
ISRO यानी इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन पर डेली 100 से ज्यादा साइबर अटैक्स किए जाते हैं। इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ ने कोच्चि में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान यह बात कही है। हैकर्स केवल इसरो को ही नहीं कई और संस्थानों पर भी डेली बेसिस पर सैकड़ों साइबर अटैक का प्रयास करते हैं, लेकिन इन साइबर अटैक को रोकने के लिए हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर लेवल पर सुरक्षा के कदम उठाए जाते हैं। ये हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर इसरो या किसी भी संस्थान पर होने वाले साइबर अटैक के प्रयासों को रोकने में सफल होते हैं। एस सोमनाथ ने बताया कि इनकी वजह से इसरो के सिक्योरिटी सिस्टम को अटैकर्स भेजने में सफल नहीं हो पाते हैं।
ISRO के पास एक जबरदस्त फायरवॉल और सेफ्टी मेकेनिज्म है, जिसकी वजह से साइबर अपराधियों के डेली बेसिस होने वाले अटैक्स को रोका जाता है। साइबर अटैकर्स के प्रयासों को बाहरी सुरक्षा लेयर में ही रोक दिया जाता है। ISRO चीफ ने कोच्चि में आयोजित एक साइबर इवेंट के दौरान कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) इस समय भविष्य के टेक्नोलॉजी को नया आयाम दे रहा है। इसका इस्तेमाल स्ट्रेटेजिक और डिफेंस डोमेन के लिए किया जा सकता है।
Mission Gaganyaan:
ISRO to commence unmanned flight tests for the Gaganyaan mission.ISRO ने नए साल के पहले दिन XPoSat सैटेलाइट की लॉन्च, जुटाएगी ब्लैक होल से जुड़ी जानकारीयहां भी पढ़ेंPreparations for the Flight Test Vehicle Abort Mission-1 (TV-D1), which demonstrates the performance of the Crew Escape System, are underway.https://t.co/HSY0qfVDEH @indiannavy #Gaganyaan pic.twitter.com/XszSDEqs7w
— ISRO (@isro) October 7, 2023
इसरो के चीफ ने बताया कि किसी सैटेलाइट को अंतरिक्ष में लॉन्च करने के लिए उसमें कई तरह के हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर को इंस्टॉल किया जाता है, ताकि वो 15 साल तक काम करते रहे है। 15 साल के बाद टेक्नोलॉजी पुरानी होने के बाद उनपर साइबर अटैक का खतरा रहता है। हम अपने स्मार्टफोन के ऑपरेटिंग सिस्टम को रेगुलर बेसिस पर तो अपग्रेड कर सकते हैं, लेकिन रॉकेट में ऐसा संभव नहीं हो पाता है। उनमें रिमोटली सॉफ्टवेयर अपडेशन की प्रक्रिया पूरी नहीं की जा सकती है। भविष्य के लिए बनाई जाने वाली सैटेलाइट को भी लेटेस्ट टेक्नोलॉजी के आधार पर तैयार किया जाता है, लेकिन कुछ साल बाद उसकी टेक्नोलॉजी भी पुरानी हो जाती है।
कई हैकर्स ग्रुप इसरो के सॉफ्टवेयर के अलावा रॉकेट के अंदर हार्डवेयर चिप्स की जानकारी चुराने का प्रयास करते हैं। ऐसे में स्पेस एजेंसी हार्डवेयर चिप्स की सुरक्षा पर भी फोकस कर रहा है। इस समय ISRO भारत के पहले ह्यूमन मिशन गगनयान के क्रू एस्केप सिस्टम को टेस्ट कर रहा है। इसके लिए प्लाइट टेस्ट वीकल को अबॉर्ट मिशन-1 भेजने की तैयारी की जा रही है। क्रू एस्केप मिशन का मतलब है कि अंतरिक्षयान में अगर किसी भी तरह की खराबी आती है, तो इंसानों को सुरक्षित धरती पर वापस लाया जा सके।
टेक्नोलॉजी और ऑटोमोबाइल की लेटेस्ट खबरों के लिए आप हमें व्हाट्सऐप चैनल, फेसबुक, यूट्यूब और X, पर फॉलो करें।Author Name | Harshit Harsh
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