
दुनिया के सबसे बड़े टेक दिग्गज कंपनियां Apple, Google, Samsung, Amazon और Meta मानती हैं कि भविष्य में स्मार्टफोन उतना जरूरी नहीं रहेगा जितना आज है। AI की तेजी से बढ़ती क्षमताएं हमारी रोजमर्रा की जिंदगी को इस तरह बदल रही हैं कि फोन पर ऐप्स खोलने और टाइप करने की जरूरत धीरे-धीरे कम हो जाएगी। एक्सपर्ट्स का कहना है कि आधुनिक AI असिस्टेंट्स हमारे लिए योजनाएं बनाएंगे, शॉपिंग लिस्ट तैयार करेंगे और मीटिंग्स के नोट्स भी खुद बना देंगे। यानी आज जिस तरह हम अपने फोन के ऑपरेटिंग सिस्टम और ऐप्स पर निर्भर हैं, भविष्य में यह सब AI असिस्टेंट हमारे लिए सीधे काम करेगा।
Meta के CEO मार्क जुकरबर्ग का कहना है कि भविष्य का सबसे खास डिवाइस स्मार्ट ग्लास होगा। ये चश्मे हमारी आंखों के सामने वही जानकारी दिखाएंगे, जिसकी हमें जरूरत होगी। इनसे हम सीधे AI असिस्टेंट से बात भी कर सकेंगे। अभी तक Meta ने Ray-Ban Meta Glasses लॉन्च किए हैं, जिनमें कैमरा और माइक्रोफोन लगे हैं और अब तक 20 लाख से ज्यादा बिक चुके हैं। Google और Meta दोनों ऐसे चश्मे बनाने पर काम कर रहे हैं, जिनमें स्क्रीन भी फ्रेम के अंदर होगी, लेकिन इन ग्लासेज की सबसे बड़ी दिक्कत बैटरी और डिजाइन है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगले 2 साल में साधारण स्मार्ट ग्लास आम हो जाएंगे, जबकि स्क्रीन वाले ग्लास आने में अभी समय लगेगा।
Amazon का कहना है कि भविष्य में “एम्बियंट कंप्यूटर” यानी घर और ऑफिस में लगे स्मार्ट डिवाइस सबसे ज्यादा काम आएंगे। Alexa जैसे वॉयस असिस्टेंट पहले ही लोगों की आदत बन चुके हैं। अब AI इन्हें और ज्यादा स्मार्ट बना रहा है, ताकि हमें फोन निकाले बिना ही हर सवाल का जवाब मिल सके। इसी तरह Nothing कंपनी के CEO कार्ल पेई कहते हैं कि भविष्य में स्मार्टवॉच सबसे जरूरी डिवाइस बन जाएगी। यह सिर्फ फिटनेस देखने के लिए नहीं होगी, बल्कि हमारे काम, टाइम टेबल और दोस्तों से मिलने-जुलने तक का ध्यान रखेगी। घड़ी का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह हमेशा हमारे साथ रहती है और चेहरे पर पहनने वाले डिवाइस की तुलना में ज्यादा ठीक भी लगती है।
Limitless AI जैसी कंपनियां ऐसे डिवाइस बना रही हैं जो हमारी हर बातचीत रिकॉर्ड करके ऑटोमैटिक नोट्स बना देंगे। इससे ह्यूमन मेमोरी की कमी पूरी होगी और कामकाज में आसानी होगी, लेकिन सबसे बड़ी चुनौती प्राइवेसी की है। लोग यह सोचकर हिचकिचा सकते हैं कि कोई डिवाइस हमेशा उनकी बातें सुन रहा है। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि इन तकनीकों का इस्तेमाल पहले ऑफिस और वर्कप्लेस में ज्यादा होगा। टेक कंपनियों का सपना है कि भविष्य में लोग सुबह उठकर स्मार्टवॉच, चश्मा और शायद एक स्मार्ट पेंडेंट पहनेंगे, जो AI से जुड़े होंगे और “एक सिम्फनी ऑफ AI” की तरह मिलकर काम करेंगे। यानी आने वाले वर्षों में स्मार्टफोन भले ही गायब न हों, लेकिन उनका महत्व धीरे-धीरे कम जरूर हो जाएगा।
Author Name | Ashutosh Ojha
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