Edited By: Harshit Harsh | Published By: Harshit Harsh | Published: Apr 27, 2023, 04:20 PM (IST)
अमेरिकी एयरपोर्ट पर चीन से आए 2.3 करोड़ रुपये के फर्जी Apple प्रोडक्ट्स पकड़े गए हैं। अमेरिका के वाशिंगटन डल्स इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर एप्पल के ये प्रोडक्ट्स जब्त किए गए हैं, जिनकी कीमत 2,90,000 डॉलर यानी लगभग 2.36 करोड़ रुपये है। अमेरिकी मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, एप्पल के प्रोडक्ट्स में AirPods और Apple Watch शामिल थे, जिसे चीन से अमेरिका के वर्जिनिया में भेजा जा रहा था। और पढें: Apple का नया iOS 26.2 अपडेट जल्द होगा लॉन्च, iPhone में मिलेंगे नए लॉक स्क्रीन इफेक्ट्स और स्क्रीन फ्लैश नोटिफिकेशन जैसे फीचर्स
मार्च के महीने में अमेरिकी एयरपोर्ट ऑफिशियल ने चीन से आए एप्पल के हजारों फर्जी प्रोडक्ट्स जब्त किए हैं। NBC वाशिंगटन की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन से इन फर्जी एप्पल प्रोडक्ट्स को 15 मार्च को शिप किया गया था, जिनमें 1,000 Apple AirPods Pro और 50 Apple Watches शामिल थें। अमेरिकी कस्टम और बॉर्डर प्रोटेक्शन ने 29 मार्च को इन प्रोडक्ट्स को जब्त किया था। और पढें: iPhone 17 Pro Max हुआ 5000 रुपये का सस्ता, Amazon-Flipkart नहीं यहां मिलेगा जबरदस्त Discount
अमेरिकी कस्टम डिपार्टमेंट के अधिकारियों ने जांच में पाया कि ये एप्पल प्रोडक्ट्स नकली हैं। एप्पल के AirPods और Watches कंपनी के सिग्नेचर सैम्प्ल के साथ पैक किए गए थे। हालांकि, अभी तक इन फर्जी प्रोडक्ट्स को लेकर कोई भी जुर्माना तय नहीं किया गया है।
Apple लंबे समय से नकली AirPods और AirPods Pro की वजह से परेशान है। 2021 में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, एप्पल को इसकी वजह से करीब 3.2 बिलियन डॉलर यानी लगभग 26 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। एप्पल ने iOS 16 में ऐसा फीचर जोड़ा है, जो बताता है कि आपने नकली AirPods के साथ डिवाइस कनेक्ट किया है।
iOS 16 के लेटेस्ट अपडेट में यूजर्स को यह फीचर मिलता है, जिसमें नकली डिवाइस को iPhone से पेयर करने पर यूजर्स को एक अलर्ट मिलता है, जिसमें स्क्रीन पर नोटिफिकेशन मिलता है कि जिस हेडफोन को कनेक्ट किया गया है, वो नकली है। यूजर्स iOS 16 के इस फीचर का इस्तेमाल करके नकली वियरेबल डिवाइसेज का पता लगा सकते हैं।
Apple एक ऐसे नए सिस्टम पर काम कर रहा है, जो लोकेशन के हिसाब से iOS के फीचर्स प्रतिबंधित कर देगा। इस फीचर को iOS के हिडन डिजाइन में स्पॉट किया गया है, जिसे कंपनी फिलहाल टेस्ट कर रही है। इसके लिए एप्पल के इंजीनियर्स हार्ड कोडिंग टेक्निक का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो यूजर के लोकेशन के हिसाब से फीचर्स को रिस्ट्रिक्ट कर देगा।