Written By Harshit Harsh
Published By: Harshit Harsh | Published: Dec 18, 2023, 11:03 AM (IST)
Telecommunication Bill 2023 को सरकार आज लोकसभा में पेश कर सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक, यह भारत के 138 साल पुराने Telegraph Act को पूरी तरह से बदल देगा। लोकसभा में बिल पास होने के बाद इसे राज्यसभा में पेश किया जाएगा। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह बिल कानून का रूप ले लेगा। कैबिनेट ने इस बिल को अगस्त में हरी झंडी दे दी थी। नए टेलीकम्युनिकेशन बिल में सरकार ने इंटरनेट बेस्ड कॉलिंग और मैसेजिग ऐप्स को भी शामिल किया है। नए बिल में OTT ऐप्स के जरिए होने वाले कॉल के जरिए यूजर्स की सुरक्षा को ध्यान में रखा गया है। और पढें: Starlink सैटेलाइट इंटरनेट भारत में कब होगा शुरू? ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बताए देरी के कारण
रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार 18 दिसंबर यानी आज शीतकालीन सत्र के दौरान इस बिल को लोकसभा में पेश कर सकती है। पिछले 138 साल से चले आ रहे Telegraph Act को खत्म करने के साथ-साथ इसमें TRAI (टेलीकॉम रेगुलेटरी ऑथिरिटी ऑफ इंडिया) के उन अधिकारों को भी सीमित किया जाएगा। टेलीकॉम इंडस्ट्री ने TRAI के कुछ अधिकारों पर सवाल उठाए थे। सूत्रों की मानें तो इस बिल के ड्राफ्ट में OTT प्लेयर्स और TRAI के बीच चल रहे मतभेद को भी खत्म करने की कोशिश की गई है। और पढें: Starlink लॉन्च फिर टला, सरकार ने स्पेक्ट्रम प्राइसिंग पर उठाए सवाल
इसके अलावा सरकार इस नए बिल में लाइसेंस फीस के रिफंड, रजिस्ट्रेशन आदि को आसान बनाया गया है। यह खास तौर पर उन टेलीकॉम कंपनियों को फायदा पहुंचाएगा, जो अपना लाइसेंस सरेंडर करेंगे। नए बिल के तहत मार्केट में कम्पीटिशन को बरकरार रखने और ग्राहकों के हित के लिए सरकार एंट्री फी, लाइसेंस फी और पेनाल्टी आदि को वेब ऑफ करने का भी प्रावधान है। और पढें: TRAI ने सस्ते इंटरनेट के लिए पब्लिक Wi-Fi टैरिफ पर लगाया ब्रेक, अब सस्ते में मिलेगा डेटा
इससे पहले सरकार ने डिजिटल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2023 (Digital Data Protection Bill 2023) को अगस्त में पेश किया है। इस बिल में सरकार ने भारतीय यूजर के डेटा प्राइवेसी (निजता) और सिक्योरिटी (सुरक्षा) का खास ध्यान रखा गया है। केन्द्रीय आईटी मिनिस्टर अश्विणी वैष्णव ने इस बिल को सदन में पेश करते हुए 2017 के माननीय सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का भी जिक्र किया, जिसमें अन्य मौलिक अधिकार की तरह राइट टू प्रिवेसी को भी नागरिकों का मौलिक अधिकार मानने की बात कही थी। केन्द्र सरकार इस बिल के जरिए यूजर डेटा के इस्तेमाल और उसकी स्टोरेज को अंतर्राष्ट्रीय साइबर नियम के स्टैंडर्ड के रखने का काम किया है।