
Artificial Intelligence यानी AI का एक नया सिस्टम तैयार हुआ है, जो इंसानी दिमाग को पढ़ सकता है। यह AI सिस्टम इंसान की सोच को लिखकर बता देता है। यह टूल इंसान के ब्रेन एक्टिविटी के आधार पर रिजल्ट देगा। यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सस, ऑस्टिन के चार सदस्यों की एक रिसर्च टीम (जिसमें एक भारतीय भी शामिल है) ने सोमवार 1 मई को इस टेक्नोलॉजी के बारे में जानकारी शेयर की है। रिसर्च के मुताबिक, यह टूल फंक्शनल मैग्नेटिक रेसोनांस इमेजिंग (f-MRI) स्कैन के आधार पर ब्रेन एक्टिविटी मेजर कर सकता है।
इस चार सदस्यी रिसर्च ग्रुप ने इस टेक्नोलॉजी को शोकेस करते हुए कहा है कि यह टेक्नोलॉजी खासतौर पर उन यूजर्स को फायदा पहुंचाएगा, जो बोलने और सुनने में असमर्थ हैं या फिर किसी बीमारी से ग्रसित हैं। यह नया AI सिस्टम ब्रेन एक्टिविटी को डिकोड करने वाले कम्प्यूटेशनल टेक्नोलॉजी पर बेस्ड है जो OpenAI के ChatGPT टूल की तरह ही कन्वर्सेशन करने में मदद कर सकता है।
टेक्सस यूनिवर्सिटी के रिसर्चर डॉ जैरी टैंग (Jerry Tang) ने इस टूल के बारे में बताया कि इसका मुख्य लक्ष्य दिमागी भाषा को डिकोड करके यूजर द्वारा सोचे या सुने जाने वाले शब्दों को कन्वर्सेशन में बदलना है। यह टेक्नलॉजी प्रूफ-ऑफ-कॉन्सेप्ट लैंग्वेज को डिकोड करके नॉन-इनवेसिव रिकॉर्डिंग में बदल देगा।
डॉ टैंग और उनकी टीम ने पहले भाषा को डिकोड किया, फिर उसे सिंगल वर्ड से सेंटेंस में f-MRI के जरिए बदल देगा। AI की यह नई कन्वर्सेशनल टेक्नोलॉजी स्पेसिफाइड यूजर्स के लिए है। इसके लिए यूजर को 15 घंटे तक MRI स्कैनर में समय बिताना पड़ सकता है और पूरी तरह से अपना ध्यान कन्वर्सेशन पर रखना पड़ेगा।
इस AI सिस्टम के लिए एक MRI मशीन की जरूरत पड़ती है, जो इंसान की दिमाग को पढ़कर उसे डिकोड करके भाषा में बदल सकता है। रिसर्चर्स का मानना है कि इस टेक्नोलॉजी को अभी कई ट्रेनिंग से गुजरने की जरूरत है। मेडिकल साइंस को इस नई जेनरेटिव AI टेक्नोलॉजी का लाभ मिलेगा। भविष्य में बोलने-सुनने में असमर्थ लोगों को इसका लाभ मिल सकता है। इससे पहले भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने इंसानों के जीवन को आसान बनाया है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से कम्युनिकेशन और भी बेहतर हो जाएगा।
Author Name | Harshit Harsh
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