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सोशल मीडिया और इंटरनेट बच्चों को बना रहे मानसिक रोगी, जानें पैरेंट्स कैसे कर सकेंगे कंट्रोल

सोशल मीडिया और इंटरनेट की लत की वजह से बच्चों के मानसिक हालात पर बुरा असर पड़ रहा है। एक सर्वे में कई पैरेंट्स ने माना है कि सोशल मीडिया और इंटरनेट की वजह से उनके बच्चे मानसिक रोगी बन रहे हैं।

Edited By: Harshit Harsh | Published By: Harshit Harsh | Published: Aug 22, 2023, 11:27 AM (IST)

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Highlights

  • सोशल मीडिया और इंटरनेट की लत की वजह से बच्चे मानसिक रोग का शिकार हो रहे हैं।
  • एक लेटेस्ट सर्वे में कई पैरेंट्स ने माना है कि सोशल मीडिया की लत का बच्चों पर बुरा असर हो रहा है।
  • पैरेंट्स कुछआसान तरीके अपनाकर बच्चों को सोशल मीडिया और इंटरनेट की लत से बचा सकेंगे।
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सोशल मीडिया (Social Media) और इंटरनेट (Internet) बच्चों को मानसिक तौर पर डिस्टर्ब कर रहे हैं। यह बात कई स्टडीड में सामने आ चुके हैं। हाल ही में यूनिवर्सिटी ऑफ मिसीगन हेल्थ सीएस मॉट चिल्ड्रेन हॉस्पिटल द्वारा बच्चों के हेल्थ पर कराए गए एक पोल में आधे से ज्यादा पैरेंट्स ने माना कि बच्चों का मेंटल हेल्थ उनके मुख्य हेल्थ कंसर्न में से एक है। बच्चों और टीनएजर्स पर सोशल मीडिया और इंटरनेट का बुरा असर पड़ रहा है। अमेरिकी में किए गए इस सर्वे में शामिल पैरेंट्स का कहना है कि आम तौर पर बच्चों के फिजिकल हेल्थ का ध्यान रखा जाता है, जो आसानी से विजिबल होते हैं, लेकिन इन दिनों मेंटल हेल्थ, सोशल मीडिया और स्क्रीन टाइम बच्चों के सबसे बड़े हेल्थ कंसर्न्स में से एक हैं। news और पढें: 'X' में आ रहा है बड़ा बदलाव, Elon Musk ने बताया प्लेटफॉर्म पूरी तरह से AI पर होगा शिफ्ट

दो-तिहाई पैरेंट्स चिंतित

इस सर्वे के मुताबिक, दो-तिहाई पैरेंट्स बच्चों द्वारा डिवाइस के बढ़ते इस्तेमाल को लेकर चिंतित हैं, जिनमें ओवरऑल स्क्रीन टाइम और सोशल मीडिया का इस्तेमाल क्रमशः पहले और दूसरे रैंक पर हैं। बच्चें डिजिटल डिवाइसेज और सोशल मीडिया का इस्तेमाल बहुत ही शुरुआती यानी यंग एज से करने लगते हैं। पैरेंट्स को उन्हें मॉनिटर करने के लिए मशक्कत करनी पड़ती है। सोशल मीडिया और इंटरनेट की लत की वजह से बच्चों में नींद न आने की समस्या से लेकर चिड़चिड़ापन जैसी समस्या देखने को मिलती है। news और पढें: X App का बड़ा अपडेट, आया ड्राफ्ट सिंक फीचर, मिलेगा ये कामाल का फायदा

कोरोना महामारी की वजह से बच्चों के स्क्रीन टाइम में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन क्लासेज से लेकर फन और अन्य एक्टिविटी के लिए बच्चे मोबाइल डिवाइसेज का बड़ी मात्रा में इस्तेमाल कर रहे थे। बाद में यह उनके आदत में शामिल हो गया और उनके मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रहा है। बच्चों में डिप्रेशन, आत्महत्या, साइबर बुलिंग, स्कूल हिंसा, असुरक्षित पड़ोस, ड्रग्स, स्मोकिंग, टीनएज प्रेगनेंसी और सेक्सुअल एक्टिविटी जैसी समस्याएं आम हो गई हैं। बच्चों को सोशल मीडिया और इंटरनेट के इस्तेमाल को सीमित करने के लिए एंड्रॉइड और iOS ऑपरेटिंग सिस्टम में दिए जाने वाले पैरेंटल कंट्रोल फीचर के साथ-साथ रियल टाइम मॉनिटरिंग भी जरूरी है। news और पढें: फोन पर Reels देखना छोड़ो, अब Instagram का TV App भी जल्द होगा लॉन्च!

कैसे लगाएं रोक?

– बच्चों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपनी निजी जानकारियां किसी के साथ शेयर नहीं करने के लिए बताना होगा। इसकी वजह से बच्चों को साइबर बुलिंग, एडल्ट कॉन्टेंट, साइबर स्टॉकिंग, आइडेंटिटी थेफ्ट यानी पहचान की चोरी होने से बचाया जा सकेगा।

– इसके अलावा पैरेंट्स को बच्चों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले डिवाइसेज में पैरेंटल कंट्रोल फीचर को इनेबल करना होगा। इसकी वजह से बच्चे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर हार्मफुल कॉन्टेंट्स को एक्सेस नहीं कर पाएंगे। इसके लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म में मौजूद कॉन्टेंट फिल्टर को ऑन करना जरूरी है। इसके लिए पैरेंटस को बच्चों के सोशल मीडिया अकाउंट के पैरेंटल कंट्रोल को इनेबल करना होगा।

– बच्चों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले डिवाइसेज की स्क्रीन टाइम लिमिट को सेट करना होगा। इससे बच्चे ज्यादा समय तक डिवाइस का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। Android डिवाइस की सेटिंग्स में जाकर Digital Wellbeing में दिए गए पैरेंटल कंट्रोल सेटिंग्स को ऑन करना होगा। वहीं, iPhone यूजर्स के लिए भी पैरेंटल कंट्रोल सेट करने का विकल्प मिलता है।

– पैरैंट्स बच्चों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले डिवाइसेज जैसे कि मोबाइल फोन, टैबलेट और लैपटॉप में चाइल्ड अकाउंट क्रिएट करके उनको अपने अकाउंट से लिंक करना चाहिए, ताकि बच्चे डिवाइस में क्या सर्च कर रहे हैं उसे मॉनिटर किया जा सके।

– सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इस्तेमाल करने वाले बच्चों को ब्लॉकिंग और रिपोर्टिंग टूल्स के बारे में शिक्षित करना चाहिए, ताकि किसी भी तरह के ऑनलाइन बुलिंग से बचा जा सके।

– बच्चों को किसी भी अनचाहे लिंक और फाइल्स को डाउनलोड करने से मना करना होगा। इस तरह के लिंक में वायरस होते हैं, जिसके जरिए डिवाइस को हैक किया जा सकता है।

– इसके अलावा बच्चों को लोकेशन शेयरिंग करने से रोकना चाहिए, ताकि उनकी जियोटैगिंग नहीं की जा सके।