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Apple और Meta के खिलाफ बड़ा एक्शन! EU ने लगाया करोड़ों का जुर्माना, जानें वजह

Apple और Meta पर यूरोपियन यूनियन (EU) ने भारी जुर्मना लगाया है। दरअसल, दोनों ही कंपनियों पर Digital Markets Act (DMA) के उल्लंघन का आरोप लगा है। आइए जानते हैं सभी डिटेल्स।

Published By: Manisha | Published: Apr 24, 2025, 03:36 PM (IST)

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यूरोपियन यूनियन (EU) ने एक बार फिर बड़ी टेक कंपनियों पर गहरा वार किया है। इस बार वार Apple और Meta पर किया गया है। ईयू ने एप्पल और मेटा जैसी बड़ी टेक कंपनियों पर करोड़ों रुपयों का जुर्माना लगाया है। इन कंपनियों पर यूरोपियन यूनियन के Digital Markets Act (DMA) के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है। इस पर लगभग पिछले साल से जांच चल रही थी, जिसके बाद पाया गया कि ये दोनों ही कंपनियां इस एक्ट का अनुपालन नहीं कर रही। आइए जानते हैं सभी डिटेल्स। news और पढें: दीपिका पादुकोण की आवाज में Meta AI करेगा बात, अब स्मार्ट ग्लासेस से ही होगा UPI पेमेंट

Meta और Apple पर करोड़ों का जुर्माना

DMA के उल्लंघन के आरोप में EU ने Facebook और Instagram बनाने वाली कंपनी Meta पर €200 मिलियन और Apple पर €500 मिलियन का जु्र्माना लगाया गया है। EU के इस कदम से अमेरिका और यूरोज के रिश्तों में खटास आ सकती है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में कई देशों पर भारी टैरिफ की घोषणा की थी। news और पढें: Apple Vision Pro हुआ अपग्रेड, M5 चिप के साथ मिलेगी बड़ी बैटरी, इतनी है कीमत

क्या है मुद्दा?

DMA (डिजिटल मार्केट एक्ट) एक यूरोपियन संघ विनियमन है, जिसका उद्देश्य मार्केट में मौजूद बड़ी कंपनियों के दबदबे को कंट्रोल करना और छोटी कंपनियों को मार्केट में बराबरी का मौका मिलना है। पिछले 1 साल से EU इस मामले की जांच कर रही हैं कि क्या ये कंपनियां डिजिटल मार्केट एक्ट के नियमों का पालन कर रही हैं या नहीं। इसी मामले के तहत बुधवार को Meta और Apple पर EU ने भारी जुर्माना लगाया है। news और पढें: Apple ने M5 Chip के साथ लॉन्च किया 14-inch MacBook Pro, जानें कीमत और फीचर्स

Apple पर आरोप लगा है कि वह App Store पर मौजूद डेवलपर्स को इतनी आजादी नहीं देते हैं कि वह स्टोर से बाहर यूजर्स को अपने बेनेफिट्स प्रोवाइड कर सकें। वहीं, दूसरी ओर Meta पर “consent or pay” मॉडल के तहत जुर्माना लगाया गया है। इस मॉडल के तहत Facebook और Instagram पर फ्री सर्विस के लिए यूजर्स से कंसेंट लिया जाता है, ताकि उन्हें प्लेटफॉर्म पर उनके पर्सनल डेटा के आधार पर पर्सनलाइज्ड विज्ञापन दिखाए जाएं। यदि यूजर्स विज्ञापन नहीं देखना चाहते, तो उन्हें एड-फ्री सर्विस के लिए मंथली सब्सक्रिप्शन लेना पड़ता है।