
ED ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में Lava इंटरनेशनल के एमडी समेत चार लोगों को हिरासत में लिया है। इन लोगों का नाम चीनी ब्रांड Vivo Mobiles के पिछले साल आए मनी लॉन्ड्रिंग केस में लिप्त पाया गया है। केन्द्रीय जांच एजेंसी ने जिन चार लोगों को हिरासत में लिया है उनकी पहचान चीनी नागरिक गुआंगवेन कयांग उर्फ एंड्रयू कुआंग, हरी ओम रॉय (लावा इंटरनेशनल के एमडी), राजन मलिक और नितिन गर्ग (चार्टेड अकाउंटेंट) में हुई है। ED एक साल से देश के 48 जगहों पर वीवो मोबाइल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और इसके 23 असोसिएट कंपनी जैसे कि ग्रांड प्रॉसपेक्ट इंटरनेशनल कम्युनिकेशन प्राइवेट लिमिटेड (GPICPL) के दफ्तरों में सर्च ऑपरेशन चला रही है।
IANS की रिपोर्ट के मुताबिक, Vivo Mobiles India प्राइवेट लिमिटेड को मल्टी अकॉर्ड लिमिटेड के सबसिडियरी के तौर पर 1 अगस्त 2014 को भारत में लॉन्च किया गया था। मल्डी अकॉर्ड लिमिटेड एक हांगकांग बेस्ड कंपनी है, जिसका ROC दिल्ली में है। GPICPL को 3 दिसंबर 2014 को रजिस्टर किया गया था, जिसका ROC शिमला में है। इसके अलावा इसके ROC गांधीनगर और जम्मू में भी है।
ED has arrested four accused in Vivo Mobile case.
1.Guangwen Kyang @Andrew Kuang, Chinese National
2. Hari Om Rai, MD of Lava International.
3. Rajan Malik,
4. Nitin Garg, CA Arrested.Details and Background 👇🏼 pic.twitter.com/Am0l3lNc5j
— Jitender Sharma (@capt_ivane) October 10, 2023
GPICPL कंपनी का रजिस्ट्रेशन जेंगशेन ओउ, बिन लोउ और झांग जी के नाम से है। इस कंपनी को सेटअप करने में चार्टेड अकाउंटेंट नितिन गर्ग ने मदद की थी। बिन लोउ ने 26 अप्रैल 2018 को भारत छोड़ दिया था। वहीं, जेंगशेन ओउ और झांग ली ने 2021 में भारत छोड़ दिया। प्रवर्तन निदेशालय (ED) पिछले साल से ही वीवो मोबाइल्स इंडिया लिमिटेड के सहयोगियों से मनी लॉन्ड्रिंग केस में जांच कर रही है।
ED ने पिछले साल 3 फरवरी 2022 से वीवो मोबाइल्स इंडिया लिमिटेड की मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रही है। इसके संबंध में दिल्ली के कालकाजी पुलिस स्टेशन में GPICPL के डायरेक्टर और शेयरहोल्डर और सर्टिफाइंग प्रोफेशनल्स के खिलाफ मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स की शिकायत पर सेक्शन 417, 120B और IPC 420, 1860 के तहत FIR भी दर्ज किया गया है।
दायर FIR के मुताबिक, GPICPL और इसके स्टेकहोल्डर्स ने कंपनी रजिस्टर करते समय अपनी पहचान छिपाने के लिए फर्जी डॉक्यूमेंट्स का इस्तेमाल किया था। ED ने अपनी जांच में पाया कि दस्तावेज में GPICPL के डायरेक्टर का जो अड्रेस दर्ज है वो सही नहीं है, वह एक सरकारी दफ्तर है और एक सीनियर ब्यूरोक्रेट का घर है।
टेक्नोलॉजी और ऑटोमोबाइल की लेटेस्ट खबरों के लिए आप हमें व्हाट्सऐप चैनल, फेसबुक, यूट्यूब और X, पर फॉलो करें।Author Name | Harshit Harsh
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