
Apple iPhones और iPads को यूजर्स पूरी दुनिया में कहीं भी इस्तेमाल कर सकते हैं। हालांकि, यूजर्स को iOS के कुछ फीचर्स रीजन यानी क्षेत्र के हिसाब से अलग दिखेंगे। एप्पल ने इस तरह के प्रतिबंध किसी भी देश के लोकल ऑथिरिटी की वजह से लगाए हैं। उदाहरण के तौर पर एप्पल के डिवाइसेज में वीडियो कॉलिंग के लिए मिलने वाले Facetime फीचर को यूजर्स UAE में इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं। ऐसे ही नए लॉन्च हुए iPhone 14 Series वाला सैटेलाइट कनेक्टिविटी फीचर भी फिलहाल यूजर्स को अमेरिका और कनाडा में ही मिल पा रहा है।
9to5Mac की रिपोर्ट के मुताबिक, Apple एक नए सिस्टम पर काम कर रहा है, जो लोकेशन के हिसाब से iOS के फीचर्स प्रतिबंधित कर देगा। इस फीचर को iOS के हिडन डिजाइन में स्पॉट किया गया है, जिसे कंपनी फिलहाल टेस्ट कर रही है। इसके लिए एप्पल के इंजीनियर्स हार्ड कोडिंग टेक्निक का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो यूजर के लोकेशन के हिसाब से फीचर्स को रिस्ट्रिक्ट कर देगा।
अमेरिकी टेक कंपनी iOS के कुछ फीचर्स को किसी स्पेसिफिक लोकेशन के मुताबिक रिस्ट्रिक्ट यानी प्रतिबंधित कर देगी। एप्पल इसके लिए यूजर्स के सॉफ्टवेयर सेटिंग्स या फिर जहां से हार्डवेयर आता है, उसके मुताबिक, लोकेशन ट्रेस करके इसे डिवाइस में फिट करेगा। रिपोर्ट के मुताबिक, एप्पल ने इस फीचर को टेस्टिंग के लिए चुपके से iOS 16.2 में जोड़ा है, जिसे इंटरनली ‘countryd’ कोडनेम दिया गया है।
Apple ने इस नए सिस्टम के लिए मल्टीपल डेटा को कलेक्ट करेगा, जिसमें यूजर का GPS लोकेशन, Wi-Fi राउटर के जरिए कंट्री कोड और सिम कार्ड की जानकारी के आधार पर यूजर की लोकेशन आदि शामिल हैं। यह नया सिस्टम यूजर्स के लिए इस तरह के प्रतिबंध को बाईपास करना मुश्किल बनाएगा। हालांकि, यह सिस्टम डिवाइस के फीचर्स को ऑटोमैटिकली रिस्ट्रिक्ट कर देगा। एप्पल ने इस सिस्टम को किसी रीजन के गवर्मेंट रेगुलेशन के हिसाब से फीचर को प्रतिबंधित करने के लिए तैयार किया है।
Apple जल्द ही इस फीचर को रोल आउट करने की तैयारी में है। फिलहाल इस फीचर को कुछ यूरोपीय देशों में देखा गया है। जल्द ही, इसे अन्य रीजन में भी टेस्ट किया जाएगा।
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