
Digital Personal Data Protection Bill को मोदी कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। बुधवार 5 जुलाई 2023 को यूनियन कैबिनेट की मीटिंग में इस बिल पर मुहर लग चुकी है। इस बिल को मानसून सत्र में पेश किया जा सकता है। इसके अलावा नई टेलीकॉम बिल को भी मानसून सत्र में पेश किया जा सकता है। केन्द्रीय टेलीकॉम मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव ने पिछले दिनों डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल और टेलीकॉम बिल को मानसून सत्र में पेश किए जाने की बात कही थी।
इस बिल को पिछले साल नवंबर में ड्राफ्ट किया गया था, जिसके बाद मार्च में इसे इंडस्ट्री बॉडी से कंसल्टेशन के लिए भेजा गया था। इस बिल का दूसरा ड्राफ्ट बनाया गया, जिसे पब्लिक कंसल्टेशन के लिए पिछले महीने अपलोड किया गया है। इसे पहले डिजिटल इंडिया बिल कहा जा रहा था। इस बिल का मकसद भारतीय यूजर्स के निजी डेटा को पूरी तरह से सुरक्षित करना है ताकि किसी नागरिक की डिजिटल पहचान से छेड़-छाड़ न किया जा सके।
मोदी सरकार द्वारा लाया जाने वाला यह बिल IT Act 2000 को रिप्लेस करेगा, जिसे डिजिटल इंडिया बिल भी कहा जा रहा है। इस बिल में मौजूदा परिवेश और भविष्य की टेक्नोलॉजी को देखते हुए नियम बनाए गए हैं, ताकि टेक्नोलॉजी की क्रांति से किसी भी तरह का नुकसान आम नागरिक को न हो सके।
2 major projects approved for developing telecom technology;
✅ IIT Madras: Advanced Optical Communication test bed
✅SAMEER-MeitY: Advanced 6G THz test bed pic.twitter.com/qKOrFoQxYT— Ashwini Vaishnaw (@AshwiniVaishnaw) July 3, 2023
इस बिल में भारतीय यूजर्स के डेटा को टेक कंपनियां किस तरह से प्रोसेस करेंगी इसको लेकर भी नियम बनाए गए हैं। यूजर के डेटा को ऑनलाइन या ऑफलाइन प्रोसेस करने से लेकर उसके दुरुपयोग को रोकने के लिए यह बिल लाया जा रहा है। इसमें यूजर की अनुमति के बिना टेक कंपनियां और संस्थान उनके निजी डेटा का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए नहीं कर पाएंगी।
डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल में भारत में होने वाले यूजर डेटा प्राइवेसी और सिक्योरिटी का ध्यान रखने का प्रावधान है। इस बिल को पहले 11 दिसंबर 2019 को संसद में लाया गया था। इसमें निजी डेटा शेयरिंग, उसकी सुरक्षा और स्टोरेज के बारे में कंपनियों को पारदर्शी बनने का प्रावधान है। इसमें प्राइवेट कंपनियों के साथ-साथ सरकार को भी यूजर के निजी डेटा की पूरी तरह से रक्षा करनी है।
डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल का सफर साल 2018 में शुरू हुआ था, जिसमें जस्टिस बी एन श्रीकृष्णा की अगुवाई वाली एक स्पेशल एक्सपर्ट कमिटी ने इसे ड्राफ्ट किया था। इसे बाद में केन्द्र सरकार ने 2019 में संसद में पेश किया था। इसके बाद इस बिल को ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमिटी ने 2021 में रिव्यू किया और सरकार को इसका रिवाइज्ड वर्जन लाने के लिए कहा था।
टेक्नोलॉजी और ऑटोमोबाइल की लेटेस्ट खबरों के लिए आप हमें व्हाट्सऐप चैनल, फेसबुक, यूट्यूब और X, पर फॉलो करें।Author Name | Harshit Harsh
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