comscore

भारत ने AI टेस्टिंग के लिए रॉयल्टी सिस्टम लागू करने का रखा प्रस्ताव, जानें इससे Google और OpenAI जैसी कंपनियों क्या पड़ेगा फर्क

भारत ने AI टेस्टिंग के लिए बड़ा कदम उठाया है। अब Google और OpenAI जैसी कंपनियों को कॉपीराइटेड कंटेंट इस्तेमाल करने के लिए लाइसेंस और रॉयल्टी भुगतान करना पड़ सकता है। आइए जानते हैं...

Published By: Ashutosh Ojha | Published: Dec 10, 2025, 05:55 PM (IST)

  • whatsapp
  • twitter
  • facebook
  • whatsapp
  • twitter
  • facebook

भारत ने बड़ी टेक कंपनियां जैसे Google और OpenAI द्वारा AI मॉडल की टेस्टिंग के लिए यूज किए जाने वाले डेटा को लेकर एक नया कदम उठाया है। सरकार ने 8 दिसंबर को एक वर्किंग पेपर जारी किया जिसमें सुझाव दिया गया है कि AI कंपनियों को कॉपीराइटेड चीजों का यूज करने के लिए लाइसेंस लेना और रॉयल्टी का भुगतान करना अनिवार्य किया जाए। यह कदम देश में AI नियमन की दिशा में एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है। प्रस्ताव के अनुसार अगर यह लागू होता है तो दुनिया के उन पहले देशों में से एक होगा, जहां AI टेस्टिंग के लिए संरचित रॉयल्टी सिस्टम लागू की जाएगी।

यह प्रस्ताव क्यों आया?

इस मामले की जांच के लिए हिमानी पांडे की अध्यक्षता में 8 लोगों की एक समिति बनाई गई थी। समिति ने देखा कि अभी भारत के कॉपीराइट कानून AI मॉडल की टेस्टिंग के लिए क्रिएटिव चीजों (जैसे गाने, फिल्में, डिजिटल कंटेंट) का इस्तेमाल पूरी तरह से कंट्रोल नहीं कर पा रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि म्यूजिक, फिल्म, डिजिटल कंटेंट और लोक कला जैसी चीजें हमारी अर्थव्यवस्था के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं और ये GDP और रोजगार में बड़ा योगदान देती हैं। इसलिए AI डेवलपर्स को क्रिएटर्स को पैसे दिए बिना उनका कंटेंट इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए।

क्या है हाइब्रिड मॉडल?

भारत की प्रमुख टेक संस्थाओं जैसे NASSCOM और Business Software Alliance ने बड़ी कंपनियों की ओर से सुझाव दिया था कि Text-and-Data Mining (TDM) के लिए ऑप्ट-आउट मॉडल अपनाया जाए। इसमें क्रिएटर्स को यह तय करने का अधिकार होगा कि वे अपने कंटेंट को AI टेस्टिंग के लिए उपलब्ध कराना चाहते हैं या नहीं। हालांकि मीडिया और छोटे क्रिएटर्स ने इसका विरोध किया, क्योंकि उनका कहना है कि यह बड़े टेक प्लेटफॉर्म को फायदा पहुंचाएगा और छोटे क्रिएटर्स के लिए नुकसानदायक होगा। इसके बाद समिति ने हाइब्रिड लाइसेंसिंग मॉडल का सुझाव दिया है, जिसमें AI डेवलपर्स को सभी कानूनी रूप से एक्सेस की गई कॉपीराइटेड चीजों पर टेस्टिंग करने की अनुमति होगी लेकिन उन्हें रॉयल्टी का भुगतान केंद्रीय संस्था ‘Copyright Royalties Collective for AI Training (CRCAT)’ के माध्यम से करना होगा।

क्रिएटर्स के अधिकार और AI डेवलपर्स की जिम्मेदारी क्या होगी?

प्रस्ताव के अनुसार क्रिएटर्स अपने कंटेंट को इस्तेमाल से रोक नहीं सकते लेकिन उन्हें कानूनी रूप से तय रॉयल्टी प्राप्त करने का अधिकार होगा। गैर-सदस्यों के पास भी रॉयल्टी का दावा करने का अधिकार होगा अगर उन्होंने अपने कंटेंट को रजिस्टर किया हो। इसके अलावा अगर कोई क्रिएटर दावे के साथ सामने आता है कि उनका कंटेंट बिना भुगतान के इस्तेमाल किया गया तो इसे कानून के अनुसार उल्लंघन माना जाएगा और इस स्थिति में AI डेवलपर को यह साबित करना होगा कि उन्होंने कोई कॉपीराइटेड चीज का अवैध यूज नहीं किया। इस प्रस्ताव को जनता की राय के लिए 30 दिनों के लिए रखा गया है। अगर इसे लागू किया गया तो भारत AI टेस्टिंग के लिए रॉयल्टी सिस्टम वाले पहले प्रमुख देशों में शामिल हो जाएगा।