
Chandrayaan 3 के लिए आज अहम दिन है। इसका विक्रम लैंडर शाम 18:04 बजे की सतह पर उतरेगा। भारत के चंद्रयान-3 पर पूरी दुनिया की नजर है। चंद्रयान-2 मिशन आखिरी क्षण में फेल होने की वजह से ISRO इस बार फूंक-फूंक के कदम रख रहा है। भारत ही नहीं, दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में चंद्रयान-3 मिशन के सफल होने के लिए दुआओं का दौर चल रहा है। बता दें चंद्रयान-3 के लैंडर के चांद पर उतरने के समय ISRO धरती से कोई कमांड नहीं दे पाएगा। इसमें मौजूद लैंडर AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और कम्प्यूटर लॉजिक का इस्तेमाल करके चांद की सतह पर लैंड करेगा।
ISRO अपने बेंगलुरू स्तिथ कमांड सेंटर (ISTRAC) से विक्रम लैंडर को चांद की सतह पर उतरने की घटना को मॉनिटर करता रहेगा। 23 अगस्त की शाम 17:47 बजे से लेकर 18:04 बजे के दौरान ISRO लैंडर को कोई कमांड नहीं दे पाएगा। इस दौरान लैंडर अपनी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और कम्प्यूटर लॉजिक बेस्ड समझ का इस्तेमाल करते हुए चांद की सतह पर उतरेगा। लैंडिंग की प्रक्रिया पूरी करने के लिए इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बेस्ड प्रोग्रामिंग की गई है, जो इसे सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग करने में मदद करेगा।
Chandrayaan-3 Mission:
The mission is on schedule.
Systems are undergoing regular checks.
Smooth sailing is continuing.ISRO ने नए साल के पहले दिन XPoSat सैटेलाइट की लॉन्च, जुटाएगी ब्लैक होल से जुड़ी जानकारीयहां भी पढ़ेंThe Mission Operations Complex (MOX) is buzzed with energy & excitement!
The live telecast of the landing operations at MOX/ISTRAC begins at 17:20 Hrs. IST… pic.twitter.com/Ucfg9HAvrY
— ISRO (@isro) August 22, 2023
ISRO के चेयरमैन एस सोमनाथ ने कहा है कि Chandrayaan 3 का कोर इसमें मौजूद सेंसर्स हैं। जब आप इतनी दूर से कुछ ऑपरेट कर रहे होते है, तो आपको सेंसर पर ही निर्भर रहना पड़ता है। इसके जरिए इसके लोकेशन, स्पीड, ऑरिएंटेशन की निगरानी की जाएगी। हर चीज के लिए इसमें अलग-अलग सेंसर्स लगे हैं। इसमें वेलोसीमीटर और अल्टीमीटर्स लगें हैं, जो लैंडर की ऊंचाई के साथ-साथ गति के बारे में जानकारी पहुंचाएगा। इसके अलावा चंद्रयान-3 में हैजर्ड अवाइडेंस कैमरा लगा है, जो इनर्सिया (जड़त्व) पर बेस्ड कैमरा है।
इसरो चैयरमैन के मुताबिक, इसमें डिजाइन किए गए कम्प्यूटर एल्गोरिदम के जरिए लैंडर की पोजीशन के बारे में पता चलता रहेगा। इसे इसरो ने एक्सटेंसिविली टेस्ट किया है। इसरो ने लैंडर में ऐसे कम्प्यूटर एल्गोरिदम के जरिए डिजाइन किया है कि यह सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग करने में सफल होगा।
Author Name | Harshit Harsh
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