Written By Harshit Harsh
Edited By: Harshit Harsh | Published By: Harshit Harsh | Published: Sep 25, 2023, 11:47 AM (IST)
Electric Vehicle की बिक्री पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ी हैं। ऑटोमोबाइल कंपनियां अपने इलेक्ट्रिक वीइकल बाजार में पेश कर रहे हैं और इनकी बिक्री भी बढ़ी हैं। सरकार द्वारा इलेक्ट्रिक वीइकल पर सब्सिडी दी जाती है, इसके बावजूद इसकी कीमत डीजल और पेट्रोल वाली गाड़ियों के मुकाबले ज्यादा होती हैं। इलेक्ट्रिक वीइकल की कीमतों में भी पिछले दिनों इजाफा हुआ है। हाल में आई रिपोर्ट के मुताबिक, इलेक्ट्रिक कार की कीमत साल-दर-साल 54.3 प्रतिशत तक बढ़ी है, जबकि ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को इलेक्ट्रिक वीइकल की कीमत कम होने का अंदाजा था। और पढें: कमाल की टेक्नोलॉजी, हाइवे से चार्ज होगी इलेक्ट्रिक कार
इलेक्ट्रिक वीइकल (EV) की कीमतों में इजाफे का एक मुख्य कारण सरकार द्वारा FAME II (Faster Adoption and Manufacturing of Electric Vehicle Phase II) पर दी जाने वाली सब्सिडी को खत्म करना रहा है। इसके अलावा इलेक्ट्रिक वीइकल की कीमत में इजाफा का दूसरा और मुख्य कारण इसमें इस्तेमाल होने वाली बैटरी की कीमत रही है। इन बैटरी को चीन से आयात किया जाता है, क्योंकि भारत में इसके रॉ मटीरियल उपलब्ध नहीं हैं। और पढें: Electric Vehicles के लिए तैयार हो रहा भारत: जानिए EV Expo 2023 में क्या है खास
अब आप सोच रहे होंगे कि इलेक्ट्रिक बैटरी में ऐसे कौन से रॉ मटीरियल इस्तेमाल होते हैं, जो भारत में न के बराबर पाए जाते हैं, तो बता दें कि इलेक्ट्रिक बैटरी बनाने के लिए रेयर अर्थ मटीरियल (Rare Earth Material) का इस्तेमाल होते है, जिसकी वजह से इसकी कीमत सीधे तौर पर प्रभावित होती है।
रेयर अर्थ मटीरियल, जिन्हें हम REE भी कहते हैं ये मुख्य तौर पर 17 रसायनिक तत्व हैं। इनमें से तीन रसायनिक तत्व सबसे ज्यादा इलेक्ट्रिक वीकल में इस्तेमाल किए जाते हैं, जो Neodymium (Nd), Dysprosium (Dy) और Praseodymium (Pr) हैं।
रेयर अर्थ मटीरियल का इस्तेमाल बैटरी के अलावा इनके इलेक्ट्रिक मोटर को हल्का और ज्यादा मजबूत बनाने के लिए भी किया जाता है। खास तौर पर Praseodymium (Pr) और Neodymium (Nd) की वजह से EV का मोटर हल्का होता है।
इस समय चीन इन रेयर अर्थ मटीरियल का सबसे बड़ा उत्पादक है। ऐसे में इनका सप्लाई चीन द्वारा कंट्रोल किया जाता है।
अमेरिका ने हाल ही में इन रेयर मटीरियल की माइनिंग शुरू की है, लेकिन चीन के प्रोडक्शन के आस-पास भी नहीं पहुंचा है। यही कारण है कि दिन-प्रतिदिन इलेक्ट्रिक गाड़ियां महंगी होती जा रही हैं।