Written By Mona Dixit
Published By: Mona Dixit | Published: Oct 02, 2024, 09:22 AM (IST)
ईरान और इजरायल के बीच पिछले काफी समय से युद्ध चल रहा है। दोनों देश अपनी-अपनी टेक्लॉनोजी और डिफेंस सिस्टम के साथ अपनी सुरक्षा कर रहे हैं। दोनों ही देश अपने बेहतरीन टेक्नोलॉजी वाले डिफेंस सिस्टम के लिए जाने जाते हैं। ईजरायल ने ईरान की 200 मिसायल का सामना अपने आयरन डोम और Arrow आदि डिफेंस सिस्टम से किया है। अगर हम भारत की करें तो भारत का बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस (BMD) सिस्टम भी युद्ध की स्थिति में भारत के काफी काम आता है।
भारतीय बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस (BMD) सिस्टम भारत द्नारा बैलिस्टिक मिसाइल हमलों से सुरक्षा के लिए बनाया गया है। जुलाई, 2024 में भारत ने अपने बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम के दूसरे चरण का सफलतापूर्वक फ्लाइट परिक्षण किया था। इसमें 5,000 किलोमीटर की रेंज वाली दुश्मन की मिसाइलों से बचने के लिए स्वदेशी क्षमताओं का प्रदर्शन किया गया। बीएमडी का फेज I 2,000 किलोमीटर की दूरी तक की बैलिस्टिक मिसाइलों को रोक सकता है।
BMD को मल्टी-लेयर बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम डेवलप करने के लिए बनाया गया है। बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस (BMD) डेवलप करने का फैसला खासतौर पर पाकिस्तान से बैलिस्टिक मिसाइल खतरे को देखते हुए लिया गया था। आज हम इस आर्टिकल में BMD की पूरी डिटेल देने वाले हैं। आइये, जानते हैं।
बैलिस्टिक मिसाइल एक ऐसी मिसायल है, जो बैलिस्टिक लक्ष्य पर पहुंचने के लिए प्रक्षेप्य गति का यूज करता है। इसके कई फायदे होते हैं। इन मिसायल की रेंज बहुत लंबी होती है, क्योंकि वे वायुमंडल से ऊपर यात्रा करते हैं। ये मियासल गुरुत्वाकर्षण और पृथ्वी के घूर्णन का यूज करते हैं। ये कम ईंधन का यूज करते हैं। इन्हें ईंधन की जरूरत केवल लिफ्ट-ऑफ फेस और पाठ्यक्रम सुधार उपायों के दौरान होती है।
बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम (BMD) एक मिसाइल डिफेंस सिस्टम है, जो बैलिस्टिक मिसाइल हमलों के खिलाफ ढाल की तरह यूज होता है। आम तौर पर बीएमडी कई फेज वाले ऑटोमैटिक सिस्टम है। इसमें सबसे पहले एडवांस रडार सिस्टम शामिल है, जिसमें प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली आती है, जिसे सेंसर सिस्टम भी कहा जाता है। दूसरे नंबर पर इंटीग्रेटेड कमांड और कंट्रोल सिस्टम और तीसरा फेस इंटरसेप्टर मिसाइल बैटरियां हैं। इसमें फुर्तीली, मोबाइल और रणनीतिक रूप से जमीन और समुद्र पर स्थित होनी चाहिए।
भारत का BMD सिस्टम का डेवलपमेंट सन 1999 में कारगिल युद्ध के बाद शुरू हुआ था। इसका मुख्य उद्देश्य पाकिस्तान से होने वाले परमाणु हमले से भारत की रक्षा को मजबूत करना था। भारत एक कार्यात्मक ‘आयरन डोम’ बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा (BMD) तैनात करना चाहता है, जिसमें कम ऊंचाई और ज्यादा ऊंचाई दोनों तरह की इंटरसेप्टर मिसाइलें शामिल हों। भारत का BMD मुख्य रूप से DRDO द्वारा BEL, एस्ट्रा माइक्रोवेव, L&T आदि जैसी कई सार्वजनिक और निजी फर्मों की मदद से डेवलप किया गया है। भारत का BMD 2 फेज में डेवलप किया जा रहा है।
पहले चरण का उद्देश्य 2000 किलोमीटर तक की रेंज वाली मिसाइलों को रोकने के लिए एक ढाल डेवलप करना है। पहले चरण की रडार रेंज 600 किलोमीटर तक है। दूसरे चरण में 5000 किलोमीटर की रेंज वाली एक इंटरसेप्ट मिसाइल होगी। इस चरण की रडार रेंज 1500 किलोमीटर होगी।