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Chandrayaan 3 में इस्तेमाल हुई ये टेक्नोलॉजी, ISRO के मिशन को बनाएगी कामयाब!

Chandrayaan 3 मून मिशन के लिए आज यानी 23 अगस्त को अहम दिन है। अब से करीब एक घंटे बाद चंद्रयान 3 का विक्रम लैंडर चांद की सतह पर उतरने वाला है। इसमें मौजूद प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर 14 दिनों तक एक्सपेरिमेंट करेगा।

Published By: Harshit Harsh

Published: Aug 23, 2023, 05:14 PM IST | Updated: Aug 23, 2023, 06:49 PM IST

Chandrayaan-3

Story Highlights

  • Chandrayaan 3 मिशन को सफल बनाने के लिए ISRO ने कई अहम टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया है।
  • चंद्रयान 3 मिशन से भारत ही नहीं दुनिया को बड़ी उम्मीद है।
  • रूस के Luna-25 मिशन के फेल होने के बाद से इस मिशन को लेकर संदेह बना हुआ है।

Chandrayaan 3 का विक्रम लैंडर आज 23 अगस्त को 6:04 बजे चांद की सतह पर लैंड करेगा। ISRO के इस मून मिशन पर पूरी दुनिया की नजर बनी हुई है। चंद्रयान-3 मिशन को पिछले महीने 14 जुलाई को लॉन्च किया गया था। चंद्रयान 3 ने धरती की कक्षा को छोड़ने के बाद प्लान के हिसाब से हर बाधा को सफलतापूर्वक पार कर लिया है। पृथ्वी की कक्षा को छोड़ने के 40 दिन बाद चंद्रयान 3 का लैंडर आज चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के साथ अपनी आखिरी बाधा को पार कर लेगा। भारतीय स्पेस एजेंसी चंद्रयान 3 मिशन के सफल होने को लेकर आश्वस्त है।

2019 में फेल हुए चंद्रयान-2 मिशन से सबक लेते हुए इसरो ने इस बार खास टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया है, जो इसकी सॉफ्ट लैंडिंग को सफल बनाएगा। चंद्रयान 3 मिशन सफल होने के बाद भारत दुनिया का पहला देश बन जाएगा, जो इसके दक्षिणी ध्रुव के करीब पहुंचेगा।चंद्रयान 3 में तीन कांपोनेंट्स दिए गए हैं, जिनमें विक्रम लैंडर, प्रज्ञान रोवर और प्रपल्शन मॉड्यूल शामिल हैं। लैंडर और रोवर चंद्रयान 3 के प्रपल्शन मॉड्यूल से 17 अगस्त को अलग हो चुके हैं। प्रपल्शन मॉड्यूल चांद की कक्षा में चक्कर लगा रहा है और ISRO से कम्युनिकेट कर रहा है। चांद की सतह पर लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग होने के बाद इसका रोवर चांद की सतह का अध्ययन करेगा।

प्रपल्शन मॉड्यूल (Propulsion Module)

ISRO के मुताबिक, चंद्रयान 3 के प्रपल्शन मॉड्यूल में स्पेक्ट्रोपोलरीमेट्री पेलोड दिया गया है। यह अपने ऑर्बिट में कुछ समय तक रहेगा और कुछ एक्सपेरिमेंट्स करेगा। यह मॉड्यूल धरती के बादलों के वेरिएशन्स को मापेगा। इसमे 440N लिक्विड इंजन और एक स्टार सेंसर के साथ-साथ TTC एंटेना और एक सोलर पैनल दिया गया है, जो इसे अपनी कक्षा में घूमने और एक्सपेरिमेंट करने में मदद करेगा।

विक्रम लैंडर (Vikram Lander)

चंद्रयान-3 का यह अहम हिस्सा है। आज यानी 23 अगस्त को यह चांद की सतह पर लैंड करेगा। इसमें कुल 9 सेंसर लगे हैं, जो चांद की सतह पर इसे सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंड करने में मदद करेगा। यह चांद की सतह पर उतरने के बाद एक लूनर डे यानी 14 दिनों तक एक्सपेरिमेंट करेगा। इसमें रेडियो एंटामोनी मून बाउंड हाइपरसेंसिटिव आयनोस्फेयर और एटमसफेयर पेलोड्स लगे हैं। ISRO के मुताबिक, विक्रम लैंडर चांद की सतह पर उतरने के साथ-साथ रोवर को वहां की जांच करने में भी मदद करेगा।

प्रज्ञान रोवर (Pragyan Rover)

चांद की सतह से प्रज्ञान रोवर अहम जानकारियां इकट्ठा करेगा। इसमें दो पेलोड्स- LASER इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (LIBS) और अल्फा पार्टिकल X-Ray स्पेक्ट्रोमीटर (APXS) लगे हैं। ये दोनों पेलोड्स चांद की सतह और वातावरण की जांच करेंगे। इसके LIBS पेलोड का काम चांद की सतह पर मौजूद एलिमेंट्स का क्लालिटेटिव और क्वांटिटेटिव एनालिसिस करना है।

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Author Name | Harshit Harsh

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