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ISRO पर डेली 100 से ज्यादा साइबर अटैक, ऐसे करते हैं बचाव

ISRO चीफ एस सोमनाथ ने कहा कि इसरो को डेली 100 से ज्यादा साइबर अटैक्स को झेलना पड़ता है। अटैकर्स रॉकेट के सॉफ्टवेयर के साथ-साथ चिप की जानकारी चुराने की कोशिश करते हैं।

Published By: Harshit Harsh

Published: Oct 09, 2023, 09:48 PM IST | Updated: Oct 10, 2023, 04:11 AM IST

Cyber-Attacks
Image: Pixabay

Story Highlights

  • ISRO पर डेली 100 से ज्यादा साइबर अटैक्स होते हैं।
  • अटैकर्स रॉकेट के चिप की डिटेल चुराने की कोशिश करते हैं।
  • सैटेलाइट्स को 15 साल के सॉफ्टवेयर सुरक्षा से लैस किया जाता है।

ISRO यानी इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन पर डेली 100 से ज्यादा साइबर अटैक्स किए जाते हैं। इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ ने कोच्चि में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान यह बात कही है। हैकर्स केवल इसरो को ही नहीं कई और संस्थानों पर भी डेली बेसिस पर सैकड़ों साइबर अटैक का प्रयास करते हैं, लेकिन इन साइबर अटैक को रोकने के लिए हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर लेवल पर सुरक्षा के कदम उठाए जाते हैं। ये हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर इसरो या किसी भी संस्थान पर होने वाले साइबर अटैक के प्रयासों को रोकने में सफल होते हैं। एस सोमनाथ ने बताया कि इनकी वजह से इसरो के सिक्योरिटी सिस्टम को अटैकर्स भेजने में सफल नहीं हो पाते हैं।

इसरो के पास जबरदस्त सेफ्टी मेकेनिज्म

ISRO के पास एक जबरदस्त फायरवॉल और सेफ्टी मेकेनिज्म है, जिसकी वजह से साइबर अपराधियों के डेली बेसिस होने वाले अटैक्स को रोका जाता है। साइबर अटैकर्स के प्रयासों को बाहरी सुरक्षा लेयर में ही रोक दिया जाता है। ISRO चीफ ने कोच्चि में आयोजित एक साइबर इवेंट के दौरान कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) इस समय भविष्य के टेक्नोलॉजी को नया आयाम दे रहा है। इसका इस्तेमाल स्ट्रेटेजिक और डिफेंस डोमेन के लिए किया जा सकता है।

इसरो के चीफ ने बताया कि किसी सैटेलाइट को अंतरिक्ष में लॉन्च करने के लिए उसमें कई तरह के हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर को इंस्टॉल किया जाता है, ताकि वो 15 साल तक काम करते रहे है। 15 साल के बाद टेक्नोलॉजी पुरानी होने के बाद उनपर साइबर अटैक का खतरा रहता है। हम अपने स्मार्टफोन के ऑपरेटिंग सिस्टम को रेगुलर बेसिस पर तो अपग्रेड कर सकते हैं, लेकिन रॉकेट में ऐसा संभव नहीं हो पाता है। उनमें रिमोटली सॉफ्टवेयर अपडेशन की प्रक्रिया पूरी नहीं की जा सकती है। भविष्य के लिए बनाई जाने वाली सैटेलाइट को भी लेटेस्ट टेक्नोलॉजी के आधार पर तैयार किया जाता है, लेकिन कुछ साल बाद उसकी टेक्नोलॉजी भी पुरानी हो जाती है।

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रॉकेट के हार्डवेयर चिप्स की जानकारी चुराने का प्रयास

कई हैकर्स ग्रुप इसरो के सॉफ्टवेयर के अलावा रॉकेट के अंदर हार्डवेयर चिप्स की जानकारी चुराने का प्रयास करते हैं। ऐसे में स्पेस एजेंसी हार्डवेयर चिप्स की सुरक्षा पर भी फोकस कर रहा है। इस समय ISRO भारत के पहले ह्यूमन मिशन गगनयान के क्रू एस्केप सिस्टम को टेस्ट कर रहा है। इसके लिए प्लाइट टेस्ट वीकल को अबॉर्ट मिशन-1 भेजने की तैयारी की जा रही है। क्रू एस्केप मिशन का मतलब है कि अंतरिक्षयान में अगर किसी भी तरह की खराबी आती है, तो इंसानों को सुरक्षित धरती पर वापस लाया जा सके।

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Author Name | Harshit Harsh

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