Written By Ashutosh Ojha
Published By: Ashutosh Ojha | Published: Sep 18, 2025, 12:05 PM (IST)
Elon Musk Starlink
भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सेवाओं की शुरुआत को लेकर बड़ी कंपनियों की तैयारियां जोरों पर हैं, लेकिन सरकारी मंजूरी में अड़चनें लगातार बढ़ रही हैं। एलन मस्क की Starlink, Bharti-backed Eutelsat OneWeb और Reliance Jio–SES जैसी कंपनियां देश के ब्रॉडबैंड बाजार में उतरने की तैयारी कर रही हैं। हालांकि टेलीकॉम विभाग (DoT) ने हाल ही में TRAI द्वारा सुझाए गए सैटेलाइट स्पेक्ट्रम प्राइसिंग से जुड़े सुझावों पर आपत्ति जताई है। विभाग की उच्चतम निर्णय लेने वाली संस्था डिजिटल कम्युनिकेशंस कमीशन (DCC) ने TRAI से इन सिफारिशों पर स्पष्टीकरण मांगा है। इस वजह से Starlink समेत बाकी कंपनियों के भारत में लॉन्च को एक बार फिर टालना पड़ा है।
सरकार को इस बात की चिंता है कि TRAI ने शहरी यूजर्स से हर साल 500 रुपये ज्यादा लेने का सुझाव दिया है। टेलीकॉम विभाग का मानना है कि इससे शहर और गांव के ग्राहकों में सही फर्क करना मुश्किल होगा और बिल बनाने में दिक्कत आएगी। TRAI ने सैटेलाइट स्पेक्ट्रम के लिए सालाना कम से कम 3500 रुपये प्रति MHz चार्ज तय करने की सलाह दी थी, लेकिन DoT को यह रकम बहुत कम लगती है। उनका कहना है कि स्पेक्ट्रम बहुत कीमती है और अगर चार्ज कम रहेगा तो कंपनियां इसे खरीदकर भी सही तरीके से इस्तेमाल नहीं करेंगी। इसलिए शुल्क बढ़ाना जरूरी है ताकि स्पेक्ट्रम का सही इस्तेमाल हो सके।
TRAI ने मई 2025 में कुछ सुझाव दिए थे। उन्होंने कहा था कि सैटेलाइट इंटरनेट कंपनियों से हर साल उनके कुल कमाई का 4% टैक्स लिया जाए। साथ ही स्पेक्ट्रम को पहले 5 साल के लिए दिया जाए और जरूरत पड़ने पर इसे 2 साल और बढ़ाने का ऑप्शन भी रहे। इस बीच SpaceX की Starlink ने भारत में उपकरण और इंस्टॉलेशन सेवाएं देने के लिए Jio और Airtel के साथ मिलकर काम करना शुरू कर दिया है। वहीं Eutelsat OneWeb और Jio Satellite Communications को पहले ही लाइसेंस मिल चुका है, लेकिन Amazon Kuiper अभी DoT की मंजूरी का इंतजार कर रहा है।
सरकार ने इस साल सुरक्षा के नियम बहुत सख्त कर दिए हैं। अब सभी कंपनियों को भारत में ही डेटा प्रोसेस करना होगा और किसी भी विदेशी नेटवर्क के जरिए यूजर्स को जोड़ने की इजाजत नहीं होगी। कंपनियों को अपने ग्राउंड नेटवर्क का कम से कम 20% हिस्सा दो साल के अंदर भारत में बनाना जरूरी है। इसके अलावा गेटवे और हब के लिए सुरक्षा मंजूरी लेनी होगी और इंटरसेप्शन जैसी सुविधाएं भी देनी होंगी। इन सख्त नियमों और स्पेक्ट्रम शुल्क के विवाद की वजह से Starlink और कुछ बाकी कंपनियों का भारत में लॉन्च फिलहाल रुका हुआ है। इसका मतलब है कि हाई-स्पीड सैटेलाइट इंटरनेट आने में अभी और समय लग सकता है।