
डेटा लीक से जुड़ी बड़ी खबर सामने आई है। मलयाला मनोरमा की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सरकारी पोर्टल कोविन (COWIN) से करोड़ो भारतीय लोगों के साथ-साथ बड़े नेताओं और पत्रकारों तक की आधार, पासपोर्ट व पैन कार्ड नंबर जैसी निजी जानकारी लीक हो गई है। ये पर्सनल डिटेल मैसेजिंग प्लेटफॉर्म टेलीग्राम (Telegram) पर उपलब्ध है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि टेलीग्राम बॉट में कोविन पोर्टल से जुड़ा नंबर दर्ज करने पर उससे लिंक जेंडर, डीओबी और वैक्सीनेशन सेंटर का नाम और वैक्सीनेशन के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले आईडी का नंबर दिखाई दे रहा है। इसके अलावा, टेलीग्राम पर वोटर आईडी से लेकर आधार और पैन कार्ड तक की आईडी भी दिख रही है।
TMC तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता साकेत गोखले ने भी अपने ट्विटर अकाउंट पर कुछ स्क्रीनशॉट शेयर किए हैं, जिनमें पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम समेत कई नेताओं के निजी डिटेल को देखा जा सकता है। इसके अलावा, गोखले ने कई दिग्गज पत्रकारों की निजी जानकारी लीक होने का दावा किया है।
SHOCKING:
There has been a MAJOR data breach of Modi Govt where personal details of ALL vaccinated Indians including their mobile nos., Aadhaar numbers, Passport numbers, Voter ID, Details of family members etc. have been leaked & are freely available.
Some examples 👇
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— Saket Gokhale (@SaketGokhale) June 12, 2023
कोविन डेटा लीक को लेकर केंद्र सरकार, स्वास्थ्य विभाग और प्रौद्योगिकी मंत्रालय की तरफ से कोई बयान जारी नहीं किया गया है। वहीं, टेलीग्राम ने भी अभी तक डेटा ब्रीच को लेकर कुछ नहीं कहा है।
आपको बता दें कि साल 2021 में भी कोविन पोर्टल हैक होने की खबर आई थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि 15 करोड़ यूजर्स का पर्सनल डेटा लीक हुआ था। हालांकि, कुछ समय बाद साइबर सिक्योरिटी शोधकर्ताओं ने इस खबर का खंड़न किया था।
आपको बता दें कि हाल ही में AIIMS की वेबसाइट पर साइबर अटैक हुआ था। ऐम्स ने ट्वीट कर बताया कि सिक्योरिटी सिस्टम ने दोपहर 2 बजकर 50 मिनट पर मैलवेयर को सिस्टम पर पकड़ा था और कुछ समय बाद इसको हटा दिया गया। अब अस्पताल की ई-हॉस्पिटल सर्विस शुरू हो गई है और यह पूरी तरह से सुरक्षित है।
इससे पहले भी ऐम्स पर पिछले साल नवंबर में साइबर हमला हुआ था और उस समय अस्पताल के सर्वर कुछ दिन के लिए बंद हो गए थे। इस वजह से अस्पताल के रोजमर्रा के काम काफी बाधित हुए। विशेषज्ञों ने बताया कि यह हमला हॉन्गकॉन्ग की इमेल आईडी से किया गया था।
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