Written By Ashutosh Ojha
Published By: Ashutosh Ojha | Published: Aug 18, 2025, 12:53 PM (IST)
Elon Musk Jeff Bezos
दुनिया के सबसे बड़े अरबपतियों में से एक एलन मस्क और जेफ बेजोस अब एक नए प्रयोग की ओर बढ़ रहे हैं, स्पेसक्राफ्ट को ऑर्बिट में ईंधन भरने की टेक्नोलॉजी। अभी तक रॉकेट को जमीन से लॉन्च करते समय पूरा ईंधन साथ लेकर उड़ना पड़ता है, जिससे उसका वजन बहुत बढ़ जाता है और आगे की यात्रा सीमित हो जाती है। लेकिन अगर रॉकेट को अंतरिक्ष में ही फिर से फ्यूल भरने की सुविधा मिल जाए तो वह अधिक दूरी तक जा सकेगा और ज्यादा सामान या एस्ट्रोनॉट्स को साथ ले जा सकेगा। यह टेक्नोलॉजी सुनने में साइंस फिक्शन जैसी लगती है, लेकिन NASA और कई कंपनियां लंबे समय से इस पर रिसर्च कर रही हैं। और पढें: Elon Musk ने भविष्य को लेकर कहीं चौंकाने वाली बातें-'20 साल बाद नहीं करनी पड़ेगी नौकरी', निकिल कामथ के साथ बातचीत में बड़ा दावा
स्पेस में फ्यूल भरने का सबसे कठिन काम है सुपरकोल्ड लिक्विड प्रोपेलेंट (जैसे लिक्विड ऑक्सीजन और मिथेन) को सुरक्षित रखना और एक जहाज से दूसरे जहाज में ट्रांसफर करना। ये ईंधन आसानी से “बॉयल-ऑफ” होकर वेपर में बदल सकते हैं, क्योंकि अंतरिक्ष में टेंपरेचर को कंट्रोल करना बेहद मुश्किल होता है। साथ ही माइक्रोग्रैविटी यानी ‘Zero’ ग्रैविटी में यह पता लगाना भी कठिन है कि टैंक में लिक्विड किस ओर है। धरती पर ईंधन टैंक में नीचे बैठता है, लेकिन अंतरिक्ष में ऐसा नहीं होता। यही कारण है कि वैज्ञानिकों को नई टेक्नोलॉजी बनानी पड़ रही है जिससे ईंधन सही दिशा में बहे और सुरक्षित तरीके से ट्रांसफर हो। और पढें: सिर्फ 89 रुपए में मिलेगा X Premium, जानिए कैसे मिलेगा और क्या-क्या मिलेगा
SpaceX ने 2024 में अपने ‘Starship’ अंतरिक्ष यान के अंदर ईंधन ट्रांसफर का छोटा डेमो किया था और अब 2025 में दो स्पेसक्राफ्ट के बीच प्रोपेलेंट ट्रांसफर करने की योजना है। हालांकि ‘Starship’ कई बार टेस्टिंग के दौरान असफल भी हुआ है। दूसरी ओर जेफ बेजोस की कंपनी Blue Origin “New Glenn” रॉकेट और एक विशेष ट्रांसपोर्टर बनाने पर काम कर रही है, जो पहले पृथ्वी के ऑर्बिट में ईंधन भरेगा और फिर उसे चंद्रमा के ऑर्बिट तक लेकर जाएगा। वहां यह ट्रांसपोर्टर लूनर लैंडर को ईंधन देगा, जिससे वह अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित चंद्रमा की सतह तक ले जा सके। NASA दोनों कंपनियों के साथ मिलकर इस टेक्नोलॉजी पर काम कर रहा है। और पढें: X Chat: WhatsApp की टेंशन बढ़ाने आया खास फीचर, मैसेज भेजने के साथ कर सकेंगे ऑडियो-वीडियो कॉल
अगर यह टेक्नोलॉजी सफल हो जाती है तो अंतरिक्ष की लंबी यात्राएं जैसे चंद्रमा पर बेस बनाना या मंगल ग्रह तक पहुंचना काफी सस्ती और आसान हो जाएंगी। SpaceX का अनुमान है कि एक चंद्रमा मिशन के लिए 10 से 20 बार ईंधन भरने वाले टैंकर लॉन्च करने पड़ सकते हैं, जबकि कुछ रिपोर्ट्स कहती हैं कि यह संख्या 40 तक भी पहुंच सकती है। यह निश्चित है कि बिना ऑर्बिट में ईंधन भरे हम सीमित दूरी तक ही यात्रा कर सकते हैं। यही कारण है कि वैज्ञानिक और कंपनियां इसे भविष्य का सबसे बड़ा कदम मान रहे हैं। जैसा कि एलन मस्क ने कहा था, “अगर हम टैंकर भेजकर स्पेसक्राफ्ट का टैंक ऊपर तक भर लें, तो मंगल तक पहुंचना संभव है।”