Published By: Mona Dixit | Published: May 25, 2023, 10:41 AM (IST)
Google ने हाल ही में DeepMind और Google Brain को मिलाकर एक बड़ी AI टीम New Google DeepMind बनाई है। Google DeepMind ने YouTube शॉर्ट्स के लिए एक नई डिटेल शेयर की है। टीम ने बताया है कि उनके एक विजुअल लैंग्वेज मॉडल (VLM) का यूज किस प्रकार YouTube Shorts के लिए डिस्क्रिप्शन जेनरेट करने के लिए किया जा सकता है। इसका मतलब है कि अब क्रिएटर्स को यूट्यूब शॉर्ट्स के लिए अच्छा डिस्क्रिप्शन ऐड करने के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करनी होगी। आइये, डिटेल में जानने के लिए नीचे पढ़ें। और पढें: YouTube पर गुनगुनाकर गाना कैसे सर्च करें? जानें यहां
डीपमाइंड ने अपने ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट से एक पोस्ट करके जानकारी शेयर की है। पोस्ट में लिखा है कि YouTube Shorts कुछ ही मिनटों में बनाए जाते हैं और अक्सर इसमें डिस्क्रिप्शन और टाइटल्स शामिल नहीं होते हैं। क्रिएटर्स के काम को आसान बनाने के लिए जेनरेट डिस्क्रिप्शन में मदद करने के लिए टीम अपने विजअुल लैंग्वेज मॉडल Flamingo को पेश कर रही है। और पढें: YouTube पर दूसरी भाषा में वीडियो डब करना होगा आसान, कंपनी ला रही AI टूल
ट्वीट में लिखा है कि उनका पावरफुल विजुअल लैंग्वेज मॉडल फ्लेमिंगो आपके YouTube Shorts के देखने के तरीके को बदल रहा है। यह स्वचालित रूप से अपने मेटाडेटा में करोड़ों वीडियो के लिए डिस्क्रिप्शन जेनरेट करता है, जिससे उन्हें अधिक खोज योग्य बनाया जा सकता है।
ट्वीट में एक वीडियो दिया गया है, जिसमें बताया गया है कि किस तरह AI क्रिएटर्स और व्यूवर्स की मदद कर रहा है।
Our powerful visual language model Flamingo is changing the way 𝘺𝘰𝘶 can watch @YouTube Shorts. 🦩
It automatically generates descriptions for hundreds of millions of videos in their metadata, making them more searchable.
Here’s how AI is helping creators and viewers. ⬇️ pic.twitter.com/pAt7MxFNs1
— Google DeepMind (@DeepMind) May 24, 2023
The Verge की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, Google डीपमाइंड के मुख्य व्यवसाय अधिकारी कॉलिन मर्डोक ने का कहना है कि यह एक वास्तविक समस्या को हल करता है। क्रिएटर्स कभी-कभी मेटाडेटा नहीं जोड़ते हैं, क्योंकि वीडियो बनाने की प्रोसेस एक लंबे फॉर्म वाले वीडियो की तुलना में अधिक सुव्यवस्थित होती है।
शॉर्ट्स के लिए प्रोडक्ट मैनेजमेंट के निदेशक टोड शर्मन ने कहा है कि क्योंकि शॉर्ट्स को ज्यादातर एक फीड पर देखा जाता है, जहां लोग एक्टिव रूप से उनके लिए ब्राउज करने के बजाय अगले वीडियो पर स्वाइप कर रहे हैं। मेटाडेटा जोड़ने के लिए उतना प्रोत्साहन नहीं है। यह फ्लेमिंगो मॉडल इन वीडियो को समझने में मदद करता है और डिस्क्रिपटिव टेक्स्ट देता है।