24 Aug, 2025 | Sunday
ट्रेंडिंग : रिचार्ज प्लानInstagramAmazon Offerटिप्स एंड ट्रिक

Gaganyaan से पहले ISRO ने इन 6 मिशन के साथ लहराया भारत का परचम

ISRO जल्द ही अपने पहले मानवसहित अंतरिक्ष मिशन गगनयान को लॉन्च करने वाला है। इस मिशन से पहले इसरो के नाम कई और उपलब्धियां शामिल हैं, जिनमें चंद्रयान, मंगलयान आदि शामिल हैं।

Published By: Harshit Harsh

Published: Oct 22, 2023, 03:30 PM IST

ISRO

Story Highlights

  • इसरो ने गगनयान मिशन से पहले कई बार अंतरिक्ष में अपना परचम लहराया है।
  • इससे पहले चंद्रयान- 1, चंद्रयान -3 और मंगलयान के जरिए रिकॉर्ड स्थापित किया है।
  • गगनयान मिशन में पहली बार अंतरिक्ष में इंसानों को भेजा जाएगा।

ISRO जल्द ही अंतरिक्ष में इंसानों को भेजने वाला है। इसके लिए इसरो ने गगनयान मिशन की घोषणा की है। इस मिशन को 2025 में पूरा किया जाएगा। इसरो ने इसके लिए पहला टेस्ट वीकल TV D1 कल यानी 21 अक्टूबर को सफलतापूर्वक लॉन्च किया है। इस टेस्ट वीकल के जरिए गगनयान मिशन में जाने वाले अंतरिक्षयात्रियों को सफलतापूर्वक धरती पर उतारने की प्रक्रिया को टेस्ट किया गया। गगनयान मिशन के साथ इसरो का नाम दुनिया के उन गिन-चुने देशों में शामिल हो जाएगा, जिन्होंने अंतरिक्ष में इंसानों को भेजा है। हालांकि, इस मिशन से पहले भी इसरो ने कई बार अंतरिक्ष के क्षेत्र में अपना डंका बजाया है।

विकास इंजन – 1970

इसरो ने 1970 में दमदार रिलायेबल लिक्विड रॉकेट इंजन डेवलप किया था। इस इंजन का इस्तेमाल कई सैटेलाइट लॉन्च वीकल जैसे कि PSLV और GSLV में इस्तेमाल किया गया है। लिक्विड पर्पलशन सिस्टम पर बेस्ड इस इंजन को डेवलप करने में साइंटिस्ट नाम्बी नारायण का महत्वपूर्ण योगदान था। इस इंजन में इनोवेटिव केमिकल प्रेसराइजेशन सिस्टम का इस्तेमाल किया गया था। GSLV मार्क I और मार्क II की परफॉर्मेंस में इस इंजन ने बड़ा काम किया था। यही नहीं, चंद्रयान और मंगलयान मिशन में इस्तेमाल होने वाले GSLV मार्क III में भी इस इंजन का योगदान रहा है।

आर्यभट्ट सैटेलाइट- 1975

विकास इंजन के बाद इसरो ने भारत के प्राचीन गणितज्ञ आर्यभट्ट के नाम पर सैटेलाइट को 19 अप्रैल 1975 में लॉन्च किया था। इस सैटेलाइट को रूस द्वारा बनाए गए रॉकेट के जरिए अंतरिक्ष में छोड़ा गया था। इस सैटेलाइट को दमदार कोसमोस 3M लॉन्च वीकल के जरिए अंतरिक्ष में भेजा गया था। इस सैटेलाइट का वजन 794 पाउंड यानी करीब 360 किलोग्राम था। यह सैटेलाइट सूर्य से आने वाली गामा किरणों और न्यूट्रॉन का विशलेषण करने के लिए अंतरिक्ष में भेजा गया था।

चंद्रयान-1 (2008)

अक्टूबर 2008 में इसरो ने लो-कॉस्ट चंद्रयान-1 को लॉन्च करके दुनियाभर के स्पेस एजेंसी को चौंका दिया था। यह भारत का पहला मून मिशन था। इस अंतरिक्षयान को पोलर सैटेलाइट लॉन्च वीकल (PSLV) के जरिए लॉन्च किया गया था। चंद्रयान-1 का वजन 590 किलोग्राम था। इस मिशन के बाद ही इसरो ने चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 के जरिए चांद के दक्षिणी ध्रूव पर उतरने की कोशिश की और सफलता पाई।

मंगलयान- 2014

इसरो ने चांद के बाद मंगल ग्रह के लिए साल 2013 में मंगलयान मिशन की घोषणा की थी। 24 सितंबर 2014 को इसरो ने मंगल के कक्षा में प्रवेश करके इतिहास रच दिया। इस अंतरिक्षयान में कलर कैमरा, थर्मल इंफ्रारेट सेंसर, अल्ट्रा वॉयलेट स्पेक्ट्रोमीटर, मास स्पेक्ट्रोमीटर और मिथेन सेंसर लगा था। इस अंतरिक्षयान को इसरो के पावरफुल लॉन्च वीकल PSLV-XL के जरिए लॉन्च किया गया था।

104 सैटेलाइट एक साथ लॉन्च करना- 2017

2017 में इसरो ने इतिहास रचते हुए एक साथ 104 सैटेलाइट्स को लॉन्च किया था। इन 104 सैटेलाइट्स को एक ही रॉकेट के जरिए लॉन्च किया गया था। इसके लिए इसरो ने 6 देशों के सैटेलाइट्स अंतरिक्ष में भेजे थे। इनमें यूके, अमेरिका, जर्मनी जैसे बड़े देश शामिल थे। इन सैटेलाइट्स को इसरो के PSLV ने अंतरिक्ष में भेजा था।

TRENDING NOW

चंद्रयान 3 – 2023

इस साल चंद्रयान-3 ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरकर इतिहास रच दिया। 23 अगस्त 2023 को चंद्रयान-3 चांद की सतह पर सफलतापूर्वक उतरकर इसरो का नाम पूरी दुनिया में रोशन किया। चंद्रयान -3 को इसरो के LVM 3 लॉन्च वीकल के जरिए अंतरिक्ष में भेजा गया था। 7 सितंबर 2023 को इसरो ने चंद्रयान-3 को धरती से भेजा था। इस मिशन के साथ चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला भारत पहला देश बन गया।

टेक्नोलॉजी और ऑटोमोबाइल की लेटेस्ट खबरों के लिए आप हमें व्हाट्सऐप चैनल, फेसबुक, यूट्यूब और X, पर फॉलो करें।

Author Name | Harshit Harsh

Select Language