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Digital Personal Data Protection Bill बना कानून, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिली मंजूरी

Digital Personal Data Protection Bill 2023 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिल गई है। यह विधेयक कानून बन गया है। इससे पहले पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल को राज्यसभा और लोकसभा में पारित किया गया था।

Published By: Ajay Verma

Published: Aug 12, 2023, 02:18 PM IST

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Story Highlights

  • Digital Personal Data Protection Bill को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिल गई है।
  • यह डेटा प्रोटेक्शन बिल अब कानून बन गया है।
  • इससे पहले बिल को राज्यसभा और लोकसभा में पास किया गया था।

देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने Digital Personal Data Protection Bill 2023 पर हस्ताक्षर कर अपनी सहमति दे दी है। अब यह विधेयक कानून बन गया है, जिससे अब देश के नागरिकों का निजी डेटा सुरक्षित रहेगा। आपको बता दें कि इस सप्ताह की शुरुआत में डेटा प्रोटेक्शन बिल को लोकसभा में पारित किया गया। इसके बाद बिल को बुधवार को राज्यसभा में मंजूरी मिली।

क्या है DPDP का उद्देश्य

डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल का मुख्य उद्देश्य भारतीय नागरिकों की प्राइवेसी की सुरक्षा करना है। इस कानून के तहत अब डिजिटल डेटा के गलत इस्तेमाल या फिर डेटा को सिक्योर करने में विफल रहने वाले संस्थानों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, उनपर 250 करोड़ रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जाएगा।

कंपनियों की जिम्मेदारी होगी कि उन्हें यूजर्स की प्राइवेसी बरकरार रखनी होगी। यदि पर्सनल डेटा लीक होता है, तो कंपनियों को इसकी सूचना डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड और यूजर को देनी होगी।

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साधारण शब्दों में जानें DPDP कानून :

  1. राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल अब कानून बन गया है।
  2. इस कानून के तहत अब कोई भी कंपनी यूजर की अनुमति के बिना उसका निजी डेटा एक्सेस नहीं करेगी।
  3. कानून के अंतर्गत कंपनी किसी भी यूजर से ऐसे निजी डेटा की मांग नहीं कर सकती है, जिसे वह शेयर नहीं करना चाहते हैं।
  4. जिन कंपनियों के पास यूजर्स के डेटा का एक्सेस है, उनके डेटा को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी उन कंपनियों की होगी।
  5. अगर कंपनी या संस्थान डेटा सुरक्षित रखने में विफल होती है, तो उसके खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाएगा और उसपर जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
  6. कंपनियों को डेटा प्रोटेक्शन अधिकारी को नियुक्त करना होगा।
  7. कंपनियों को बच्चों और विकलांग लोगों के डेटा को एक्सेस करने के लिए उनके अभिभावकों से अनुमति लेनी होगी।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले के दौरान ‘Right to Privacy’ को देश के लोगों का मौलिक अधिकार माना था। इसके बाद ही इस बिल को लाने की तैयारी शुरू हुई। अब यह बिल कानून बन चुका है। इसके आने से यूजर का निजी डेटा सुरक्षित रहेगा और डेटा का गलत उपयोग करने वाली कंपनियों पर भी रोक लगाई जा सकेगी। इससे डेटा लीक के बढ़ते मामलों पर भी लगाम लगाई जाएगी।

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Author Name | Ajay Verma

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