
NASA (National Aeronautics and Space Administration) के एडमिनिस्ट्रेटर बिल नेल्सन इन दिनों भारत के दौरे पर हैं। बिल नेल्सन ने बताया कि NASA और भारतीय स्पेस एजेंसी ISRO मिलकर भारतीय अंतरिक्षयात्रियों को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन भेजने की योजना पर काम कर रहे हैं। 2024 के आखिर तक भारतीय अंतरिक्ष यात्री इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन भेजे जाएंगे। इसके अलावा NASA और ISRO साथ मिलकर NISAR सैटेलाइट को अगले साल की पहली तिमाही में लॉन्च करेंगे। यह सैटेलाइट इन दोनों स्पेस एजेंसियों के बीच स्टेट-ऑफ-द-ऑर्ट ज्वॉइंट वेंचर के तहत लॉन्च किया जाएगा।
नासा इसके अलावा इसरो के बहुप्रतीक्षित गगनयान मिशन में भी मदद कर सकता है। बिल नेल्सन ने इस सिलसिले में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह के साथ मुलाकात की है और दोनों देश के बीच अंतरिक्ष सेक्टर की साझेदारी को और मजबूत करने का फैसला किया है। जितेंद्र सिंह ने कहा कि ISRO इस समय NASA से हाइपर वेलोसिटी इम्पैक्ट टेस्ट (HVIT) को गगनयान मिशन के टेस्टिंग मॉड्यूल माइक्रोमेट्रियॉड और ऑर्बिटल डेब्रिस (MMOD) प्रोटेक्शन शील्ड के लिए संभावनाएं तलाश रहा है।
इस दौरान केंद्रीय मंत्री ने बिल नेल्सन के साथ अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रस्ताव पर भी बात की, जिसमें भारतीय अंतरिक्षयात्री को अगले साल के आखिर तक इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में भेजने की बात कही गई थी। भारत के किस अंतरिक्षयात्री को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन भेजा जाएगा इसका चुनाव ISRO करेगा। NASA इसका चुनाव नहीं करेगा।
इसके अलावा बिल नेल्सन बताया कि NASA भारत के स्पेस स्टेशन स्थापित करने में ISRO की मदद करने के लिए तैयार है। नेल्सन ने कहा कि हम चाहते हैं कि भारत के पास 2040 तक अपना कमर्शियल स्पेस स्टेशन हो। अगर, भारत इसके लिए हमारे साथ साझेदारी करना चाहता है, तो हम उपलब्ध हैं। यह पूरी तरह से भारत पर निर्भर करेगा। इससे पहले पीएम मोदी ने ISRO से कहा था कि उनका लक्ष्य 2035 तक भारतीय स्पेस स्टेशन स्थापित करने और 2040 तक अंतरिक्षयात्री को चांद पर उतारने की तरफ होना चाहिए।
NISAR (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) को अगले साल की पहली तिमाही में भारत के GSLV रॉकेट से भेजा जाएगा। इस सैटेलाइट को अंतरिक्ष में भेजने के लिए करीब 1.5 बिलियन डॉलर यानी लगभग 12,500 करोड़ रुपये का खर्च आएगा।
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