comscore

Chandrayaan 3 on Moon: लैंडिंग के बाद क्या करेगा प्रज्ञान रोवर? 14 दिन बाद हो पाएगी वापसी?

Chandrayaan 3 की सफल लैंडिंग के बाद इसमें मौजूद प्रज्ञान रोवर अगले 14 दिनों तक क्या करेगा? क्या वो 14 दिनों के बाद धरती पर वापस लौट आएगा या फिर चांद पर ही रह जाएगा?

Edited By: Harshit Harsh | Published By: Harshit Harsh | Published: Aug 24, 2023, 01:29 PM (IST)

  • whatsapp
  • twitter
  • facebook

Highlights

  • भारत के सफल चंद्रयान-3 मिशन का अहम पड़ाव शुरू हो गया है।
  • चांद की सतह पर लैंड करने के बाद इसका प्रज्ञान रोवर अपना काम शुरू कर देगा।
  • अगले 14 दिन यानी एक लूनर डे के लिए रोवर अपने मिशन पर रहेगा।
  • whatsapp
  • twitter
  • facebook

Chandrayaan 3 on Moon: भारत का चंद्रयान-3 ने इतिहास रचते हुए कल यानी 23 अगस्त की शाम को चांद पर कदम रखा है। ISRO के लिए अगले 14 दिन अहम रहने वाले हैं। अगले 14 दिनों तक विक्रम लैंडर मॉड्यूल में मौजूद प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर उतरकर वहां के वातावरण और सतह पर मौजूद खनिज संपदाओं की जांच करेगा। इसरो ने प्रज्ञान रोवर मिशन की लाइफ एक लूनर डे यानी धरती के 14 दिन के बारबर रखी है। अब सवाल यह उठ रहा है कि 14 दिनों के बाद चांद की सतह पर उतरे विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर क्या करेंगे? क्या वो धरती पर वापस लौट आएंगे या फिर चांद की सतह पर हमेशा के लिए मौजूद रहेंगे? news और पढें: Free Fire Max Daily Special: आधे Diamond में मिल रहा Moon Flip इमोट, अभी करें क्लेम

नहीं लौटेंगे लैंडर और रोवर

आपको बता दें कि इसरो ने विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को ‘वन-वे टिकट’ के साथ चांद पर भेजा है यानी ये अब दोबारा धरती पर नहीं लौटेंगे। विक्रम लैंडर में इतना ही फ्यूल भरा गया था, जितने में वह चांद की सतह पर उतर सके। वहीं, प्रज्ञान रोवर में सोलर पैनल और एंटीना लगें हैं, जिसके जरिए इसे एनर्जी मिलेगी और इसके साथ कम्युनिकेट किया जा सकेगा। प्रज्ञान रोवर इसरो के कमांड सेंटर ISTRAC से डायरेक्ट कनेक्टेड नहीं है। इसके लिए विक्रम लैंडर कम्युनिकेशन मीडियम है। news और पढें: Free Fire Max Daily Special: आधे दाम में मिल रहा Moon Flip इमोट, क्लेम करने का सुनहरा मौका

प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर लैंडिंग साइट के आस-पास अपने ऑपरेशन को अंजाम देगा। इस दौरान वो विक्रम लैंडर को अपना डेटा कमांड देगा, जिसे विक्रम लैंडर IDSN (इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क) कम्युनिकेशन के जरिए धरती पर पहुंचाएगा। रिपोर्ट के मुताबिक, चांद पर दिन के समय तापमान 100 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। वहीं, रात के समय यहां कड़ाके की सर्दी होती है और तापमान माइनस 200 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है। news और पढें: Gaganyaan Mission में इंसान से पहले ‘हाफ-ह्यूमनॉइड Vyommitra’ जाएगा अंतरिक्ष में, क्या है इसके पीछे ISRO का मास्टरप्लान?

चंद्रयान-3 की लैंडिंग के समय चांद के दक्षिणी ध्रुव पर दिन था। इसकी वजह से प्रज्ञान रोवर को सूरज की रोशनी के जरिए एनर्जी मिलती रहेगी और वह अपना काम करता रहेगा। 14 दिन बाद जब दक्षिणी ध्रुव पर अंधेरा हो जाएगा, तो रोवर इनएक्टिवेट हो जाएगा और इससे कम्युनिकेशन संभव नहीं हो पाएगी। हालांकि, ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि फिर से दिन होने के बाद प्रज्ञान रोवर फिर से काम करने लगेगा, लेकिन इसरो ने इस मिशन की अवधि केवल 14 दिनों की रखी है। आगे इसका क्या होगा, इसके बारे में नहीं बताया है।

लैंडिंग के 2.5 घंटे बाद लैंडर से निकला रोवर

चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर की सफलतापूर्वक हुई सॉफ्ट लैंडिंग के करीब 2.5 घंटे के बाद प्रज्ञान रोवर इससे बाहर निकला। इसकी वजह लैंडिंग की वजह से उड़ने वाला धूल है। लैंडिंग के दौरान करीब 2.5 घंटे तक चांद के वातावरण में धूल उड़ रहे थे। धूल बैठने के बाद ही प्रज्ञान रोवर को चांद की सतह पर एक्सपेरिमेंट करने के लिए उतरा। प्रज्ञान रोवर अपने दोनों पेलोड्स- लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप और अल्फा पार्टिकल X-Ray स्पेक्ट्रोमीटर (APXS) लगे हैं। इन पेलोड्स के जरिए प्रज्ञान रोवर चांद के वातावरण और सतह का क्वालिटेटिव और क्वांटिटेटिव एनालिसिस कर पाएगा।

14 दिनों तक क्या करेगा प्रज्ञान रोवर?

प्रज्ञान रोवर में 6 पहिए लगे हैं और इसमें 50W की पावर जेनरेशन की जा सकती है। चांद की सतह पर यह एक सेंटीमीटर प्रति सेकेंड की स्पीड से चलेगा और अपने स्पेक्ट्रोमीटर्स पेलोड्स की मदद से जानकारियां जुटाएगा। वहां पर मौजूद केमिकल एलिमेंट्स और IONS की मात्रा की भी जांच करेगा। प्रज्ञान रोवर के पहिए में इसरो का लोगो और अशोक स्तंभ लगा है। वो चांद की सतह पर जहां-जहां चलेगा वहां अपने निशान छोड़ता जाएगा। हालांकि, अभी इसरो ने यह नहीं बताया है कि 14 दिनों में वह चांद की सतह पर कितनी दूरी तय करेगा और कहां तक जाएगा।