Written By Ashutosh Ojha
Edited By: Ashutosh Ojha | Published By: Ashutosh Ojha | Published: Oct 27, 2025, 04:35 PM (IST)
Vodafone Idea
Vodafone Idea के AGR (Adjusted Gross Revenue) बकाया मामले को लेकर सरकार अब कोई हल निकालने की कोशिश कर रही है। सुप्रीम कोर्ट में सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार के पास Vodafone Idea में लगभग 50% की हिस्सेदारी है, इसलिए कंपनी का बचना सरकार के लिए भी जरूरी है। उन्होंने कोर्ट से कहा कि हमें ऐसा समाधान ढूंढना होगा जो कोर्ट की मंजूरी से हो। सरकार चाहती है कि Vodafone Idea को राहत भी मिले और सरकार के राजस्व (कमाई) को भी नुकसान न हो।
Vodafone Idea ने Department of Telecommunications (DoT) से कहा है कि 2016-17 तक के सभी AGR बकाया की फिर से जांच और गणना की जाए। कंपनी ने 3 फरवरी 2020 की ‘Deduction Verification Guidelines’ का हवाला देते हुए कहा कि बकाया की गिनती में कई जगह गणित की गलतियां और दोहराई गई एंट्री (duplication) हैं, जिन्हें ठीक करना जरूरी है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस साल की शुरुआत में ही Airtel और Vodafone Idea की दोबारा समीक्षा करने की याचिका को खारिज कर दिया था और कहा था कि 2021 के फैसले पर दोबारा विचार नहीं होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2020 में Telecommunication Companies को AGR बकाया चुकाने के लिए 10 साल का समय दिया था। अदालत ने कहा था कि कंपनियों को अपनी कुल देनदारी का 10% हिस्सा 31 मार्च 2021 तक देना होगा, जबकि शेष राशि 2021 से 2031 के बीच सालाना किस्तों में अदा करनी होगी। अदालत ने DoT द्वारा तय की गई राशि को अंतिम मानते हुए यह भी कहा था कि अब किसी कंपनी को इस पर विवाद या रिवैल्युएशन करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इससे पहले अक्टूबर 2019 में अदालत ने AGR से जुड़ा ऐतिहासिक फैसला सुनाया था, जिसके बाद Telecommunication Companies पर लगभग ₹93,520 करोड़ का बोझ पड़ा था।
AGR (Adjusted Gross Revenue) वह राजस्व होता है, जिसके आधार पर सरकार Telecommunication Companies से लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम चार्ज वसूलती है। पहले AGR की गणना में न केवल टेलीकॉम सेवाओं से होने वाली आय, बल्कि गैर-टेलीकॉम आय जैसे ब्याज या संपत्ति बिक्री से हुई कमाई भी शामिल होती थी, लेकिन 2021 में सरकार ने नियमों में ढील देते हुए गैर-टेलीकॉम आय को AGR से बाहर कर दिया, जिससे कंपनियों पर आर्थिक दबाव कुछ कम हुआ। अब Vodafone Idea और सरकार के बीच यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या कोई ऐसा समाधान निकलता है जो कंपनी को राहत दे और सरकार को भी अपना बकाया सुरक्षित रखने का भरोसा दिलाए।