Written By Ashutosh Ojha
Published By: Ashutosh Ojha | Published: Dec 16, 2025, 03:07 PM (IST)
NCLAT ने सोमवार को साफ कर दिया कि WhatsApp अपने यूजर्स का कोई भी डेटा शेयर करने से पहले उनकी स्पष्ट अनुमति ले। यह फैसला WhatsApp की डेटा शेयरिंग नीति के खिलाफ एक शिकायत पर लिया गया था, जिसे Competition Commission of India (CCI) ने नई जानकारी मांगते हुए दायर किया था। NCLAT ने कहा कि उनका पुराना आदेश सिर्फ WhatsApp के अंदर डेटा इस्तेमाल तक सीमित नहीं था। यह आदेश सभी तरह के डेटा इस्तेमाल पर लागू होता है, चाहे वह विज्ञापन के लिए हो या किसी और काम के लिए।
NCLAT के चेयरपर्सन जस्टिस अशोक भूषण और सदस्य अरुण बरौका ने कहा कि WhatsApp और Meta अपने यूजर्स के डेटा पर एकतरफा हक नहीं रख सकते। यूजर्स को यह तय करने का अधिकार होना चाहिए कि उनका कौन सा डेटा रखा जाए, किस काम के लिए इस्तेमाल होगा और कितने समय तक। किसी भी गैर-जरूरी डेटा संग्रह या अलग जगह इस्तेमाल, जैसे कि विज्ञापन के लिए, केवल यूजर की स्पष्ट और कभी भी बदली जा सकने वाली सहमति से ही किया जा सकता है। NCLAT ने यह भी कहा कि यूजर्स को किसी भी समय डेटा शेयर करने से मना करने या अनुमति देने का ऑप्शन होना चाहिए, ताकि उनकी सुरक्षा बनी रहे और 2021 की पुरानी नीति जैसी दिक्कतें फिर न हों।
NCLAT ने CCI की मांग को मानते हुए साफ कर दिया कि WhatsApp पर लागू किए जाने वाले नए नियम सिर्फ WhatsApp के अंदर ही नहीं, बल्कि सभी जगह डेटा इस्तेमाल पर लागू होंगे। इसमें विज्ञापन और गैर-विज्ञापन दोनों तरह के काम शामिल हैं। WhatsApp को इन नियमों को मानने के लिए तीन महीने का समय दिया गया है। इसका मतलब है कि अब WhatsApp अपने यूजर्स के डेटा के बारे में बिना उनकी अनुमति के कोई फैसला नहीं ले सकता।
यह मामला 2021 की WhatsApp नीति की वजह से शुरू हुआ था। उस समय CCI ने WhatsApp पर 213 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया और कहा कि उसने अपनी पोजिशन का गलत इस्तेमाल किया। NCLAT ने पहले थोड़ी राहत दी थी, लेकिन कुछ बातें अब भी साफ नहीं थीं, खासकर विज्ञापन के लिए डेटा शेयरिंग को लेकर। अब नए आदेश के साथ यह साफ हो गया है कि सभी तरह के डेटा शेयर करने के लिए यूजर की अनुमति जरूरी है। NCLAT ने कहा कि WhatsApp और Meta के बीच डेटा शेयर करना Meta को विज्ञापन में फायदा देता है, जबकि दूसरे कंपनियों के लिए बाजार में आने में मुश्किल होती है।