Written By Mona Dixit
Published By: Mona Dixit | Published: Aug 24, 2023, 11:14 AM (IST)
Chandrayaan 3 की सॉफ्ट लैंडिंग के बाद आज भारत का नाम पूरी दुनिया में गूंज रहा है। इस बड़े मून मिशन के सफल होने के साथ देश चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बन गया है। कल देश के लोगों के साथ-साथ विदेश की निगाहें भी इस मिशन पर लगी हुईं थीं। चंद्रयान 3 को धरती से चांद तक की 3.86 लाख किलोमीटर की दूरी तय करने में 40 दिन लगे हैं। भारत की इस बड़ी उपलब्धि पर ISRO के चीफ एस सोमनाथ ने प्रतिक्रिया देते हुए कई खास बातों का खुलासा किया है। उन्होंने बताया कि इस मिशन की सबसे बड़ी मुश्किल चांद पर लैंडिंग नहीं बल्कि कुछ और ही थी। आइये, डिटेल में जानते हैं।
चंद्रयान 3 की सफलता लैंडिंग के बाद इसरो के चीफ ने मीडिया को संबोधित करते हुए कई खास बातें बताईं। जब मीडिया ने सोमनाथ से पूछा कि देश के इस सबसे बड़े मून मिशन की सबसे बड़ी मुश्किल क्या थी तो उन्होंने कहा कि मिशन का सबसे कठिन हिस्सा लॉन्च था। बता दें कि GSLV Mark 3 ने ही इसे स्थापित किया था। इसी रॉकेट ने चंद्रयान 3 का मॉड्यूल लॉन्च किया था। इस अंतरिक्ष यान ने विक्रम और प्रज्ञान रोवल को चंद्रमा की सही कक्षा में पहुंचाने में मदद की है।
सोमनाथ के अनुसार चंद्रयान-3 ने 36,500 किलोमीटर की दूरी तय की और इसके बाद वह ट्रांस-लूनर इंजेक्शन स्टेप तक बहुत अच्छी तरह से चला था। लॉन्चिंग के 16 मिनट बाद चंद्रयान-3 मॉड्यूल रॉकेट से अलग हो गया था। 15 जुलाई को पहली कक्षा बढ़ाने से पहले छह बार धरती के परिक्रमा करके 36,500 किलोमीटर की अधिकतम दूरी तक पहुंच गया था। इससे चंद्रमा तक 41,672 किलोमीटर तक की दूरी तय की।
उन्होंने बताया कि दूसरा सबसा बड़ा और जरूरी चरण चांद पर उतरना था। अगर ऐसा नहीं होता तो चांद की सतह पर यान के उतरने की उम्मीद खत्म हो जाती। यान से दोबार संपर्क नहीं बनाया जा सकता था। इससे मिशन पूरा नहीं होता।
इसके बाद तीसरा सबसे जरूरी समय लैंडर और ऑर्बिटर का अलग होना था। यह बिल्कुल सही समय पर हुआ था। सबसे अच्छा यह रहा कि इस दौरान यान के उपकरण बिनी किसी खराबी या दिक्कत के काम करते रहे। बता दें कि विक्रम लैंडर 17 अगस्त, 2023 को प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग हुआ था।
इस तरह सभी सदस्यों और कठिनाओं को पार करते हुए देश के चंद्रयान 3 ने चांद की जमीन पर अपने कमद रखे।