यान रखा गया है। केन्द्रीय आईटी मिनिस्टर अश्विणी वैष्णव ने इस बिल को सदन में पेश करते हुए 2017 के माननीय सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का भी जिक्र किया, जिसमें अन्य मौलिक अधिकार की तरह राइट टू प्रिवेसी को भी नागरिकों का मौलिक अधिकार मानने की बात कही थी। केन्द्र सरकार इस बिल के जरिए यूजर डेटा के इस्तेमाल और उसकी स्टोरेज को अंतर्राष्ट्रीय साइबर नियम के स्टैंडर्ड के रखने का काम किया है।
पहले भी लाया गया था बिल
मोदी सरकार इस बिल को सबसे पहले 11 दिसंबर 2019 को संसद में पेश किया गया था। जिसमें निजी डेटा शेयरिंग, उसकी सुरक्षा और स्टोरेज के बारे में कंपनियों को पारदर्शी रहने का प्रावधान है। यही नहीं, प्राइवेट कंपनियों के साथ-साथ सरकार को भी यूजर के निजी डेटा की पूरी तरह से रक्षा करने के लिए कहा गया है। हालांकि, बाद में इस बिल को ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमिटी ने 2021 में रिव्यू किया और सरकार को इसका रिवाइज्ड वर्जन लाने के लिए कहा था।
इस बिल को जस्टिस बी एन श्रीकृष्णा की अगुवाई वाली एक स्पेशल एक्सपर्ट कमिटी ने ड्राफ्ट किया था। आइए, जानते हैं कि इस बिल का आम यूजर की जिंदगी पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
आपकी पहचान रहेगी सुरक्षित
- जिस तरह से पिछले एक दशक में लोगों का रुझान ऑनलाइन शॉपिंग से लेकर सोशल मीडिया और सर्विसेज की तरफ बढ़ा है, ऐसे में उनका निजी डेटा ही उनकी पहचान बन गई है। एक आम नागरिक के लिए अपनी पहचान यानी आइडेंटिडी की रक्षा करना बेहद जरूरी हो गया है।
- आए दिन साइबर क्राइम, डेटा लीक की घटनाएं सामने आ रही हैं। सरकार इसके लिए जरूरी कदम तो उठा रही है, लेकिन साइबर अपराधों के मामले कम नहीं हो रहे हैं।
- लोगों की पहचान की रक्षा करना सरकार का काम है, जिसके लिए बेहद कड़ा कानून जरूरी हो गया है। यह नया पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल हर भारतीय के निजी डेटा को दुनिया के सिकी भी कोने में सुरक्षित कर देगा।
जुर्माना और कड़े प्रावधान
- इस बिल यानी विधेयक में यह प्रावधान है कि सरकार द्वारा एक डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड की स्थापना की जाएगी। यह बोर्ड यूजर और उनका डेटा प्रोसेस करने वाली कंपनी या संस्था के बीच गोपनीयता संबंधी शिकायतों और विवादों का निपटारा करने वाले निकाय के तौर पर काम करेगा। इस बोर्ड के मुख्य कार्यकारी और सदस्यों की नियुक्ति केन्द्र सरकार के द्वारा की जाएगी।
- अगर किसी प्लेटफॉर्म और संस्थान द्वारा यूजर के डेटा को लेकर नियमों का उल्लंघन किया जाएगा तो अधिकतम 250 करोड़ रुपये प्रति उदाहरण जुर्माना लगेगा। यह या तो एक डेटा उल्लंघन या इससे प्रभावित व्यक्तियों की संख्या को 250 करोड़ रुपये से गुणा करने का उल्लेख किया जा सकता है।
आम आदमी का फायदा
- आम आदमी के फायदे की बात करें तो इस बिल के जरिए उन्हें निजता का अधिकार मिल जाएगा।
- अब उनकी मर्जी के बिना न तो कोई कंपनी या सर्विस प्रोवाइडर उनका डेटा इस्तेमाल कर पाएगी और न ही उन्हें स्टोर कर पाएगा।
- सोशल मीडिया कंपनियों जैसे कि फेसबुक, ट्विटर (X), इंस्टाग्राम, गूगल, टेलीग्राम आदि यूजर्स के डेटा का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए नहीं कर पाएंगी। उन्हें भारतीय यूजर्स का डेटा सशर्त केवल भारत में ही स्टोर करने दिया जाएगा। उनके डेटा सर्वर भारत में ही बनाने होंगे।
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