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Chandrayaan 3 on Moon: ISRO ने रचा इतिहास, चांद पर उतरा भारत का चंद्रयान 3

Chandrayaan 3 on Moon: भारतीय स्पेस एजेंसी ISRO ने चांद की सतह पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग कर ली है। चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने के साथ ही भारत यहां पहुंचने वाला पहला देश बन गया है।

Published By: Harshit Harsh

Published: Aug 23, 2023, 06:07 PM IST | Updated: Aug 23, 2023, 06:48 PM IST

Chandrayaan-3 spacecraft has landed on the moon successfully

Story Highlights

  • Chandrayaan 3 ने इतिहास रच दिया है और चांद की सतह पर उतर गया है।
  • ISRO दुनिया की पहली स्पेस एजेंसी बन गई है, जिसने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर कदम रखा है।
  • चंद्रयान 3 के विक्रम लैंडर और रोवर अगले 14 दिनों तक चांद की सतह पर रहेंगे।

Chandrayaan 3 on Moon: चंद्रयान 3 चंद्रमा पर सफलतापूर्वक लैंड हो गया है। भारत दुनिया का पहला देश बना गया है, जिसने चांद के दक्षिणी ध्रुव के करीब चंद्रयान 3 उतारा है। ISRO का यह मून मिशन 14 जुलाई को शुरू हुआ था। विक्रम लैंडर के चांद पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग करते ही इस मून मिशन के अहम पड़ाव को पार कर लिया है। विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर अगले 14 दिनों तक चांद की सतह पर रहेंगे और वहां के वातावरण आदि की जांच करेंगे।

चंद्रयान 3 की सफल लैंडिंग के साथ भारत दुनिया का चौथा देश बन गया, जिसने चांद की सतह पर कदम रखा है। दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापुर्वक पहुंचने वाला भारत दुनिया का पहला और एकलौता देश है। रूस के लूना-25 मिशन फेल होने के बाद से चंद्रयान-3 की लैंडिंग को लेकर सबके मन में संदेह बना हुआ था, लेकिन 140 करोड़ लोगों की प्रार्थना और 16 हजार से ज्यादा वैज्ञानिकों की मेहनत रंग लाई और भारत ने इतिहास रच दिया है।

चंद्रयान 3 की लैंडिग के अहम पड़ाव

चांद की सतह पर उतरते समय विक्रम लैंडर की स्पीड 1.68 मीटर प्रति सेकेंड थी। विक्रम लैंडर ने पहले स्टेज में 25 किलोमीटर की ऊंचाई से चांद की सतह पर उतने की यात्रा शुरू की थी। उसे दूसरे स्टेज तक पहुंचने में 11.5 मिनट का समय लगा, जो 7.4 किलोमीटर की ऊंचाई पर था। यहां पहुंचने तक विक्रम लैंडर की गति 358 मीटर प्रति सेकेंड थी। तीसरे और अगले पड़ाव पर पहुंचने के दौरान इसकी गति 336 मीटर प्रति सेंकेंड की थी। इसका तीसरा पड़ाव 6.8 किलोमीटर की ऊंचाई पर था।

विक्रम लैंडर के लिए लैंडिंग का चौथा पड़ाव 800 मीटर की ऊंचाई पर था, जहां इसके सेंसर्स चांद की सतह पर लेजर किरणें डालकर लैंडिंग की सही जगह खोजने लगे। 150 मीटर की ऊंचाई तक पहुंचने के बाद इसकी गति 60 मीटर प्रति घंटे की रह गई। इसके बाद 60 मीटर की ऊंचाई पर इसकी गति 40 मीटर प्रति सेकेंड थी। वहीं, 10 मीटर की ऊंचाई पर इसकी गति कम होकर महज 10 मीटर प्रति सेकेंड रह गई। अगले ही पल इसने चांद की सतह पर सफलतापूर्वक लैंडिंग कर ली।

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Author Name | Harshit Harsh

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