
Chandrayaan-3 चांद के और करीब पहुंच गया है। ISRO के इस स्पेसक्राफ्ट से लैंडर मॉड्यूल (LM) सफलतापूर्वक अलग हो गया है। अगले 5 दिनों में यह चांद की सतह पर लैंड कर सकता है। चंद्रयान-3 में भी चंद्रयान-2 की तरह ही लैंडर मॉड्यूल में विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर शामिल हैं, जो चांद की सतह पर उतरकर वहां के वातावरण की जानकारी इकट्ठा करेगा और भारतीय स्पेस एंजेसी को बताएगा। भारत का यह मून मिशन इसलिए भी खास है क्योंकि पहली बार किसी देश ने चांद के दक्षिणी ध्रूव पर उतरने की तैयारी की है। भारत के बाद अब रूस ने भी अपने लूना (Luna) स्पेसक्राफ्ट को चांद के दक्षिणी ध्रूव पर हाल ही में भेजा है। यह भी चंद्रयान-3 के साथ-साथ चांद की सतह पर उतर सकता है।
ISRO ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा है, ‘इस यात्रा के लिए धन्यवाद, दोस्त!’ लैंडर मॉड्यूल (LM) ने यह मैसेज भेजा है और सफलतापूर्वक पर्पलशन मॉड्यूल (PM) से अलग हो गया है। चांद के वातावरण के सबसे निचली कक्षा में प्रवेश करने से पहले लैंडर मॉड्यूल इसके पर्पलशन मॉड्यूल से अलग हुआ है। इस मॉड्यूल ने चंद्रयान-3 को धरती की कक्षा से चांद की कक्षा में प्रवेश कराया था। ISRO ने अपने X पोस्ट में बताया कि इसकी डिबूस्टिंग कल यानी 18 अगस्त को शाम 4 बजे होगी।
Chandrayaan-3 Mission:
‘Thanks for the ride, mate! 👋’
said the Lander Module (LM).LM is successfully separated from the Propulsion Module (PM)
LM is set to descend to a slightly lower orbit upon a deboosting planned for tomorrow around 1600 Hrs., IST.
Now, 🇮🇳 has3⃣ 🛰️🛰️🛰️… pic.twitter.com/rJKkPSr6Ct
— ISRO (@isro) August 17, 2023
ISRO ने बताया कि चंद्रयान-3 से लैंडर मॉड्यूल के अलग होने के बाद यह डिबूस्ट प्रक्रिया से गुजरेगा। यह प्रक्रिया लैंडर मॉड्यूल की स्पीड को कम करता है, ताकि चंद्रमा की सतह पर उतरते समय इसकी गति कम हो सके और यह आसानी सै लैंड कर सके। इस प्रक्रिया के बाद चंद्रयान-3 का लैंडर चांद की सबसे करीबी कक्षा Peilune (पेरीलून) में प्रवेश करेगा, जो इसकी सतह से 100 किलोमीटर की दूरी पर है। इसके बाद यह चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंड करेगा।
Chandrayaan-3 को ISRO ने पिछले महीने 14 जुलाई को लॉन्च किया था। चंद्रयान-3 ने इस महीने 5 अगस्त को चांद की कक्षा में प्रवेश किया था। पिछले 12 दिनों तक चांद के चक्कर लगाने के बाद आज यानी 17 अगस्त को यह चांद की सबसे निचली कक्षा के करीब पहुंच गया, जहां इसका लैंडर मॉड्यूल इससे अलग हो गया। हालांकि, इसका प्रपर्सन मॉड्यूल कई महीनों तक चांद के निचली कक्षा के बाहर चक्कर लगाता रहेगा। चंद्रयान-3 के लिए यह सबसे अहम पड़ाव होगा। डिबूस्टिंग मोड में लैंडर मॉड्यूल की गति कम होती रहेगी और चांद की सतह से 30 किलोमीटर की ऊंचाई से यह लैंडिंंग करने का प्रयास करेगा।
टेक्नोलॉजी और ऑटोमोबाइल की लेटेस्ट खबरों के लिए आप हमें व्हाट्सऐप चैनल, फेसबुक, यूट्यूब और X, पर फॉलो करें।Author Name | Harshit Harsh
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