Digital Personal Data Protection Bill 2023 लोकसभा में पास हो गया है। इस बिल में भारतीय यूजर्स के निजी डेटा के गलत इस्तेमाल पर 250 करोड़ रुपये तक अधिकतम जुर्माना लग सकता है। मोदी सरकार ने इस बिल को सबसे पहले दिसंबर 2019 में पेश किया था, जिसे 2021 में ज्वाइंट पार्लियामेंट कमिटी ने रिव्यू किया और सरकार को इसका रिवाइज्ड वर्जन लाने के लिए कहा था। इस बिल के रिवाइज्ड वर्जन को केन्द्रीय आईटी मिनिस्टर अश्विणी वैष्णव ने 3 अगस्त को पेश किया था। विपक्ष ने इसे स्क्रूटनी के लिए स्टैंडिंग कमिटी के पास भेजने के लिए कहा था। मोदी सरकार का यह निजी डेटा सुरक्षा बिल एक सामान्य बिल की तरह लोकसभा में पास हो गया है।
आम नागरिक के निजी डेटा की सुरक्षा
इस बिल में भारत के आम नागरिक के निजी डिजिटल डेटा की सुरक्षा को ध्यान में रखा गया है। इस बिल को जस्टिस बी एन कृष्णा की अगुवाई वाली एक स्पेशल एक्सपर्ट कमिटी ने ड्राफ्ट किया है। इसमें निजी डेटा शेयरिंग, उसकी सुरक्षा और स्टोरेज के बारे में कंपनियों और संस्थानों को पारदर्शी रहने का प्रावधान शामिल है। इसे 2017 के माननीय सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के आधार पर तैयार किया गया है, जिसमें अन्य मौलिक अधिकार की तरह राइट टू प्रिवेसी को भी नागरिक का मौलिक अधिकार मानने के लिए कहा गया था। इस बिल में अंतर्राष्ट्रीय साइबर नियम के स्टैंडर्ड का भी ध्यान रखा गया है।
बिल के प्रावधान
- भारतीय यूजर्स डेटा को प्रोसेस करने वाली कंपनियां और संस्थान को उनकी निजी जानकारियों की पूरी तरह से सुरक्षा करनी होगी। चाहे इसके लिए वो किसी थर्ड-पार्टी डेटा प्रोसेसर का ही क्यों न इस्तेमाल कर रहे हों। आम भाषा में अगर कोई कंपनी या संस्था यूजर की निजी जानकारियां थर्ड पार्टी के पास स्टोर करती है, तो उसकी सुरक्षा करने की जिम्मेदारी भी उनकी ही होगी।
- डेटा चोरी की घटना को तत्काल डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड (DPB) और यूजर्स को रिपोर्ट करनी होगी।
- बच्चों और शारीरिक तौर पर कमजोर लोगों के डेटा को बिना अभिभावक की अनुमति के प्रोसेस नहीं किया जा सकेगा।
- हर संस्थान को एक डेटा प्रोटेक्शन ऑफिसर नियुक्त करना होगा और इसकी जानकारी यूजर्स को देनी होगी।
- केन्द्र सरकार के पास किसी भी भारतीय यूजर के निजी डेटा को भारत से बाहर ट्रांसफर करने से रोकने का अधिकार होगा।
- डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड (DPB) के पास यूजर डेटा को प्रोसेस करने वाली कंपनी और इससे जुड़े लोगों की जांच करने का अधिकार होगा। साथ ही, DPB के पास इन्हें समन भेजने का भी अधिकार रहेगा।
- निजी डेटा को सुरक्षित रखने में हुई चूक पर DPB को जुर्माना तय करने का अधिकार रहेगा। यह डेटा ब्रीच की कैटेगरी पर निर्भर करेगा।
- डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड सरकार को संस्थान को एक्सेस ब्लॉक करने का सुझाव दे सकती है।
- निजी डेटा के साथ की गई किसी भी गड़बड़ी के लिए अधिकतम 250 करोड़ रुपये तक और इसमें शामिल संस्थान पर कम से कम 50 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने का प्रावधान है।
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