Written By Ashutosh Ojha
Published By: Ashutosh Ojha | Published: Aug 11, 2025, 01:02 PM (IST)
Nvidia-AMD
अमेरिकी चिप निर्माता कंपनियां Nvidia और AMD ने चीन में अपने एडवांस्ड कंप्यूटर चिप्स की बिक्री से होने वाले रेवेनुए का 15% अमेरिकी सरकार को देने पर सहमति जताई है। यह चिप्स जैसे Nvidia का H20 मॉडल, AI एप्लीकेशंस में इस्तेमाल होते हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने अप्रैल में H20 चिप्स की चीन में बिक्री रोक दी थी, लेकिन हाल ही में Nvidia को फिर से बिक्री शुरू करने की अनुमति मिल गई है। अमेरिकी Commerce Department ने अब इन चिप्स के लिए निर्यात लाइसेंस जारी करना भी शुरू कर दिया है। बताया जा रहा है कि यह समझौता इन लाइसेंस को पाने की शर्तों में से एक है।
Nvidia के प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी अमेरिकी सरकार के बनाए गए नियमों का पालन करती है और उम्मीद है कि एक्सपोर्ट कंट्रोल नियम अमेरिका को चीन और बाकी दुनिया में कंपटीशन करने का मौका देंगे। उन्होंने यह भी बताया कि H20 चिप्स की चीन में पिछले कई महीनों से कोई शिपमेंट नहीं हुई है। दूसरी ओर AMD ने इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की। फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, यह payment system AMD के MI308 जैसे बाकी चिप्स पर भी लागू होगी। हालांकि ट्रंप प्रशासन ने अभी यह तय नहीं किया है कि इस पैसे का इस्तेमाल कैसे होगा।
इस फैसले पर विशेषज्ञों में मिली-जुली प्रतिक्रियाएं हैं। सेंटर फॉर न्यू अमेरिकन सिक्योरिटी के सीनियर फेलो जेफ गर्ट्ज ने कहा कि अगर H20 चिप्स की बिक्री चीन को करना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है, तो इसे बिल्कुल नहीं बेचना चाहिए और अगर यह खतरा नहीं है, तो उस पर अतिरिक्त टैक्स या पेनाल्टी क्यों लगाई जा रही है? वहीं अमेरिका के Commerce Secretary हावर्ड लुटनिक ने कहा कि चीन की कंपनियों के पास अमेरिकी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल जारी रहना अमेरिका के हित में है, भले ही सबसे एडवांस्ड चिप्स का निर्यात प्रतिबंधित हो। इससे चीन अमेरिकी “टेक स्टैक” पर निर्भर रहेगा।
कुछ पूर्व अधिकारी इस फैसले से खुश नहीं हैं। बाइडन सरकार में Commerce Department के सलाहकार रह चुके अलस्डेयर फिलिप्स-रॉबिन्स ने कहा कि अगर यह खबर सच है, तो इसका मतलब है कि सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा के नियमों के बदले पैसा लेना शुरू कर दिया है। अभी यह साफ नहीं है कि 15% वाला यह नियम कब और कैसे लागू होगा। लेकिन अमेरिकी सरकार कह रही है कि यह सब कानून के अंदर रहकर किया जाएगा। आने वाले समय में यह फैसला अमेरिका और चीन के टेक्नोलॉजी और आर्थिक रिश्तों को काफी बदल सकता है।