
Microsoft, Google, IBM जैसी कंपनियां इन दिनों बिना पासवर्ड के ऑथेंटिकेशन टेक्नोलॉजी पर जोर दे रही हैं। ये कंपनियां पासवर्डलेस ऑथेंटिकेशन को अपनी कई सर्विसेज में इंप्लीमेंट कर रही हैं। इस तकनीक के जरिए यूजर्स का निजी डेटा ज्यादा सिक्योर हो जाता है। बढ़ते साइबरक्राइम के इस दौर में अगर आपका पासवर्ड किसी हैकर के हाथ लग जाता है, तो आपको भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। आपके बैंक अकाउंट खाली होने से लेकर आपकी डिजिटल फुटप्रिंट यानी डिजिटल पहचान भी छिन सकती है। टेक्नोलॉजी कंपनियों ने इसके लिए पासवर्डलेस ऑथेंटिकेशन तकनीक पर जोर दिया है। आइए, जानते हैं इस नई तकनीक के बारे में…
यूजर्स को किसी ऐप में लॉग-इन आदि के लिए नॉलेज बेस्ड फैक्टर, जैसे कि पासवर्ड, सिक्योरिटी क्वेशचन, PIN (पर्सनल आइडेंटिफिकेशन नंबर) आदि का इस्तेमाल करना होता है। पासवर्डलेस ऑथेंटिकेशन टेक्नोलॉजी में यूजर्स बिना पासवर्ड दर्ज किए अपने सोशल मीडिया, बैंक अकाउंट आदि को एक्सेस कर पाते हैं। यह तकनीक यूजर्स के बायोमैट्रिक डेटा या किसी हार्डवेयर टोकन पर आधारित होता है। यह तकनीक ट्रेडिशनल पासवर्ड तरीकों को रिप्लेस कर देता है। यूजर अपने किसी सर्विस अकाउंट में बिना पासवर्ड दर्ज किए उसे एक्सेस कर लेता है।
इन दिनों साइबर अपराधी अलग-अलग तरीकों से यूजर्स को चूना लगा रहे हैं। वे यूजर के पासवर्ड, PIN आदि को हैक करके उनका भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं। बता दें पासवर्डलेस ऑथिंटेक्शन फीचर नया नहीं है। इसके कॉन्सेप्ट को 90 के दशक में पहली बार पेश किया गया था। यह फीचर यूजर्स को बिना पासवर्ड के सुरक्षा प्रदान करता है। टेक कंपनियां जैसे कि Google, IBM, Gartner, microsoft आदि ने इसे सबसे पहले 1990 के दशक में इस्तेमाल करना शुरू किया था। हालांकि, यह तकनीक 1980 में ही कम्प्यूटर सिस्टम के ऑथेंटिकेशन के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।
पासवर्डलेस ऑथेंटिकेशन के कई फायदे हैं, जो इसे ट्रेडिशनल पासवर्ड प्रोटेक्शन के मुकाबले ज्यादा सुरक्षित बनाता है और साइबर अपराध को रोकता है। यह तकनीक नॉलेज बेस्ड फैक्टर्स को रिप्लेस करके बायोमैट्रिक पर निर्भर है। भारत में कई कंपनियां अपने ग्राहकों का डेटा सुरक्षित रखने के लिए पासवर्डलेस ऑथेंटिेकेशन सर्विस प्रदान करती हैं, जिनमें 1Kosmos, Microsoft, Google, Yubico, Okta, Cisco Duo Secuirty आदि शामिल हैं।
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