
ChatGPT आने के बाद बाद से दुनियाभर में यूजर्स के बीच AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) का क्रेज काफी बढ़ गया है। AI से जुड़े कई तरह के टूल्स मार्केट में आ चुके हैं। पिछले कुछ समय से यूजर्स के बीच AI जनरेटेड तस्वीरों का चलन काफी बढ़ गया है। लोग न केवल एआई द्वारा जनरेट तस्वीरों को देख रहे हैं बल्कि खुद AI तस्वीरें बनाकर सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं। बता दें, ये एआई तस्वीरें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा बनाई गई होती हैं, जो कि देखने में बिल्कुल असली लगती हैं। इस तरह की एआई तस्वीरें लोगों के बीच भ्रम भी पैदा कर रही है। लोग फेक एआई तस्वीरों को असल समझ लेते हैं। समस्या यह है कि कुछ शरारती तत्व इन इमेज जनरेटिंग टूल का गलत इस्तेमाल कर फेक एआई तस्वीरें बनाकर गलत जानकारियां फैला सकते हैं।
इसी तरह की समस्या को दूर करने के लिए अब दिग्गज टेक कंपनियां और स्टार्टअप मिलकर काम करने की तैयारी में हैं। 7 बड़ी AI कंपनियों ने एआई टूल के खतरे को मैनेज करने और टेक्नोलॉजी को सुरक्षित बनाने पर प्रतिबद्धता जताई है। इन कंपनियों में Amazon, Anthropic, Google, Inflection, Meta, Microsoft और OpenAI शामिल हैं।
कहा जा रहा है कि वे एआई टूल के जरिए तैयार की गई तस्वीरों की पहचान के लिए वॉटरमार्क सिस्टम तैयार करेंगे। यह वॉटरमार्क बताएगा कि तस्वीर को एआई टेक्नोलॉजी द्वारा डेवलप किया गया है। इससे यूजर इंटरनेट पर शेयर हो रही तस्वीरों को देखकर पता लगा पाएंगे कि कौन-सी तस्वीर असली है और कौन-सी एआई द्वारा जनरेटेड है।
21 जुलाई को इन कंपनियों से अमेरिकी राष्ट्रपति Joe Biden के साथ White House में इस संबंध में मुलाकात की। कहा गया है कि ये सभी कंपनियां गलत जानकारी फैलाने वाले एआई टूल टेक्नोलॉजी को कम करने की कोशिश करेंगे।
AI टेक्नोलॉजी को जहां यूजर्स की सुविधा के लिए पेश किया गया था। वहीं, कुछ लोग इन एआई टूल का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जहां फर्जी खबरें फैलाने के लिए AI टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया। पिछले दिनों जंतर-मंतर पर धरना दे रहे पहलवानों की तस्वीरों को AI द्वारा एडिट करके वायरल किया गया। एआई द्वारा जनरेट की गई तस्वीर को कई बार पहचान पाना मुश्किल होता है कि यह असली है या नकली।
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