Written By Mona Dixit
Published By: Mona Dixit | Published: Aug 24, 2023, 10:07 AM (IST)
Image: ISRO
Chandrayaan 3 की चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग के बाद आज पूरे देश में जश्न मनाया जा रहा है। लोगों में उत्साह देखने को मिल रहा है। चांद के दक्षिण ध्रुव पर पहुंचकर भारत ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। चंद्रयान 3 के जरिए धरती को चांद के दक्षिण ध्रुप की जानकारी मिलेगा। देश का यह मून मिशन कई मायमों में बहुत महत्वपूर्ण और उपलब्धि भरा है। इस मिशन की सफलता से देश की अर्थव्यव्स्था समेत कई चीजों पर अच्छा प्रभाव देखने को मिल रहा है। और पढें: Chandryaan 3: चांद पर आज होगी सुबह, ISRO ने बताया इस दिन जागेंगे प्रज्ञान और विक्रम
अगर आप सोच रहे हैं कि चंद्रयान 3 मिशन के क्या मायने हैं और यह किस तरह से भारत के लिए उपलब्धि भरा है तो यह आर्टिकल पढ़ें। यहां भारत के इस अहम मिशन के मायनें बताए गए हैं। और पढें: Chandrayaan 3: PM Modi की बड़ी घोषणा, 23 अगस्त को मनाया जाएगा National Space Day
Chandrayaan 3 मिशन की सबसे खास बात यह है कि इसकी चंद्रमा पर सफलता पूर्वक लैंडिंग ने भारत को अमेरिका, रूस और चीन जैसे शक्तिशाली देशों के साथ खड़ा कर दिया है। इससे पहले ये देश भी चांद की सतह पर उतर चुके हैं। हालांकि, भारत दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश है। इससे भारत का अन्य देशों में दबदबा बढ़ा है और भारत को भी एक पावरफुल देशों में गिना जाएगा। और पढें: Chandrayaan 3: दुनिया हैरान, हॉलीवुड फिल्मों की लागत से कम खर्चे में भारत पहुंचा चांद पर
इसके साथ अब भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव का इतिहास जान पाएगा। वहां के रहस्य और लोगों में माना जाने वाले मिथ को दूर करेगा। भारत अन्य देशों से पहले दक्षिणी ध्रुप पर मौजूद चीजों और इतिहास को स्टडी कर सकेगा। वहां की भूवैज्ञानिक विशेषताएं, चट्टान संरचनाएं और प्रभाव क्रेटर, चंद्रमा की उत्पत्ति, विकास और भूवैज्ञानिक परिवर्तनों के बारे में जानकारी मिलेगी।
इस मून मिशन से देश को स्पेस साइंस के क्षेत्र में भी बढ़ावा मिलेगा। भारत स्पेस साइंस में जल्द और आसानी से तरक्की कर पाएगा। अनुमान लगाए जा रहे हैं कि अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था साल 2040 तक 100 डॉलर के पार हो जाएगी।
Chandrayaan 3 की सफलता पूर्वक लैंडिंग से खगोलशास्त्री को भी फायदा होगा। उन्हें सालों से दबे हुए ब्रह्मांड के रहस्य और इतिहास की जानकारी मिलेगी। भारत को रेडियो टेलीस्कोप निर्माण में भी मदद मिलेगी। वह इसका केंद्र बन सकता है, जो कि किसी भी देश के लिए एक बड़ी उपलब्धता है।
मिशन के लिए यूज होने वाली अधिकतर टेक्नोलॉजी और उपकरण को भारत में भारतीय कंपनियों जैसे BHEL, HAL और Tata Steel ने बनाया है। इससे भारत की कंपनियों और उपकरणों पर विदेशियों का भरोसा बढ़ेगा और इससे अर्थव्यवस्था में भी इजाफा देखने को मिलेगा। देश में अंतरिक्ष से जुड़े 100 से अधिक स्टार्ट अप हैं।
इस मिशन की लैंडिंग में AI और टेक्नोलॉजी ने अहम भूमिका निभाई है। मून मिशन को कठिन जगहों पर रोबोट से 100 प्रतिशत काम करने की टेक्नोलॉजी का एक एक्सपेरिमेंट माना जा रहा है। इससे पता चल गया है जहां लोग नहीं जा सकते हैं, वहां रोबोट के जरिए काम कराया जा सकता है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि चंद्रयान-3 का लैंडर जब चांद पर उतर रहा था, तब ISRO धरती से उसे कोई कमांड नहीं दे रहा था। लैंडर AI और कम्प्यूटर लॉजिक का यूज करके चांद की सतह पर उतरा है।