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Google Doodle: K. D. Jadhav की 97वीं जयंती आज, गूगल ने खास डूडल के जरिए दी श्रद्धांजलि

आज सुबह जैसे ही आप कुछ सर्च करने के लिए Google ओपन करेंगे, तो आपको गूगल का खास Doodle देखने को मिलेगा। यह डूडल पूर्व भारतीय स्पोर्ट्समेट K. D. Jadhav (खशाबा दादासाहेब जाधव) को समर्पित है, जिन्होंने भारत के नाम पहला इंडिविजुअल मेडल जीता था।

Published By: Manisha

Published: Jan 15, 2023, 10:01 AM IST

Google Doodle

Story Highlights

  • Google ने खास Doodle के जरिए दी के.डी जाधव को श्रद्धांजलि
  • खशाबा दादासाहेब जाधव ने भारत के नाम किया था पहला इंडिविजुअल ओलंपिक मेडल
  • कुश्ती में के.डी जाधव ने कमाया बड़ा नाम

Google Doodle Today: गूगल अक्सर अहम दिनों को अपने डूडल के जरिए और भी खास बनाने का काम करता है। आज रविवार 15 जनवरी को भी गूगल ने एक खास डूडल बनाकर पूर्व भारतीय स्पोर्ट्समेट K. D. Jadhav (खशाबा दादासाहेब जाधव) को श्रद्धांजलि दी। आज के.डी जाधव की 97वीं जयंती है, इस खास मौके पर गूगल ने के.डी जाधव को समर्पित क्रिएटिव डूडल बनाया है।

आज (15 जनवरी 2023) सुबह जैसे ही आप कुछ सर्च करने के लिए Google ओपन करेंगे, तो आपको गूगल का खास Doodle देखने को मिलेगा। जैसे कि हमने बताया आज का डूडल पूर्व भारतीय स्पोर्ट्समेट K. D. Jadhav (खशाबा दादासाहेब जाधव) को समर्पित है।

इस डूडल में उनकी दो छवि देखी जा सकती है। एक में वह मैदान में कुश्ती करते देखे जा सकते हैं, तो दूसरी छवि में वह इंडियन जर्सी पहने हुए दिख रहे हैं। जैसे ही आप इस डूडल पर क्लिक करें, तो आपको के.डी जाधव से जुड़ी सभी जानकारी के लिंक्स अगली विंडो पर पढ़ने को मिल जाएंगे।

भारत के नाम किया था पहला ओलंपिक इंडिविजुअल मेडल

खशाबा दादासाहेब जाधव भारत के स्वतंत्रता के बाद ओलंपिक में इंडिविजुअल मेडल जीतने वाले पहले भारतीय एथलीट थे। उनका जन्म 15 जनवरी 1926 को महाराष्ट्र के गोलेश्वर गांव में हुआ। उनके पिता खुद एक पहलवान थे। केडी जाधव की यूं तो बचपन से पहलवानी में कोई खास दिलचस्पी नहीं थी, उन्हें स्विमिंग काफी पसंद थी। लेकिन पहलवान के बेटे होने के नाते उन्होंने 10 साल की उम्र से कुश्ती भी सीखनी शुरू कर दी थी।

भारत के नाम कांस्य पदक जीतने के बाद उनका अगला कदम गोल्ड मेडल था, जिसके लिए उन्होंने काफी मेहनत की थी। लेकिन ओलंपिक मैच से पहले एक दुर्घटना के दौरान वह चोटिल हो गए और उनका घुटना टूट गया। इस घटना ने उनकी ओलंपिक की दौड़ पर विराम लगा दिया और उनका स्पोर्ट्स करियर पूरी तरह से खत्म हो गया। पहलवानी में जी-जान लगाने के बाद उन्होंने भले ही भारत के नाम पहला इंडिविजुअल मेडल किया हो, लेकिन उन्हें कभी पद्म पुरस्कार से सम्मानित नहीं किया गया।

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स्पोर्ट्स करियर खत्म होने के बाद उन्हें पुलिस में सब इंस्पेक्टर की नौकरी मिली और फिर उन्होंने असिस्टेंट पुलिस कमिश्नर पद पर भी संभाला। साल 1984 में एक सड़क दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई।

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Author Name | Manisha

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