
Written By Ashutosh Ojha
Published By: Ashutosh Ojha | Published: Sep 02, 2025, 12:57 PM (IST)
Semicon India 2025 में भारत ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की। Union Minister of Electronics and Information Technology अश्विनी वैष्णव ने मंगलवार को देश का पहला स्वदेशी 32-बिट माइक्रोप्रोसेसर ‘विक्रम’ (VIKRAM3201) पेश किया। इसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने पूरी तरह स्वदेशी टेक्नोलॉजी से विकसित किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने इस चिप को पेश करते हुए मंत्री ने कहा कि महज 3.5 साल के भीतर भारत ने दुनिया को भरोसा दिलाया है कि अब सेमीकंडक्टर टेक्नोलॉजी में भी भारत आत्मनिर्भर बनने की राह पर है। इस दौरान सरकार की ‘Make in India’ पहल के तहत चार स्वीकृत परियोजनाओं के टेस्ट चिप्स भी प्रदर्शित किए गए। और पढें: IMC 2025: पीएम मोदी ने किया भारत के सबसे बड़े टेक इवेंट उद्घाटन, 6G पर होगा फोकस
विक्रम माइक्रोप्रोसेसर को ISRO के विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर और सेमीकंडक्टर लैबोरेटरी (SCL) ने मिलकर बनाया है। इसे खासतौर पर रॉकेट और लॉन्च व्हीकल्स के लिए तैयार किया गया है, ताकि यह कठिन हालात में भी सही काम कर सके। अंतरिक्ष मिशनों के दौरान यह रॉकेट को कंट्रोल और सही दिशा (नेविगेशन) में ले जाने में मदद करेगा। मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि भारत में अभी 5 नई सेमीकंडक्टर फैक्ट्रियां तेजी से बन रही हैं और इनमें से एक का शुरुआती काम पूरा हो चुका है। विक्रम चिप के आने से भारत ने दुनिया को दिखा दिया है कि अब वह चिप बनाने में भी बड़ी ताकत बन रहा है। और पढें: Flipkart Diwali Sale 2025: कब शुरू होगी और क्या-क्या मिलेंगे ऑफर?
First ‘Made in Bharat’ Chips! 🇮🇳 pic.twitter.com/QYFGA4HFLG
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— Ashwini Vaishnaw (@AshwiniVaishnaw) September 2, 2025
इस माइक्रोप्रोसेसर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह बहुत ज्यादा ठंड (-55°C) से लेकर बहुत ज्यादा गर्मी (125°C) तक बिना खराब हुए काम कर सकता है। यह पुराने VIKRAM1601 प्रोसेसर का नया और बेहतर वर्जन है, जिसे 2009 से ISRO अपने रॉकेट्स में इस्तेमाल कर रहा है। नया प्रोसेसर और भी ज्यादा ताकतवर है और इसमें खास तरह की इंस्ट्रक्शन सेट आर्किटेक्चर दी गई है। इसमें Ada प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का सपोर्ट है, जो स्पेस और डिफेंस में सबसे भरोसेमंद मानी जाती है। इसके अलावा इसमें फ्लोटिंग-पॉइंट कैलकुलेशन की सुविधा है, जिससे यह रॉकेट की दिशा तय करने, सेंसर का डाटा समझने और मुश्किल कैलकुलेशन को आसान बनाने में मदद करता है।
ISRO ने कहा है कि यह नई चिप ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर टूल्स के साथ काम करती है। इसके लिए एक खास सिम्युलेटर और डेवलपमेंट सॉफ्टवेयर (IDE) भी बनाया गया है। इसे रॉकेट उड़ाने वाले सॉफ्टवेयर के साथ सफलतापूर्वक टेस्ट किया जा चुका है। विक्रम प्रोसेसर के अलावा आने वाले महीनों में भारत के दो और चिप बनाने वाले प्लांट्स भी अपनी चिप्स तैयार करेंगे। इसका मतलब है कि भारत अब चिप और माइक्रोप्रोसेसर बनाने में तेजी से आगे बढ़ रहा है। इससे न सिर्फ अंतरिक्ष टेक्नोलॉजी मजबूत होगी बल्कि देश का इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग भी और ज्यादा विकसित होगा।