
भारत के करोड़ों लोंगो का हेल्थ डेटा एक बार फिर से हैकर्स के निशाने पर है। पिछले साल CoWIN वैक्सीन पोर्टल का डेटा लीक सामने आने के बाद नेशनल हेल्थ ऑथिरिटी के हेड आर एस शर्मा ने कहा था कि स्टेट ऑफ आर्ट सिक्योरिटी में किसी तरह का ब्रीच नहीं हुआ है। हालांकि, एक नई रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें NHA के हेड आर एस शर्मा का निजी डेटा टेलीग्राम ऐप के जरिए लीक हो गया है। दिल्ली पुलिस ने इस मामले में दो संदिग्धों को गिरफ्तार किया है।
इस डेटा लीक में लोगों के नाम, आधार नेशनल आईडी कार्ड के नंबर, मोबाइल नंबर, वोटर आईडी कार्ड की डिटेल, पासपोर्ट नंबर के साथ-साथ COVID वैक्सीनेशन की जानकारियां शामि हैं। इसके अलावा पिछले साल AIIMS डेटा लीक की भी खबरें सामने आई थी।
रायटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस हालिया डेटा ब्रीच में लोगों के हेल्थ डेटा पर निशाना साधा गया है। इस डेटा ब्रीच का नुकसान आम लोगों को उठाना पड़ सकता है। हैकर्स उनके निजी डेटा का दुरुपयोग कर सकते हैं। साइबर अपराधी इन दिनों फाइनेंशियल डेटा जैसे कि UPI मोबाइल पेमेंट सिस्टम, बैंक डिटेल्स के साथ-साथ हेल्थ रिकॉर्ड्स से संबंधित डेटा की चोरी कर रहे हैं। हालांकि, सरकार और ऑथिरिटी लगातार हेल्थ डेटा की सुरक्षा के लिए कदम भी उठा रहे हैं, ताकि हैकर्स को इनका एक्सेस न मिल सके।
इस साल 12 जून को स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान जारी करके बताया था कि CoWIN पोर्ट पर मौजूद लोगों का डेटा पूरी तरह से सुरक्षित है और डेटा प्राइवेसी के सभी मापदंड़ों का पालन किया जा रहा है। सरकार का यह कदम करोड़ों नागरिकों के निजी डेटा को सिक्योर करने के लिए उठाया गया है। NHA के मुखिया के निजी डेटा लीक होने की जांच कम्प्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम (CERT-In) कर रही है।
वहीं, केन्द्रीय आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा है कि CoWIN डेटा को एक बॉट के जरिए लीक किया गया है, जो एक थ्रेट एक्टर डेटाबेस में मौजूद था। इसके जरिए पहले भी निजी डेटा चोरी की कई घटनाओं को अंजाम दिया जा सकता है। इसमें CoWIN ऐप के डेटाबेस को डायरेक्टली ब्रीच नहीं किया गया है।
भारत सरकार के महत्वाकांक्षी डिजिटल इंडिया प्रोग्राम के तहत हेल्थ सिस्टम को भी डिजिटली सुदृढ़ बनाया जा रहा है। नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन के जरिए लोगों के हेल्थ रिकॉर्ड्स को यूनिक आईडी के साथ तैयार किया जा रहा है। आधार कार्ड के तर्ज पर तैयार किए जा रहे इस डिजिटल डेटाबेस के लिए देश के नागरिकों के निजी डेटा को इकट्ठा किया जा रहा है। इसके अलावा इसे प्रोसेस और एक्सचेंज भी किया जा रहा है। ऐसे में इस तरह का डेटा लीक नागरिकों के निजी तौर पर बड़ी हानि पहुंचा सकता है।
साइबर हमलों के मामले में भारत अमेरिका के बाद दूसरे नंबर पर काबिज है। CloudSEK के मुताबिक, भारत में 2021 के मुकाबले 2022 में करीब 500 साइबर हमले रिकॉर्ड किए गए हैं। वहीं, NordVPN की एक स्टडी के मुताबिक, पिछले साल यानी 2022 में भारत साइबर हमलों से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। करीब 6 लाख से ज्यादा लोगों का निजी डेटा चोरी हुआ है और उसे डार्क वेब पर बेचा गया है। हालांकि, भारत ने 2013 के बाद से अपनी साइबर पॉलिसी में काफी बदलाव किया है, ताकि डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को डेवलप किया जा सके।
टेक्नोलॉजी और ऑटोमोबाइल की लेटेस्ट खबरों के लिए आप हमें व्हाट्सऐप चैनल, फेसबुक, यूट्यूब और X, पर फॉलो करें।Author Name | Harshit Harsh
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