
ISRO ने Chandrayaan 3 की सफलता के बाद एक और बड़े मिशन की तैयारी कर ली है। भारतीय स्पेस एजेंसी अगले महीने 2 सितंबर को सूर्य की कक्षा में अपना पहला अंतरिक्षयान Aditya L1 भेजने वाली है। इसे आंध्रप्रदेश के सतीश धवन स्पेस सेंटर श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा। Aditya L1 मिशन का मुख्य उदेश्य सूर्य के ऊपरी वातावरण, जिसे क्रोमोस्फेयर और सोलर कोरोना कहा जाता है के डायनामिक्स का अध्ययन करना है। आदित्य एल-1 को धरती से 151.13 मिलियन किलोमीटर दूर सूर्य की कक्षा में भेजना है। इसके लिए इसरो PSLV-C57 रॉकेट लॉन्चर का इस्तेमाल करेगा। चंद्रयान-3 को चांद पर भेजने के लिए स्पेस एजेंसी ने GSLV-Mk3 (LVM3) रॉकेट का इस्तेमाल किया था। आइए, जानते हैं इसरो के इन दोनों रॉकेट लॉन्चर में क्या अंतर है?
चंद्रयान 3 में GSLV यानी जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च वीकल का इस्तेमाल किया गया था। इस वीकल की ऊंचाई 43.5 मीटर है और इसका डायमीटर 4.0 मीटर है। इसमें लगे हीट शील्ड की ऊंचाई 5 मीटर है। इसका वजह 640 टन है और इसमें तीन स्टेज दिए गए हैं। यह रॉकेट लॉन्चर 4,000 टन के क्लास सैटेलाइट को GSAT ऑर्बिट में भेजने में सक्षण है। वहीं, इसके जरिए लो अर्थ ऑर्बिट यानी (LEO) में 8,000 किलोग्राम का वजन 600 किलोमीटर के एल्टीट्यूड पर पेलोड्स को पहुंचा सकता है।
इसमें क्रायोजेनिक इंजन लगता है, साथ ही इसमें तीन स्टार्प ऑन मोटर्स, एक लिक्विड कोर स्टेज और हाई थ्रस्ट क्रायोजेनिक अपर स्टेज मिलता है। इसरो का यह हैवी लॉन्च वीकल है, जिसमें जियोसिक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में 4000 किलोग्राम के स्पेसक्राफ्ट को लॉन्च करने की क्षमता है।
PSLV-C57/Aditya-L1 Mission:
Aditya-L1, the first space-based Indian observatory to study the Sun ☀️, is getting ready for the launch.
The satellite realised at the U R Rao Satellite Centre (URSC), Bengaluru has arrived at SDSC-SHAR, Sriharikota.
More pics… pic.twitter.com/JSJiOBSHp1
— ISRO (@isro) August 14, 2023
Aditya L1 मिशन के लिए इसरो अपने सबसे लेटेस्ट PSLV-C57 रॉकेट लॉन्चर का इस्तेमाल करेगा। भारत ने सूरज के ऑर्बिट में जाने की परिकल्पना जनवरी 2008 में की थी। इस समय स्पेस रिसर्ट की एडवाइजरी कमिटी द्वारा इस मिशन के बारे में पहली बार बात की गई थी। इसरो का यह एक ऑब्जर्बेटरी मिशन होगा, जिसमें 7 पेलोड्स अतरिक्ष में भेजे जाएंगे, जो सूर्य की कक्षा के पास L1 प्वाइंट पर पहुंचेंगे। यह अंतरिक्षा का ऐसा स्थान है, जहां कभी सूर्य ग्रहण नहीं होता है। इसकी वजह से आदित्य एल 1 चौबीसों घंटे सूर्य पर नजर रख सकता है।
इसरो ने इसके PSLV-C57 रॉकेट लॉन्चर के बारे में कोई जानकारी शेयर नहीं की है। लॉन्च के समय ही इस रॉकेट लॉन्चर की तकनीकी जानकारियां पता चल सकेगी। PSLV को पोलर सैटेलाइट लॉन्च वीकल कहा जाता है, जो धरती से काफी दूरी तक पेलोड्स को भेज सकता है।
टेक्नोलॉजी और ऑटोमोबाइल की लेटेस्ट खबरों के लिए आप हमें व्हाट्सऐप चैनल, फेसबुक, यूट्यूब और X, पर फॉलो करें।Author Name | Harshit Harsh
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