Published By: Harshit Harsh | Published: Jul 17, 2023, 01:53 PM (IST)
भारत सरकार के महत्वाकांक्षी आयुष्मान भारत के नाम पर होने वाले बड़े फ्रॉड का पता चला है। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) टूल के जरिए आयुष्मान भारत कार्ड के नाम पर होने वाले इस फ्रॉड का पता चला है और करीब 9.5 करोड़ रुपये वापस किए गए हैं। AI द्वारा पता लगाए गए इस फर्जीवाड़े के बाद करीब 5.3 लाख आयुष्मान भारत कार्ड्स को डिसेबल कर दिया गया है और 210 अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें आयुष्मान भारत योजना के पैनल से हटा लिया गया है। बता दें आयुष्मान भारतत प्रधानमंत्री जन आरोग्या योजना दुनिया की सबसे बड़ी सरकारी इंश्योरेंस स्कीम है। और पढें: घर बैठे फ्री में बनाएं आयुष्मान भारत कार्ड, मिलेगा 5 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज
The Hindu की रिपोर्ट के मुताबिक, जांच में आयुष्मान भारत स्कीम के तहत आने वाले करीब 0.18 प्रतिशत अस्पताल भर्तियां फर्जी पाई गई हैं। इसके अलावा सरकार द्वारा चलाई गई एंटी फ्रॉड ड्राइव में करीब 188 अतिरिक्त अस्पतालों को भी सस्पेंड कर दिया गया है और उनपर 20.17 करोड़ रुपये की पेनाल्टी लगाई गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक,इस रूटीन चेक में AI ने काफी मदद की है। अब आसानी से फ्रॉड एक्टिविटी यानी फर्जीवाड़े का पता लगाया जा सकता है। AI टूल में ऐसे एल्गोरिदम का इस्तेमाल हुआ है, जो बड़ी मात्रा में डेटा को एनालाइज करके होने वाले संदिग्ध ट्रांजेक्शन और इंटीटीज का पता लगा सकता है।
हालांकि, पहले भी नेशनल हेल्थ ऑथिरिटी (NHA) आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य स्कीम को लेकर एंटी-फ्रॉड गाइडलाइंस जारी कर चुका है। इसके अलावा विभाग ने राज्य और केन्द्र शासित प्रदेशों में भी नेशनल एंटी फ्रॉड यूनिट (NAFU) गठित की है, जो इस योजना से संबंधित फर्जीवाड़े को राज्य स्तर पर देख सके। सरकार इस स्कीम को जीरो टॉलरेंस अप्रोच के तहत लागू कर रही है। इस योजना का लाभ उठाने वाले लाभार्थियों को जरूरी दस्तावेजों को जमा करना पड़ता है। साथ ही, उन्हें रोगी की ऑन-बेड फोटो भेजनी पड़ती है। इसके अलावा इस स्कीम का फायदा उठाने के लिए आधार बेस्ड वेरिफिकेशन रखी गई है।
आयुष्मान भारत योजना के तहत सरकार इलाज के लिए 5 लाख रुपये तक की मदद करती है। रोगी इस योजना के तहत रजिस्टर्ड किसी भी अस्पताल में इलाज करा सकते हैं। इसके लिए सरकार के द्वारा 5 लाख रुपये तक की मदद की जाती है। ठग रोगी की निजी जानकारियां चुराकर इस स्कीम के तहत पैसे उठा सकते हैं। इसके लिए उनकी अस्पताल के साथ भी सांठ-गांठ रहती है। इससे बचने के लिए अपनी निजी जानकारियों समेत इलाज से संबंधित जानकारियों को किसी के साथ शेयर नहीं करनी चाहिए।